Saturday, November 2, 2024
HomeHindiमंदिर को नष्ट करके जमीन हडपने की साजिश

मंदिर को नष्ट करके जमीन हडपने की साजिश

Also Read

भारत में ऐसे अनेको मंदिर होंगे जो की मुस्लिम के कब्जे में हैं और ये भूतकाल की बात नहीं हैं बल्कि ये आज भी हो ही रहा है, भारत में लगातार मुस्लिम, वामपंथी, कांग्रेस, ईसाई चर्च के द्वारा के द्वारा ये कोशिश की जा रही है की मंदिर पे कब्ज़ा करके उस जमीन को हथिया लिया जाये या उस मंदिर को मजार में बदल दिया जाये , जम्मू कश्मीर में 1 हज़ार से भी ज्यादा मंदिर तोड़े गए हैं और उसमे से बहुत को मुस्लिम स्थल में बदल दिया गया है। ये पूरी तरह से साजिश के तहत निरंतर किया जा रहा है ताकि मंदिर या हिन्दुओं की जमीन को हडपा जा सके।

भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण और कांग्रेस का छद्म

भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण (भा.पु.स.) भारत की सांस्‍कृतिक विरासतों के पुरातत्‍वीय अनुसंधान तथा संरक्षण के लिए एक प्रमुख संगठन है। इसका प्रमुख कार्य राष्‍ट्रीय महत्‍व के प्राचीन स्‍मारकों तथा पुरातत्‍वीय स्‍थलों और अवशेषों का रखरखाव करना है। इसके अतिरिक्‍त, प्राचीन संस्‍मारक तथा पुरातत्‍वीय स्‍थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के प्रावधानों के अनुसार यह देश में सभी पुरातत्‍वीय गतिविधियों को विनियमित करता है। यह पुरावशेष तथा बहुमूल्‍य कलाकृति अधिनियम, 1972 को भी विनियमित करता है। यह संस्‍कृति मंत्रालय के अधीन है।

यहाँ मैंने भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण पे और कांग्रेस पे आरोप क्यों लगाया है, भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण ने बहुत से पौराणिक मूर्तियाँ जो जनजाति क्षेत्रों से पायीं थी या मुस्लिम बहुल इलाके या अन्य इलाके के पायीं थी उन्हें संग्रहालय में पहुंचा दिया गया जिससे ये हुआ की जहाँ मुर्तिओं को होना चाहिए था वह अब वहाँ पर नहीं था और जिस कारण वहाँ के लोग भी भुला जातें हैं की यहाँ पर कोई भी हिन्दू मंदिर या देवी देवता का मूर्ति है उसके बाद जनजाति क्षेत्र में इसाई चर्च द्वारा धर्मांतरण करने में सुबिधा हो जाती है। वहीँ अगर कोई मुस्लिम क्षेत्र है तो एक बार मूर्ति हटने के बाद वहाँ मजार बना के पूरा इलाका कब्ज़ा कर लिया जाता हैं। मज़ार बनाना इस्लाम में हराम है, किसी अन्य मुस्लिम देश में मज़ार नहीं बनाया जाता है लें यह भारत में होता है सिर्फ इसलीये की जमीन या मंदिर पे कब्ज़ा किया जा सके।

इसी तरह बहुत से मंदिर से भी भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण द्वारा मदिर से मंदिर हटा के संग्रहालय में डाल दिया गया, खुद सोनिया गाँधी पे भी आरोप लग चूका है की मंदिर की सम्पति को और बहुत सी अष्टधातु की देवी देवता की मंदिर वो विदेश में बेच चुकीं हैं। ये बार मंदिर परिसर से मूर्ति हटने के बाद हिन्दू वहाँ जाते नहीं, उस मंदिर का रख रखाव भी कम होने लगता है फिर मुस्लिम उसपे मज़ार बना के उसे कब्ज़ा लेते हैं।

भारत में इसाई चर्च को और मुस्लिम को पूरी छुट मिली हुई है ये आराम से हिन्दुओं के सम्पति पे कब्ज़ा के लेते हैं। मुस्लिम वक्फ बोर्ड के पास भारत सरकार के बाद सबसे ज्यादा जमीन है जो की 3 लाख एकड़ है किन्तु जब कब्रिस्तान बनाने की बात आती है तो सरकार उन्हें जमीन दिलवाती है या वो हिन्दू और आदिवासिओं (झारखंड जैसे प्रान्त में) जमीन पे कब्ज़ा लड़ के कर लेते हैं। यह दिखाता है की किस प्रकार हिन्दुओं के जमीन और मंदिरों पर कब्ज़ा किया जा रहा है। मंदिर के सम्पति पे जहाँ सरकार का कब्ज़ा होता हैं वहीं चर्च और मस्जिद के सम्पति पर उन्ही का कब्ज़ा होता है उसपे सरकार हस्तक्षेप भी नहीं कर सकती , आंध्र प्रदेश , केरल, तमिलनाड़ु जैसे राज्यों में मंदिरों के पैसों से ही चर्च और मस्जिद द्वारा  उपयोग करके हिन्दू के खिलाफ और  धर्मान्तर में करते हैं। आंध्र प्रदेश में कहा जाता है की वहाँ मात्र 2.5% इसाई है किन्तु सत्यता देखा जाये तो वहाँ लगभग 25% तक इसाई होने की सम्भावना है , ऐसा इसलिए इसाई में धर्मपरिवर्तन होने के उन्हें आरक्षण की सुविधा ख़त्म हो जाती है ऐसे में लोग इसाई तो बन जाते हैं लेकिन नाम हिन्दू जैसे ही रखते हैं औए ना ही पंजीयन करवाते हैं।

