Sunday, November 3, 2024
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सोशल इंजीनियरिंग के साथ मिली जिम्मेदारी, बेहतर आउटपुट की है मंत्रियों से उम्मीद

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यूं तो मंत्रिमंडल में विस्तार एक सामान्य प्रक्रिया मानी जाती है, लेकिन जब उसके लिए महीनों तक समुद्र मंथन जैसा विमर्श किया जाता है और उन विभागों को आपस में मिला दिया जाता है, जिनका एक दूसरे से अधिक काम है, तो उम्मीद बढ़ जाती है। कोरोना महामारी के दौर में केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार कर दिया गया है। कई युवाओं को पहले से अधिक और बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। उनसे सबसे अधिक अपेक्षा प्रधानमंत्री को है। जिन 12 मंत्रियों को इस फेरबदल में सरकार से हटाकर अन्य जिम्मेदारी देने की बात कही जा रही है, उन विभागों से प्रधानमंत्री कार्यालय को बेहतर आउटपुट की अपेक्षा है।

असल में, जिस प्रकार से कंप्यूटर-लैपटॉप में पुराने सॉफ्टवेयर को अपडेट किया जाता है, यह विस्तार एक तरह से उसी प्रकार का है। प्रोसेसर तो पुराना ही है, लेकिन कई सारे सॉफ्टवेयर अपडेट किए गए और कुछ नए लिए गए। मंशा केवल ये है कि इससे त्वरित और बेहतर परिणाम निकलें।

इस विस्तार में यह कोशिश की गई है कि विभागीय कामों को मूर्त रूप देने में किसी प्रकार की कोई रूकावट नहीं आने पाए। इसके लिए कई बड़े विभाग के मंत्रियों के साथ अन्य विभागीय दिए गए हैं, जिनका आपस में अधिक सरोकार है। कोरोना काल में स्वास्थ्य महकमा को लेकर हरेक की उम्मीद है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की जिम्मेदारी मनसुख मंडाविया को दिया गया, तो उनको रसायन एवं उर्वरक का काम भी सौंपा गया। ताकि स्वास्थ्य मंत्रालय को दवा आदि की आपूर्ति में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं हो। पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवधन थे और रसायन एवं उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा।

कोरोना काल में यदि स्वास्थ्य बड़ा मसला है, तो भारत के भविष्य को पटरी पर लाने के लिए शिक्षा के क्षेत्र में बड़े और त्वरित निर्णय लेने होंगे। इस कसौटी पर प्रधानमंत्री कार्यालय की नजर में धर्मेन्द्र प्रधान खरे उतरे। उन्हें केंद्रीय मानव संसधान विकास यानी शिक्षा विभाग के साथ कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। उन्होंने अपना कार्यभार संभाला। इससे पहले उन्होंने जिस मंत्रालय में अपनी काम का लोहा मनवाया, उसकी कहानी केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी के बयान से लगता है, जिसमें उन्होंने कहा है कि मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती धर्मेंद्र प्रधान की तरह काम करना और उनके द्वारा शुरू किए गए अच्छे कार्यों को जारी रखना है। इस मंत्रालय का कार्य प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष रूप में प्रत्येक नागरिक को प्रभावित करता है।

देखा जाए तो धर्मेन्द्र प्रधान चुपचाप काम करने में यकीन रखते हैं। ओडिशा से आते हैं और समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने की कला जानते हैं। संगठन और सरकार के बीच अपनी बेहतर उपस्थिति बना चुके है। बीते मंत्रालय में जिस प्रकार से काम किया, उससे अधिक उम्मीद बढ़ गई। देश के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है कि पीढ़ी शिक्षित हो। किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है। शिक्षा के साथ साथ उसमें उद्यमिता का कौशल भी हो। इसलिए इस बार दोनों मंत्रालय धर्मेन्द्र प्रधान को दिया गया है। हर अभिभावक की उम्मीद अब इनसे है कि जब देश भर के स्कूल और कॉलेज खलेंगे, तो ये किस प्रकार से तमाम चीजों को पहले से बेहतर कर पाएंगे।

मंत्रिमंडल विस्तार में संगठन के महारथी रहे भूपेंद्र यादव को केंद्रीय श्रम मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। हर हाथ को काम मिले। हर श्रमिक को उसका पारिश्रमिक मिले। किसी प्रकार की कोई रूकावट नहीं आए। जिस प्रकार से संगठन में उन्होंने पार्टी के हर कार्यकर्ता तक अपनी पहुंच बनाई, प्रधानमंत्री कार्यालय की मंशा है कि उसी प्रकार ये हर श्रमिक के अधिकारों की रक्षा करें।

इसी प्रकार हम रेलवे की बात करें, तो नए मंत्रिमंडल विस्तार में रेलवे के साथ आईटी की जिम्मेदारी पूर्व नौकरशाह अश्विनी वैष्णव को दिया गया। अश्विनी वैष्णव ने पहले रेलवे का पदभार 0और उसके बाद इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के रूप में अपना कार्यभार संभाला। असल में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेलवे को आधुनिकतम तकनीक से लैस करना चाहते हैं, इसलिए इस दोनों विभाग की जिम्मेदारी एक ही व्यक्ति को दिया गया है।

