मुझे याद है, इस बात को करीब ३० साल हो गये। उस समय BJP की बागडोर अडवाणीजी संभाले हुए थे। राम जन्मभूमि का आंदोलन छिड़ा हुआ था। और उसी सिलसिले में पार्टी ने भारत बंद का ऐलान किया। कॉलेज में पहले ही छुट्टी घोषित हो चुकी थी। हम, बस्ती के १५-२० नौजवान, सुबह ११ बजे सामने वाले मंदिर में जमा हो गए। २५ की आस पास का एक युवा नेता सब को संबोधित कर रहा था। उसने समजाया, हम सब जाके दुकानदारों को बंद का पालन करने के लिए आवाहन करेंगे। पर हिंसा या ज़बरदस्ती किसी के साथ नहीं होगी.
थोड़ी देर में हब सब हमारे आस पास के दुकानों मे चल दिए। दुकानदारों से बिनती करते, “हमें अयोध्या में राम मंदिर बनाना है। उसी सिलसिली में आज भारत बंद है। दुकान बंद कर दीजिये।” काफी दुकानदार आसानी से मान जाते, कुछ, थोड़ी मुश्किल से। एकाध घंटा घूमने के बाद यह देखा, की नजर में आने वाली सभी दुकाने बंद हो, चुकी है। सिर्फ दो छोड़ के। एक देसी दारू की, और उसके बगल की आलू-टिक्की वाली। अब हमारे नेता और ५-६ भाई, दारू वाले से मिलने चले। एक भाई बोल पड़ा, यह MP का आदमी है. (यह MP वही बगल में रहते थे, और तब कांग्रेस में थे। अब, बेटे भाजपा में है। दुकान के सामने पहुँचे तो हम में से एक बोल पड़ा, भाई बढ़ा दे यार।उसने जवाब दिया, “कर रहा हूँ। देख नहीं रहे, दुकान के सामने कितनी भीड़ है।” बात तो वह सही कर रहा था। नेताजी बोल पड़े, एक घंटे से वही बोल रहे हो। दोपहर होने आ गई। इतनी देर में आलु टिक्की की दुकान में चुप चाप सुन रहा शख्स, उठ खडा हो गया और चिल्लाया, “भागों यहाँ से…तुम सब की औकात क्या है? जब बंद करनी है तब करेंगे। तुम मुझे जानते नहीं हो।”
(जीवन में पहली बार फिल्म में सुने हुए इस वाक्य का असली मतलब समझ में आया।)
और उसके ३-४ आदमी सलिया-बाम्बू लेकर सामने आ गये। इस परिस्तिथि में क्या करना, इसका संज्ञान किसी को नहीं था। चुप-चाप पीछे हटने के सिवाय कोई रास्ता बचा नहीं (थोड़ी ही देर में शिवसेना के नेता को भिजवा कर दुकान बंद करवानी पड़ी ये बात अलग है)।
NDCC bank scam
उसके बाद में यह वाक्य किसी किसी की ज़बान से कई बार सुनने मिला। पर प्रचीती, फिर करीब एक दशक बाद आई। जब नागपुर के एक नेता ने cooperative bank का 150Cr का स्कॅम किया। उस स्कॅम में पिताजी के एक मित्र, जो के उस बैंक में प्रबंधक थे वो, धर लीये गये। पर बैंक के निदेशक और प्रमुख घपलेबाज 3 कलम लगने के बाद आज भी मस्त घूम रहे है। इतना ही नहीं, 2019 में फिर से काँग्रेस से MLA बनके वापस आ गये।
2002 में जब पहली और आख़िरी बार उन्हें bail मिली थी, सुनने में आता है उन्हों ने न्यायपालिका के प्रांगण में पत्रकारों को कहा था “वह जानते नही मैं कौन हूँ…”
बात तो सही थी।
मनु शर्मा
