Saturday, November 2, 2024
HomeHindiमदरसों की बढती संख्या और बिगडता जनसंख्या संतुलन

मदरसों की बढती संख्या और बिगडता जनसंख्या संतुलन

Also Read

Abhishek Kumar
Abhishek Kumar
Politics -Political & Election Analyst


देश के कई राज्यों के सीमावर्ती इलाकों में मदरसों की तेजी से बढती संख्या और बिगडते जनसंख्या संतुलन से खुफिया एजेंसियां चौंक गई हैं।

यहां पर तेजी से जनसंख्या के आंकडों में परिवर्तन हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और बिहार में सीमाई इलाकों में ऐसा खासतौर से देखने को मिल रहा हैं, जिसने खुफियां एजेंसियों और राज्य सरकारों की चिंता को बढा दिया हैं। गौरतलब है कि पडोसी देश नेपाल से भारत के रिश्ते दोस्ती वाले रहे हैं।दोनों देशों मे रोटी-बेटी का रिश्ता रहा हैं,धार्मिक और मैत्री एवं आस्था को नया आयाम देते हुए बिहार के जयनगर से नेपाल के जनकपुर तक ट्रेन सेवा का शुंभारभ भी किया गया हैं। लेकिन,मौजूदा समय में एक बात सरकार और खुफिया विभाग के लिए चिंता का विषय बन गई है, वह है सीमा से जुडे भारतीय जिलों मे मदरसों की तेजी से बढी संख्या और जनसंख्या का बिगडता संतुलन। बीते कुछ वर्ष में उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड में नेपाल की सीमा के पास मदरसों और मस्जिदों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई हैं।

भारत के सात जिलों से सटी नेपाल की 550 किलोमीटर लम्बी सीमा जनसंख्या संतुलन के लिए संवेदनशील होती जा रही हैं। कुछ प्रमुख समाचार पत्रों में छपी जानकारी के मुताबिक कुछ क्षेत्रों मे मुस्लिम आबादी में तेजी से वृद्धि हुई हैं।मदरसों और मस्जिदों की बढी संख्या भी चिंता का विषय हैं।खुफिया इकाईयों ने यहां आबादी के बिगडे संतुलन को लेकर चिंता जताई है। गोरखपुर और उसके आसपास के जनपदों  से सटी नेपाल की सीमा अधिक संवेदनशील बताई जा रही हैं।

एजेंसी को मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2016 के बाद नेपाल सीमा से सटे भारतीय क्षेत्र में बिना मान्यता वाले मदरसों की संख्या बढती जा रही हैं। सिद्धार्थनगर जिले में वर्ष 2000 में 147 मदसरें थे जोकि बढकर 597 हो गए हैं। इनसें से 147 का पंजीकरण ही नहीं है। जबकि,महाराजगंज जिले में मान्यता वाले 252 मदरसें संचालित हैं, लेकिन 84 किमी लम्बी नेपाल सीमा पर इनकी संख्या डेढ गुनी से अधिक हो गई हैं। वहीं,महाराजगंज जिले के लक्ष्मीपुर क्षेत्र के कई मौलाना नेपाल के विभिन्न मदरसों मे पढाने जाते हैं।सीमा से सटे नेपाल के रूपनंदेही और नवलपरासी जिले में कई मदरसें हैं। बेलासपुर मे बडा मदसरा हैं। उधर,नेपाल के भैरहवा में स्थिति मदरसें में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस(आइएसआइ) के एजेंट के रूकने की सूचना पर दो वर्ष पूर्व पुलिस ने छापेमारी भी की थी।

सिद्धार्थनगर सीमा से सटे दो-तीन किमी क्षेत्र में बीते दो दशक के दौरान चार गुना से अधिक मदरसें बढ गए हैं।खुफिया जानकारी के अनुसार भारतीय क्षेत्र में सीमा से सटे नेपाल के कृष्णानगर मदरसें में वर्ष 1998 में चार कश्मीरी युवक पकडे गए थे,जिनके तार आइएसआइ से जुडे बताए गए थे।नौगढ में 119 तो शोहरतगढ में 102 मदरसें हैं।मदरसों का संख्या और उनके संचालन पर दोनों देशों के अधिकारियों मे चर्चा होती रही है,लेकिन चंदे से मदरसों के संचालन पर रोक न होने से कार्यवाही नहीं होती हैं।

उत्तर बिहार के नेपाल सीमा से सटे मधुबनी,पूर्वी चंपारण,पश्चिमी चंपारण और सीमामढी जिले में 10 वर्षों मे मदरसों की संख्या बढी हैं,खासतौर से पूर्वी चंपारण में।नेपाल से सटे रक्सौल,रामगढवा,आदापुर, छौडादानो प्रखंड के विभिन्न गावों मे छोटे-बडे 149 मदरसें थे,बीते 10 वर्षों में 16 नए बने हैं।कुल मदरसों मे से मात्र नौ ही निबंधित हैं।इन क्षेत्रों मे हिंदुओ के मुकाबले मुस्लिमों की जनसंख्या दो गुनी बढी हैं।इन इलाकों से सटे नेपाल की स्थिति में ज्यादा बदलाव आया हैं।दोनों देशों की खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार नेपाल के परसा,बारा और रौतहट जिलें मे 300 से अधिक मदरसों का निर्माण हुआ है,इनमें 45 तो बीतें पांच वर्षो के दौरान ही  बने हैं।यहां, मुस्लिम आबादी भी तेजी से बढी हैं। पश्चिम चंपारण के मैनाटाड,गौनाहा और सिकटा प्रखंड के अलावा बगहा दो प्रखंड का वाल्किमीनगर नेपाल की सीमा से सटा है।इन इलाकों मे मदरसों की संख्या 45 हैं।

 पलायन भी वजह,संसाधनों पर कर रहे कब्ज़ा

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार भारत से लगते नेपाली जिलों में आए जनसांख्यिकीय बदलाव में अहम वजह पलायन हैं। नेपाल के मूल निवासी पलायन कर दूसरे शहरों में काम के लिए गए,लेकिन एक समुदाय विशेष ने वहां के संसाधनों पर कब्ज़ा कर लिया हैं। बीतें 10 वर्षों मे इन्होनें खुद को इतना सक्षम बना लिया है कि सामजिक,आर्थिक व सांस्कृतिक व्यवस्था को भी प्रभावित करने लगे हैं। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार आइएसआइ नेपाल के रास्ते उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल में सक्रिय हैं। जून 2000 में भी भारत-नेपाल सीमा पर तेजी से बन रहे धर्म विशेष के स्थलों से सावधान रहने की चेतावनी जारी की गई थी।

सुनियोजित तरीके से बनाया जा रहा गलियारा

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार बंग्लादेश, बिहार, नेपाल, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड के मध्य सुनियोजित तरीके से समुदाय विशेष के लिए गलियारा तैयार किया जा रहा हैं।साजिश पाकिस्तान को इस गलियारा से जोडने की है। बीते 10 वर्षों  में शरणार्थियों के नाम पर बडी आबादी इस गलियारे में शिफ्ट भी की गई हैं।

रिपोर्ट: अभिषेक कुमार ( Political & Election Analyst / twitter @abhishekkumrr )

  Support Us  

OpIndia is not rich like the mainstream media. Even a small contribution by you will help us keep running. Consider making a voluntary payment.

Trending now

Abhishek Kumar
Abhishek Kumar
Politics -Political & Election Analyst
- Advertisement -

Latest News

Recently Popular