जफर खान गाजी दरगाह, बंगाल

 क्या ज़फर खान ग़ाजी दरगाह प्राचीन हिन्दू मंदिर था?

दरगाह का दरवाजा स्पष्ट रूप से मंदिर की प्रवेश वास्तुकला से मिलता-जुलता है, जबकि दरगाह की दीवार हिन्दू मंदिरों की तरह डिजाइन कि गयी है। प्रवेश द्वार और खिड़कियों पर हिन्दू देवी देवताओं की प्रतिमाएं उकेरी गई हैं और कुछ स्थानों पर संस्कृत के छंद बंगाली भाषा में स्पष्ट लिखे हुए हैं? अगर यह मंदिर नहीं था तब हिन्दू देवी देवताओं की प्रतिमाएं मंदिर में कैसे आईं, और वो भी टूटी-फूटी?

छत्तीसगढ़ में 1,300 साल पुरानी गणेश जी की मूर्ति को माओवादियों द्वारा तोडा गया

छत्तीसगढ़  2012 में एक स्थानीय पत्रकार द्वारा इस साइट की खोज के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने पाया की यह गणेश जी की मूर्ति 1,300 साल पुरानी है  राज्य सरकार ने इस क्षेत्र को एक पर्यटक आकर्षण के रूप में विकसित करने के लिए 2 करोड़ रुपये मंजूर किए थे। माना जाता है कि गणेश की मूर्ति नागवंशी वंश की है।

27, जनवरी 2017 को, एक खोज दल ने क्षतिग्रस्त मूर्ति को दंतेवाड़ के ढोलकल पहाड़ी के आधार पर पाया था, जब आगंतुकों ने बताया कि यह एक दिन पहले गायब हो गया था। बस्तर पुलिस ने कहा था कि माओवादियों ने अपने गढ़ में विकास कार्य को रोकने के लिए मूर्ति को 13,000 फुट ऊंचे स्थान से धकेला होगा।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने छत्तीसगढ़ की 1,300 साल पुरानी गणेश की मूर्ति को बहाल कर दिया है। पूजा पाठ फिर से शुरू हो गया है।

क्या करें ?

टांगीनाथ धाम

टांगीनाथ धाम में कई पुरातात्विक व ऐतिहासिक धरोहर हैं, जो आज भी विद्यमान हैं। यहां की कलाकृतियां व नक्कासी, देवकाल की कहानी बयां करती हैं। साथ हैं कई ऐसे स्रोत, जो 7वीं व 9वीं शताब्दी में ले जाता है। यह धार्मिक के अलावा पर्यटक स्थल के रूप में भी विश्व विख्यात है. मान्‍यता है कि गुमला से 70 किमी दूर डुमरी प्रखंड के टांगीनाथ धाम में साक्षात भगवान शिव निवास करते हैं।

सैलानियों को यहां धर्म कर्म के अलावा सुंदर व मनमोहक प्राकृतिक दृश्य देखने को मिलेगा. 1989 में पुरातत्व विभाग ने टांगीनाथ धाम के रहस्य से पर्दा हटाने के लिए अध्ययन किया था। यहां जमीन की भी खुदाई की गयी थी.

उस समय भारी मात्रा में सोना व चांदी के आभूषण सहित कई बहुमूल्य समान मिले थे. लेकिन कतिपय कारणों से खुदाई पर रोक लगा दिया गया ।इसके बाद टांगीनाथ धाम के पुरातात्विक धरोहर को खंगालने के लिए किसी ने पहल नहीं की।

अब यहाँ  भव्य मंदिर बनाया जा चूका है लेकिन  कमी कहाँ रह गई ?