वर्तमान फेरबदल इस अर्थ में एतिहासिक और सराहनीय है कि केंद्रीय मंत्रियों में जितना प्रतिनिधित्व महिलाओं, पिछड़ों आदिवासियों, अनुसूचितों, उच्च शिक्षितों और युवा लोगों को मिल रहा है, उतना अभी तक किसी मंत्रिमंडल में नहीं मिला है। आजादी से लेकर अभी तक के मंत्रिमंडल की सूची की पड़ताल कर ली जाए, महिलाओं की जितनी बड़ी संख्या मोदी मंत्रिमंडल में है, उतनी बड़ी संख्या भारत की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में भी नहीं थी। इसी प्रकार शायद इतना बड़ा फेर-बदल किसी मंत्रिमंडल में पहले नहीं हुआ। यह अदभुत भूल सुधार है।

नरेंद्र मोदी के इस मंत्रिमंडल को युवा मंत्रिमंडल भी कहा गया है। अनुराग सिंह ठाकुर को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के साथ खेल एवं युवा मामला दिया गया है। स्वयं एक खिलाड़ी के रूप में भी अनुराग सिंह ठाकुर अपनी पहचान दिखा चुके हैं। सरकार की बात अधिक से अधिक युवाओं तक पहुंचे इसकी जिम्मेदारी तभी अनुराग सिंह ठाकुर को दी गई है।

असल में, यह समुद्र-मंथन जैसी गतिविधि है। प्रधानमंत्री ने झाड़-पोंछकर एकदम नई सरकार देश के सामने रख दी हैमंत्रिमंडल विस्तार को जातीय, भौगोलिक और क्षेत्रीय राजनीति के लिहाज से परखने और समझने में समय लगेगा, पर इतना स्पष्ट है कि इसमें महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश की आंतरिक राजनीति को संबोधित किया गया है। जिस तरीके से उत्तर प्रदेश का जातीय-रसायन इस मंत्रिपरिषद में मिलाया गया है, उससे साफ है कि न केवल विधान सभा के अगले साल होने वाले चुनाव, बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सरकार ने अभी से कमर कस ली है। दूसरी तरफ सरकार अपनी छवि को सुधारने के लिए भी कृतसंकल्प लगती है। इसलिए इसमें राजनीतिक-मसालों के अलावा विशेषज्ञता को भी शामिल किया गया है। प्रशासनिक अनुभव और छवि के अलावा सामाजिक-संतुलन बल्कि देश के अलग-अलग इलाकों के माइक्रो-मैनेजमेंट की भूमिका भी इसमें दिखाई पड़ती है।

इस परिवर्तन से यह बात भी स्थापित हुई है कि पार्टी और सरकार के भीतर अपनी छवि को लेकर गहरा मंथन है।

और तो और, जिन मंत्रियों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कार्यालय को अधिक भरोसा है, उन्हें कई महत्वपूर्ण समितियों में शामिल किया गया है। कैबिनेट की नियुक्ति समिति में पीएम नरेंद्र मोदी, होम मिनिस्टर अमित शाह भी शामिल हैं। इसके अलावा आर्थिक मामलों की समिति में भी पीएम नरेंद्र मोदी हैं। उनके अलावा राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, नितिन गडकरी और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को भी इसमें शामिल किया गया है। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी इस समिति का हिस्सा हैं।

राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति में भूपेंद्र यादव, सर्बानंद सोनोवाल और मनसुख मांडविया को जगह दी गई है। इसके अलावा गिरिराज सिंह और स्मृति इरानी भी इस समिति का हिस्सा हैं। इन नेताओं को रामविलास पासवान, रविशंकर प्रसाद और हर्षवर्धन जैसे नेताओं की जगह पर शामिल किया गया है। केंद्र और राज्य सरकार से जुड़े मामलों में इस समिति की अहम भूमिका होती है।

मोदी सरकार की ओर से 2019 में दो नई समितियों का गठन किया गया था- इन्वेस्टमेंट और ग्रोथ एवं रोजगार एवं स्किल डिवेलपमेंट। अश्विनी वैष्णव और भूपेंद्र यादव को रोजगार एवं स्किल डिवेलपमेंट पर बनी कमिटी में शामिल किया गया है। संसदीय मामलों पर की कैबिनेट कमिटी में नए बने कानून मंत्री किरेन रिजिजू, सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर, सामाजिक न्याय मंत्री वीरेंद्र कुमार और आदिवासी मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा को शामिल किया गया है। यह समिति संसद सत्रों के शेड्यूल और पेश किए जाने वाले बिलों को लेकर फैसला लेती है। 1000 करोड़ रुपये या उससे अधिक के निवेश के मामलों पर यह कमिटी फैसला लेती है। यह कमिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग और अन्य मामलों पर फैसले लेती है।

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