क्या जो आज अमेरिकन-अफ्रीकन मूल के लोग इतना बड़ा अन्दोलन कर रहे है, ये यूरोपीयन देशों और पश्चिमी देशों में रंगभेद है ऐसा क्यूँ है? क्या इसमें अफ्रीकन लोगों की गलती है या यूरोप के गोरे लोगों का?
ये सिर्फ और सिर्फ अफ्रीकन लोगो की ही गलती है जिन्होंने अपनी सभ्यता, संस्कृति, पहचान, भगवान सभी छोड़ कर मॉडर्न बनने के चक्कर में धर्मपरिवर्तन कर लिए अफ्रीकन में कभी रंगभेद नहीं था, ये धर्मपरिवर्तन कर के इसाई बन गए और बाइबल को अपना लिया और ये रंगभेद का असली जड़ बाइबल है, उसमें एक कल्पित कहानी है की-
एक बार नूह ने अंगूर की खेती की, शराब का उत्पादन किया और थोड़ा बहुत पिया और नग्न ही सो गया उसके तीन बेटों में से एक हैम ने उसका मजाक उड़ाया, तो नूह ने उसको श्राप दिया की वह आज से काला (नीग्रों) हो जायेगा और उसके वंशज बाकी बेटों के वंशज की दासता करेंगे और हमेशा गुलाम बने रहेंगे। बाइबल के अनुसार, यह श्राप दासता का कारण है और नूह के अभिशाप के कारण ही अफ्रीकन, और भारत में रहने वाले लोगों की त्वचा काली है। ऐसा बताया गया की “ईश्वर ने नीग्रों और काली त्वचा वाले लोगों को डिज़ाइन किया था और उन्हें गोरों का दास बनने के लिए कहा था”।
बाइबल में ये कल्पित कहानी इसलिए डाला गया ताकि इस गुलामी को सही ठहराया जा सके और कोई भी इस गुलामी के खिलाफ ना जाये नहीं तो बाइबल के भगवान का श्राप उन्हें झेलना पड़ेगा। ऐसा कर के यूरोपीय देशों ने सभी अफ्रीकन और भारत जैसे देशो के काले त्वचा वाले लोगों को गुलाम बनाया और सही भी ठहराया, ऐसा करने से उन्हें मुफ्त में मजदुर भी मिल गए जो उनकी गुलामी कर रहे थे और उन देशो के प्राकृतिक संसाधनों पे अधिकार भी अब कोई इनको गलत भी नहीं बोल सकता था।
ऐसा करके वे अफ्रीका और भारत जैसे देशों मुफ्त मजदूर, मुफ्त में प्राकृतिक संसाधन, खनिज ले कर यूरोपीय देश अमिर बनते गए और खुद का विकास किया। आज जो इतना विकसित यूरोप दिखता है जिस पे वे नाज़ करतें हैं वो पूरा का पूरा भारत और अफ्रीका जैसे देशो के शोषण से बना है केवल भारत से ही 45 लाख ट्रिलियन यूरोप गया था, अफ्रीका से भी अनुमानतः इतना ही गया होगा। फिर इसी चर्च ने बाइबल के हवाला दे कर ये भी बताया की गोरे लोग काले लोगों से ज्यादा, सुन्दर, बुद्धिमान होते हैं और काले लोग सिर्फ गुलामी करने के लिए ही बने हैं। ऐसा कर के वो काले अफ्रीकन, और भारतीय लड़िकओं के साथ जबरन सम्बन्ध और बलात्कार भी किये और उसे भी न्यायसंगत बताया गया ऐसा बताया गया की ऐसा करने से जो इन लड़कियों से बच्चे पैदा होंगे वे “पवित्र” होंगे।
उदहारण के लिए एक अमेरिकन इन्वेंजेलिस्टस नाम के संस्था है जो चर्च द्वारा संचालित है ये भारत और अफ्रीका जैसे देशो में धर्म परिवर्तन करवाता है ये कहता है की 10 डिग्री उत्तर और 40 डिग्री उत्तर के बीच के देश जिसमे भारत और अफ्रीका जैसे देश आते है वह “शैतानो का गढ़ है” ऐसा इसलिए बोला जाता है क्यूंकि यहाँ काली चमरी वाले लोग रहतें है।
आज जो लोग कोलंबस की वाह वही करतें हैं उनकी जानकारी के लिए बता देना चाहता हूँ की जब ये अमरीका में आया तब यहाँ के मूल निवासी जिन्हें “रेड इंडियन्स” या “नेटिव अमेरिकन” कहा जाता, उनकी जनसंख्या 1 करोड थी, बाद में चर्च के तरफ से काम करने वाले कोलंबस ने बाकि लोगों को बुला कर धर्म परिवर्तन ये बोल कर करवाया की तुम “रेड इंडियन्स” अपवित्र, बुद्धिहीन, जंगली हो और वो उनको पवित्र करेंगे. बहुत लोग झांसे में आ कर धर्म परिवर्तन कर लिए और जो विरोध किये उन्हें मार दिया गया। अमेरिका में जहाँ वहाँ के मूल निवासी की संख्या चर्च के हस्तक्षेप से पहले 1 करोड़ थी आज ये मात्र 10 लाख है। वहाँ के मूल निवासिओं को मार कर चर्च और इसाई ने पुरे देश में कब्ज़ा किया यही चर्च ने भारत और अफ्रीका जैसे देशो में किया।
आज जो अफ्रीकन अपनी संस्कृति छोड़ कर धर्मपरिवर्तन कर के इसाई बन गए हैं और रंगभेद का विरोध कर रहे हैं उन्हें तो सबसे पहले इसाई धर्म छोड़ देना चाहिए, क्यूंकि वे वही बाइबल और चर्च को मान रहे हैं जिसमे सीधे तौर पे कहा गया है की गोरे लोग ही पवित्र है और काले लोग अपवित्र हैं और उन्हें गुलामी करने के लिए ही बनाया गया है। अगर आप इसाई धर्म अपना रहे हैं इसका मतलब ही है आप इन बातों का समर्थन कर रहे हैं, तो आप ये रंगभेद के खिलाफ जो आन्दोलन खड़ा किया हैं ये सिर्फ ढोंग ही है और कुछ नहीं।