Monday, October 14, 2024
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जनरल जीडी बक्शी के गुस्से ने वामियों को ट्विटर पर चूड़ियां तुड़वा दीं

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Abhishek Singh
Abhishek Singh
Columnist : Politics. National Issues. Public Policies.

राष्ट्रीय न्यूज चैनल “रिपब्लिक भारत” पर एक डिबेट शो के दौरान रिटायर्ड मेजर जनरल जीडी बक्शी ने एक पैनलिस्ट को गाली दे दी तो पूरे लिबरल समाज ने ट्विटर पर चूड़ियां तोड़ना शुरू कर दिया।

दरअसल डिबेट शो के दौरान मेजर जीडी बक्शी को एक पैनलिस्ट द्वारा बार बार युद्ध की बात को लेकर उकसाया गया। पैनलिस्ट अपनी व्यंगपूर्ण भाषा में युद्ध करने की बात कह रहा था, ये उस दौरान हुआ जब जीडी बक्शी अपनी बात रख रहे थे। जीडी बक्शी को बीच में बार बार टोके जाना हजम नहीं हुआ, और गुस्से में वो गाली दे बैठे।

जैसा कि आप जानते हैं कि दोगलेपन में सबसे माहिर रहने वाले वामपंथी ऐसी चीजों को ही अपना मुद्दा बनाने की कोशिश करते हैं। इसी क्रम में वामियों का पूरा नेक्सस एक्टिव हो गया और मीडिया में नैतिकता को लेकर ज्ञान देने लगा। बड़े बड़े आर्टिकल्स लिखे जाने लगे।

जीडी बक्शी के प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते रहना पहले ही वामियों को हजम नहीं होता था, ऐसे में ये मुद्दा उनके लिए भीषण ठंड में सूखे गांजे की तरह था। इन वामपंथियों का पूरा जीवन जिन तथ्यों के ख़िलाफ़ चिल्लाते हुए बीतता है ये अंत में जाकर वही करने लगते हैं, मतलब थूक कर चाटने में इनकी न कोई बराबरी थी न कभी होगी।

इससे पहले न्यूज 18 पर अमीश देवगन की डिबेट में कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता राजीव त्यागी ने एंकर अमीश देवगन को भड़वा और दल्ला बोला था तो उनके समर्थन में पूरी कांग्रेस पार्टी और उनके चाटुकार पत्रकारों के एक धड़े ने ट्विटर पर ट्रेंड चलाया था। इन वामपंथियों और लिबरल समाज की नैतिकता और संस्कार तब कहां थे?

जब ये वामपंथी भारतीय सेना को रेपिस्ट बोलते हैं, भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशा अल्लाह – इंशा अल्लाह के नारे लगते हैं, उत्तर – पूर्व को भारत से अलग कर देने की बातें खुले मंचों से करते हैं तब इनकी नैतिकता और संस्कार कहां होते हैं?

वामपंथी नेक्सस की सबसे मजबूत इकाई के इस लड़ाके ने तो मेजर साहब को ही बिकाऊ बता दिया और भारतीय सेना पर भी शक जता दिया

एक हाथ में संविधान और दूजे में गांजा रखने वाले वामियों ने आज ट्विटर पर जीडी बक्शी को भर – भर के गालियां दीं। जिस देशभक्त और ईमानदार फौजी में 1965 युद्ध में अपने भाई को खो दिया, 1971 में देश के लिए जंग लड़ी, 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान एक सैन्य टुकड़ी का नेतृत्व किया, इन गंजेडियों ने उस फौजी को सरकार का एजेंट बता दिया। इन्हीं मूर्खों ने दूसरी तरफ मीडिया की नैतिकता पर जम कर ज्ञान ढ़ेला। यही इन थूक कर चाटने वालों की सच्चाई है।

न ही नैतिकता और न ही इस देश से इन वामियों का कोई नाता है। ये बस एक विशेष विचारधारा को अपना जीवन देने के लिए जन्मे हैं। इनका ये दर्द देखकर खुशी होती है।

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