स्वदेशीकरण आज का विचार नही है। भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के पहले भी, महात्मा गांधी के नेतृत्व में इसकी अलख जगायी गयी थी। उस समय अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन के दौरान अंग्रेजी कपड़ों की होली जलायी जाती थी। स्वदेशी की मुहिम स्वतंत्रता आंदोलन का एक साधन बन गयी थी, परिणाम स्वरूप भारत स्वतंत्रता के पश्चात कपड़ो के क्षेत्र में ही सही, इस मामले में आत्मनिर्भर हो गया था।
परन्तु वर्तमान समय में पुनः स्वदेशीकरण की आवश्यकता क्यों महसूस हुई है?
इसका मुख्य कारण विश्वभर में फैली कोरोना वायरस की महामारी जिसने विश्व की सप्लाई चेन की व्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित कर दिया। जैसा कि हम जानते हैं की चीन विश्व का सबसे बड़ा निर्यातक देश है, रोजमर्रा की प्रयोग किये जाने वाले वस्तुओं का ज्यादातर का निर्यात लगभग सभी देश चीन से ही करते हैं। देखने में आया है कि चीन ने इस स्थिति का भरपूर लाभ उठाने की कोशिश की है, मास्क एवं पीपीई किट मनमाने दामों पर निर्यात किया। भारत भी चीन के इस दंश से अछूता नही रहा, कुछ रिपोर्टों के अनुसार, चीन ने खराब गुणवत्ता की किटें निर्यात की। और अब जब भारत में कोरोना की महामारी चरम पर है, जिसमे अब तक दस लाख लोग कोविड-19 से संक्रमित हो चुके हैं, औऱ अर्थव्यवस्था का पतीला लग चुका हो, लाखों लोग बेरोजगार हो चुके हो, हज़ारों कंपनियां बन्द हो चुकी हो, तो पुराने तौर तरीकों से देश नही चलाया जा सकता और न ही इस संकट से उबारा जा सकता है। इसी दिशा में भारत सरकार ने आगे बढ़ते हुए आत्मनिर्भर अभियान की शुरुआत की, जिसमें सर्वप्रथम 300 अरब डॉलर का “विशाल राहत पैकेज” देकर ढलती हुई अर्थव्यवस्था को एक धक्का देने का प्रयास तो किया गया है, परन्तु इसका असर स्वदेशीकरण में कितना सहायक सिद्ध होगा यह आगे देखने वाली बात होगी।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने एक राष्ट्रीय संबोधन में “क्वांटम लीप” कि परिकल्पना की, इसका तात्पर्य, कुछ विशिष्ठ उपायो से देश अप्रत्याशित गति से दौड़ पुनः सकता है, और 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। इस लक्ष्य प्राप्ति के लिए कराधान से लेकर कई रेगुलेटरी सुधार करने की आवश्यकता होगी। इसी क्रम में भारत ने स्पेस सहित रक्षा क्षेत्र प्राइवेट सेक्टर के लिए खोल दिया है।
इसी बीच एक घटना ने स्वदेशीकरण की मुहिम को तेज कर दिया, वो थी LAC पर लदाख के गलवान घाटी में भारत और चीन सैनिकों के मध्य हुये ख़ूनी झड़प में, जिसमे हमारे 20 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए, हालांकि चीन के भी करीब 43 सैनिक मारे गए परुन्तु चीन की ओर से इसका अनुमोदन अभी तक नही किया गया। इस घटना के पश्चात देशभर के लोगो में चीन के प्रति तीव्र रोष देखने को मिला। “बायकॉट चायना” मुहिम स्वतः ही अपने चरम पर पहुँच गयी। देश में उठे रोष को देखते हुए सरकार ने भी तेजी से कार्य करते हुए 59 चाइनीज़ ऐप को प्रतिबंधित कर दिया जिसमे बेहद लोकप्रिय टिक टॉक ऐप भी शामिल था और कई टेंडर जो कि चीनी कम्पनीयों से अनुबंधित थे उन्हें रद्द कर दिया। इससे अब भारतीय कंपनियों को अपने प्रोडक्ट्स को बाज़ार में जल्द से जल्द उतारने का एक खुला मैदान मिल गया है।
स्वदेशीकरण कि मुहिम इस समय की सबसे बड़ी आवश्यकता बनकर उभरी है। प्रधानमंत्री भी बार बार आत्मनिर्भरता पर जोर देने लगे है, आज भारत जैसे मास्क और पीपीई किट्स के मामले में स्वदेशीकृत हुआ है वैसे ही आज भारत को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की जरूरत है, आज भारत को अपने सभी डिफेंस इक्विपमेंट्स की बनाने की आवश्यकता है, आज भारत को अपने स्वदेशी जीपीएस मैप जैसे बहुत सारे यूटीलिटी सॉफ्टवेयर बनाने की जरूरत है, आज भारत को पूर्ण आत्मनिर्भर होने की जरूरत है। इतना ही नही, भारत को वैश्विक सप्लाई चेन में अपना योगदान बढ़ाना होगा, जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था का निर्माण करना होगा। इस समय भारत सरकार ने कुछ इंसेंटिव की घोषणा भी की है, जिसमे टॉप 5 कंपनियों को भारत में किसी भी राज्य में मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में निवेश करने पर कैशबैक मिलेगा।
भारत में अभी भी सुधार की बहुत आवश्यकता है। लालफीताशाही, पुराने लेबर लॉज़ एवं कॉरपोरेट टैक्स अभी भी अर्थव्यवस्था के लिए विशेष कांटे बने हुए है। “ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस” को गति देने के लिये इन काँटो को तेजी से हटाना होगा और कड़े फैसले लेने होंगे तभी स्वदेशीकरण के “लय” को पाया जा सकता है, अन्यथा “चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात”।