Wednesday, April 24, 2024
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क्या तालिबान दिखा रहा है तथाकथित सेक्यूलरजीवियों का असली चेहरा?

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बीते दिनों से तालिबान काफी चर्चा में है परंतु हमारे तथाकथित सेकुलर लोगों ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी है खुद को “हेडलाइंस” में पेश करने की। अफगानिस्तान में कहर के आने से हिंदुस्तान में कुछ लोगों के दिलों में खुशियों की लहर उमड़ पड़ी है। यह तथाकथित सेकुलर लोग प्रत्येक दिन अपने बयानों से लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते आए हैं और तालिबान को यह संदेश देते आए हैं कि “तालिबान तुम आगे बढ़ो हम तुम्हारे साथ हैं”। इन सेक्यूलरजीवियों को जरा सा भी फर्क नहीं पड़ता कि तालिबान एक आतंकी संगठन है और यह आतंकी संगठन किस किस तरह के जुर्म बरसा रहा है बल्कि उन्हें फर्क तो बस यह पड़ता है कि तालिबान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया या नहीं, इन छोटे दिमाग वालों का बस यही लॉजिक है कि बस एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दो और आपके “7 खून माफ”।

इन तथाकथित सेकुलर लोगो के शरीर में इतनी प्रसन्नता छा चुकी है कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि अपनी प्रसन्नता को कैसे जाहिर करें, शायर अपनी शायरी भूल चुके हैं और नेता अपनी नेतागिरी। मुनव्वर राणा जी तो इतने मदहोश हो चुके हैं कि उन्होंने सिर्फ तालिबान की तरफदारी ही नहीं की बल्कि तालिबान को वाल्मीकि जी से तुलना करने में भी हिचकिचाहट तक महसूस नहीं किया। समाजवादी पार्टी के नेता “शफीक उर रहमान ” ने भी तालिबान के लिए तारीफों के पुल बांध दिए, यह वही समाजवादी नेता है जिन्हें वंदेमातरम कहना इस्लाम के खिलाफ लगा था। ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता सज्जाद नोमानी ने भी तालिबान का खूब समर्थन किया।

भारत के मुसलमानों और तालिबान के बीच में प्यार की गहराई को जानने के लिए आपको बस टि्वटर नाम का ऐप डाउनलोड करना पड़ेगा। स्वरा भास्कर जैसे कुछ सेक्युलर लोगों ने तो अफगानिस्तान में हो रहे बर्बादी को हिंदुत्व के साथ जोड़ दिया और पूरा दोष हिंदुत्व पर मढ़ दिया। इसी बीच इन लोगों का एक मसीहा भी सामने निकल कर आया है जिसका नाम है तमल भट्टाचार्य जिसे अफगानिस्तान से भारत ने निकाला परंतु भारत पहुंचने के बाद इसने तालिबान का गुण गाना शुरू कर दिया और सेक्युलर लोगों के खाते में अपना स्वर्णिम नाम दर्ज करा लिया। इन कम दिमाग वालों ने तो इस तालिबान को नया तालिबान तक घोषित कर दिया है। अगर यह लोग तालिबान का नाम नोबेल पीस प्राइज के लिए देना चाहे तो ज्यादा चौंकने की जरूरत नहीं है, ये नया तालिबान है भाई।

परंतु चिंता करने की जरूरत नहीं है इन तालिबान के समर्थकों को अच्छी तरह से सबक सिखाया जा रहा है। असम के पुलिस ने 14 ऐसे तथाकथित सेक्युलर जो तालिबान का समर्थन करते हुए पाए गए थे उन्हें हिरासत में ले लिया है।

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