Whatever Nagpur can do, Delhi can do better। इस बात की प्रत्यय तब आया, जब राजधानी में मनु शर्माने, बिना रमानी की illegal party में देर रात में शराब ना देने पर जेसीका लाल को गोली मार दी थी। और, उसे कोर्ट पहली बार में सजा भी ना दे पाया था। तब मनु शर्मा दिल्ली के लोगों को ललकार रहा था “तुम मुझे जानते नही, मैं कौन हूँ…”
मेरी दादी, मेरे पापा, उनके दादा
Delhi तो ठीक है, पर यह भी सच है, की Nobody does it like a Gandhi! याद है किस तरह से राहुल गाँधी ने अपनी ही सरकार का आर्डिनेंस फाड़ के PM मनमोहन सिंह का सरे बाजार अपमान किया था? उस दिन वह इस खड़णप्राय देश के करोड़ो लोगों को चुनौती भरी स्वर में बता रहे थे “तुम मुझे जानते नहीं, मैं कौन हूँ …मैं कुछ भी कर सकता हूँ। मुझे देश के प्रधानमंत्री भी रोक नहीं सकता।”
इस घटना के कुछ ही दिन बाद जब National Herald Scam में सोनिया गाँधी और उनके सुपुत्र को कोर्ट में हाज़िर होने की नोटिस भेजी गई, तब सोनिया जी ने करारा जवाब दिया. “मैं डरती नही हूँ। मैं इंदिरा गांधी की बहू हूँ।” वो तो बेचारी अपने आप को बचाने की कोशिश कर रही थी, पर ना जाने मुझे क्यों “तुम मुझे जानते नही हो…” सुनाई दिया. और कमाल देखिये न्याय-व्यवस्था का, वो आज तक खुला घूम रहीं हैं.
हाल ही में जब UP सरकार ने प्रियंका गाँधी को अनाथ आश्रम की लड़कियों को बदनाम करने के लिए नोटिस भेजा तो उन्होंने योगी आदित्यनाथ को उनकी औकात याद दिला दी। एक स्वतंत्र और स्वयंभू नारी की भाषा में उन्होंने बोला “मै इंदिरा गाँधी की पोती हूँ…” नारी शक्ति-करण का इससे अच्छा उदाहरण आपको आज मिलेगा नहीं। १९९७ से जिस अवैध तरीके से वह लुटियंस का बंगला हतियाके के बैठी है, उसी से उनकी शक्ति का यथोचित प्रदर्शन तो हो ही चुका है। और उन्होंने एक झटके में जैसे वह बँगला खाली कर दिया, वह उनका आत्मसम्मान ही दिखाता है।
अब सवाल यह है की हम जैसे साधारण लोग, जिन्हे हर कोई जानता है, वह इस “तुम मुझे जानते नहीं…” वालों की दुनिया में क्या करे? जब मेरे से पुलिस लाइसेंस मांगती है तो क्या मैं बोल सकता हूँ, “आप तो मुझे जानते हो। लाइसेंस देखने दिखाने कहीं लेट हो गया तो तनख्वा कट जाएगी?” जब मुनिसिपालिटी घर का टैक्स लेट भरने पे, कुड़की लाने की धमकी देती है तो क्या मैं बोल सकता हूँ “माई-बाप सरकार आप तो जानते है, मैं यहाँ सालों से रहता हूँ. कंहा जाऊँगा? और आप तो यह भी जानते है की lockdown चल रहा है। आर्थिक स्तिथि गंभीर है.” यहाँ तो चालीस साल से सफर करने बाद भी हर बार रेलवे ID मांगती है!
खैर, मुझे इस बात की खुशी है की आज, ६० साल “तुम मुझे जानते नहीं” वालों ने राज करने के बाद, “आप तो मुझे जानते हो” को मौका तो मिला। पर मुझे एक बात का डर अभी भी सताता है। कहीं फिर कोई “तुम मुझे जानते नहीं” का कोई बेटा या पोता फिर से हमारी जिन्दगी को इमरजेन्सी मे झोंकने या बोफ़ोर्स scam करने ना आ जायें।