जैसा की हम सभी जानते हैं कि सुशांत सिंह राजपूत के केस की जांच अब सीबीआई कर रही है। फिर भी महाराष्ट्र सरकार उसमें व्यवधान उत्पन्न करने में लगी हुई है। पता नहीं क्यों महाराष्ट्र सरकार को ऐसा लगता है कि वो सर्वोपरि है। वो किसी के साथ भी अन्याय करेगी, तो भी कभी कोई कुछ नहीं बोलेगा। अगर महाराष्ट्र में कोई सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाने की कोशिश कर रहा है, तो सरकार उसकी आवाज़ बंद करने की कोशिश में लगी हुई है। क्या यह प्रजातंत्र का हनन नहीं है? आप इसे और क्या कहेंगे?
जहाँ एक तरफ भारत देश अपनी आज़ादी के ७४ वर्ष की वर्षगाँठ मना रहा है, वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र सरकार अपनी मनमानी करके अपने तानाशाह होने का सबूत दे रही है। महाराष्ट्र सरकार के इस अन्याय के खिलाफ हमे अपनी आवाज़ बुलंद करनी होगी। यह हर एक भारतीय का कर्त्तव्य है कि जब भी हमारे देश में जनतंत्र का हनन हो, तब हमको उसके खिलाफ आवाज़ जरूर उठानी चाहिए। यह देश हमारा है और हमारा ही रहेगा। यहाँ किसी की मनमानी नहीं चल सकती। जब तक देश में जनतांत्रिक प्रणाली स्थापित है , तब तक किसी भी सरकार को अपनी जनता की आवाज़ सुननी ही पड़ेगी।
और रही सुशांत सिंह राजपूत की बात तो उनको तो न्याय मिलकर ही रहेगा। उनके साथ जो हुआ, वो बहुत ही गलत हुआ। उनको न्याय मिलना न्याय पद्धति पर विश्वास हेतु अत्यंत आवयशक है। इसलिए महाराष्ट्र सरकार को उनके केस में सहयोग करना चाहिए, नाकि रुकावटें उत्पन्न करनी चाहिए। आज जनतंत्र की ताकत से ही केस सीबीआई तक पहुंचा है। और यह जनतंत्र की ताकत का ही प्रमाण है। इतिहास गवाह है कि जब जब देश की जनता ने एक जुट होकर कोई भी आंदोलन चलाया है तो जीत आम जानता की ही हुई है। इसलिए सब लोगों से आग्रह है कि आप भी इस जन आंदोलन का हिस्सा बनें और दूसरों को भी प्रेरित करें।
किसी भी आंदोलन की शुरुवात हमेशा एक व्यक्ति से ही होती है और फिर उस आंदोलन में लोग जुड़ते चले जाते हैं। इसलिए चाहें सरकारें बदलती रहें, मगर देश के आम नागरिक का विश्वास हमेशा जनतंत्र पे बना रहना चाहिए । यह जनतंत्र की रक्षा के लिए अत्यंत अनिवार्य है। महाराष्ट्र सरकार ने आम आदमी को बिलकुल साधारण समझने की जो भूल की है, उसका फल तो उनको मिलकर ही रहेगा। मगर हम सब नागरिकों का भी कर्त्तव्य है की हम अपनी एकता बनाये रखें और सरकार के गलत फैसलों में उनका साथ न दें।
१.३ बिलियन से भी अधिक नागरिकता वाले भारत देश में अगर जन साधारण कोई आंदोलन चलाये, तो सरकार को भी अपने घुटने टेकने ही पड़ेंगे। इसलिए जन साधारण को बिलकुल अनसुना कर, महारष्ट्र सरकार ने जो भूल कर दी है, उसका परिणाम भी उनको ही भुगतना पड़ेगा।
इसलिए अभी भी समय है, महाराष्ट्र सरकार से प्रार्थना है कि वो अधर्म का साथ त्याग दें और सच का साथ दें। सच में बहुत ताकत होती है , वो छिपाये नहीं छिपता है, और बाहर आ ही जाता है। इसलिए अभी भी समय है, अगर सरकार समय रहते जाग जाए ,तो अपने शाशन को संभाल पाएगी, वरना उसके हाथ से सब कुछ चला जायेगा और सब लोग देखते रह जायेंगें।
जो कुछ भी कंगना रनौत के साथ या सुशांत सिंह राजपूत के साथ हुआ, क्या वो सब अनदेखा किया जा सकता है? क्या हमारा समाज इसकी मान्यता देता है? अगर नहीं, तो जो भी हो रहा है , वो हमारे इतिहास की संरचना है। क्या आप को नहीं लगता कि अगर भविष्य कि दृष्टि से हम इसे भूतकाल में देखें, तो यह हमको गलत ही लगेगा। आज महाराष्ट्र में जो भी घटनायें घट रही हैं, उनको हमे अनदेखा नहीं करना चाहिए। यह समय एक बदलाव की शुरुवात का अंदेशा दे रहा है। अगर आज हम जागरूक बने रहे और अपने आस-पास हो रही गलत गतिविधियों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करते रहे, तो कल, हम अपने और अपने आने वाली पीढ़ियों को एक सुनहरा भविष्य दे सकने की क्षमता रखने वाले प्रगतिशील लोग कहलायेंगे। इसलिए आप भी अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद कीजिये। न अन्याय सहिये और न उसका साथ दीजिये क्यूंकि आज पूरे देश में नवभारत के निर्माण की नींव रखे जाने का प्रयास चल रहा है। मेरी आप सभी से प्रार्थना है कि आप भी इसके भागीदार बनिए, और एक सुनहरे भारत के निर्माण में हम सबका सहयोग कीजिये। यह देश हम सबका अपना प्यारा देश है और इसकी रक्षा करना भी हमारी जिम्मेदारी है।