केन्द्र सरकार की तरफ से स्वरोजगार को बढ़ावा देने का हर प्रयास किया जा रहा है। सरकार के तरफ से सरकारी योजना चलाकर बिजनेस लोन देने की व्यवस्था की जा रही है। कुछ बिजनेस पर सरकार की तरफ से 50 प्रतिशत लोन उपलब्ध कराया जाता है तो वहीं एमएसएमई कैटेगरी के कुछ बिजनेस पर 90 प्रतिशत तक बिजनेस लोन मुहैया कराया जाता है। आइये आपको बताते हैं कि एमएसएमई कैटेगरी के 5 ऐसे कौन से बिजनेस हैं जिसपर सरकार की तरफ से 90 फीसदी तक लोन मिल सकता है।
- काष्ठ उद्योग
- खादी के कपड़ों का बिजनेस करने के लिए
- बांस का उपकरण बनाने के लिए
- टेंट हाउस का बिजनेस करने के लिए
- कोलतार बनाने के लिए
काष्ट उद्योग के लिए लोन
लकड़ी के उपकरण की मांग वर्तमान में बहुत अधिक है। ऐसे में सरकार की तरफ से उन कारीगरों को 90 प्रतिशत तक का लोन प्रदान किया जाता है, जिन्हें लकड़ी का फार्चीनर बनाना होता है। लकड़ी का उपकरण बनाने के साथ ही लकड़ी के उपकरण करने वाले कारोबारियों को भी 90 फीसदी तक का एमएसएमई लोन आसानी से मिल जाता है।
खादी के कपड़ों का बिजनेस करने के लिए
हमारे देश की परंपरागत पहचान खादी है। महात्मा गांधी ने खादी पहनकर ही आजादी के आंदोलनों में भाग लिया और यह संदेश दिया कि हमें अधिक से अधिक खादी वस्त्रो का उपयोग करना चाहिए। सरकार की तरफ से खादी के कपड़ो का बिजनेस करने के लिए 90 फीसदी तक बिजनेस लोन प्रदान किया जाता है।
बांस का उपकरण बनाने के लिए
बांस का उपकरण बनाने वाले कारीगरों की माली हालात ठीक नहीं रहती है। वह कई बार सूदखोरों के चंगुल में फंस जाते हैं। इस बात का ध्यान रखते हुए सरकार की तरफ से बांस का सामान बनाने वाले कारीगरों को 90 फीसदी तक का बिजनेस लोन प्रदान किया जाता है।
टेंट हाउस का बिजनेस करने के लिए
टेंट हाउस का कारोबार वर्तमान में बहुत तेजी से चल रहा है। इसपर बैंक को यह भरोसा होता है कि लोन की रकम जल्द वापस हो जाएगी। इसलिए टेंट हाउस का बिजनेस करने के लिए 90 फीसदी तक का बिजनेस लोन दिया जाता है।
कोलतार बनाने के बिजनेस के लिए
कोलतार एक ऐसा प्रोडक्ट है जिसकी मांग समय – समय पर सीमित लोगों द्वारा की जाती है। जब सड़क बनाना होता है तभी कोलतार की आवश्यकता होती है। ऐसे में कोई कारोबारी कोलतार खुद से पैसा लगाकर नहीं बनाना चाहता है। इसलिए सरकार की तरफ से कोलतार बनाने के लिए 90 फीसदी तक का बिजनेस लोन मुहैया कराया जाता है।