मंदिर सिर्फ पूजा स्थल नहीं अपितु ध्यान स्थल और ज्ञान स्थल भी होता है , जैसा की पुरातन मंदिरों के में उकेरी गई कलाकृति से पता चलता है , अतः इसका निर्माण भी इसी तरह से करवाना चाहिए भले थोडा ज्यादा समय लगेगा किन्तु  यह एक ज्ञान स्थल और ध्यान स्थल भी हो जायेगा और लोगों को पता भी चलेगा की पुरातन समय की स्थापत्य कला , विज्ञान, ज्योमिती कितनी महान थी । और जितने भी बचे हुए भग्नावशेष थे उन्हें भी मंदिर निर्माण में काम लेकर उसी अनुसार मंदिर निर्माण किया जाना चाहिए था जिससे इसकी भव्यता और पौराणिक संस्कृति भी बनी रहती । अगर संभव हो तो मंदिर के साथ से विद्यालय भी होना चाहिए ताकि आने वाले पीढ़ी को भी उक्त मंदिर के बारे में जानकरी हो और वे जहाँ भी जाये अपने साथ ज्ञान और संस्कृति के कर जाएँ ।

उदहारण के लिए देखा जाये तो उड़ीसा के कोणार्क मंदिर में हम देख सकतें हैं कि पुरे मंदिर का निर्माण 5 परत में बनाया गया है जहाँ – 

  • प्रथम लेयर में पशु पक्षी का निर्माण है जो की बच्चों के कहानी के रूप को दर्शाती है
  • द्वितीय लेयर में संगीत और कला को प्रदर्शित करती मूर्ति बनी है
  • तृतीय लेयर में राजनीती को प्रदशित करती मूर्ति बनी है
  • चतुर्थ लेयर में काम शिक्षा हेतु मूर्ति बनायी गई है
  • और पंचम लेयर में भगवान की मूर्ति बनाई गई है जो परम ज्ञान को प्रदर्शित करती है

अन्य जितने भी पुराने मंदिर हैं उनमे सभी में कहानी और ज्ञान हेतु ही मंदिर के पुरे निर्माण में मूर्तियाँ उकेरी गई है , परन्तु आज जितने भी मंदिर बनती है वो सिर्फ और सिर्फ पूजा करने हेतु बनती है । मेरे हिसाब से वर्तमान समय में ऐसे ही मंदिर का निर्माण होना चाहिए , पुराने जितने भी मंदिर बने हैं वो सभी हजारों साल पुरानी है अतः ऐसे मंदिर निर्माण से यह लम्बे समय तक बना रहेगा और ज्ञान की प्राप्ति होगी ।

आंजन धाम

भगवान हनुमान जी के जन्म का इतिहास झारखंड के गुमला जिले के उत्तरी क्षेत्र में अवस्थित आंजन ग्राम से जुड़ा हुआ है। मान्यता है की यही माता अंजनी ने भगवान हनुमान को जन्म दिया था। माता अंजनी के नाम से ही इस गांव का नाम आंजन पड़ा। यह गांव जिला मुख्यालय से लगभग 22 किमी की दूरी पर अवस्थित ।यहां के लोग मानते हैं कि हनुमान का जन्म गुमला जिले के आंजनधाम में स्थित पहाड़ी की गुफा में हुआ था। आंजनधाम गुमला शहर से 20 किमी दूर जंगलों के बीच है। जिस गुफा में हनुमान जी का जन्म हुआ था, उसका दरवाजा कलयुग में अपने आप बंद हो गया। आज भी यह गुफा आंजन धाम में मौजूद है।

यहाँ के मुख्य पुजारी का नाम केदारनाथ पाण्डेय है ये तो आम बात की ये मंदिर का पंडित ब्राहमण ही होता है इसमें अलग क्या है ? यहाँ 85% की आबादी वनवासी या आदिवासी हैं जो की कहीं न कहीं सनातन धर्प से जुड़े हुए हैं और ये खुद भी हनुमान जी की पूजा भी करते हैं परन्तु इस मंदिर का मुख्य पुजारी एक हिन्दू ब्राहमण, मैं कोई ब्राहमण विरोधी नहीं हूँ बल्कि मेरी चिंता इस पर है की भगवान  हनुमान भी वनवासी थे और वर्तमान में यहाँ रह रहे लोग भी वनवासी हैं। ऐसे स्थिति मेंआदिवासिओं के समाज से कोई मुख्य पुराजी होना चाहिए, और उन्हें अपने परंपरा के अनुसार पूजा करने की भी छुट मिलनी चाहिए।

ऐसा क्यूँ है की आदिवासी जिनकी परम्परा संस्कृति सनातन धर्म को है वे आज चर्च के तरफ जा रहे है इसका मुख्य कारण है की हम उनको जोड़ने की बात तो करते हैं लेकिन जोड़ते नहीं हैं चर्च के द्वारा जहाँ भी धर्म परिवर्तन करवाया जाता है वही के समाज के लोगों में से ही चर्च का पुजारी बनाया जाता है इससे उन्हें बहुत ज्यादा फायदा होता है उस समाज को लगता है की चर्च उन्हें इज्जत दे रहा है और वो उन्ही को मुखिया बना रहा है ऐसे में धर्मपरिवर्तन किये गए लोग आसानी से दुसरे को धर्म परिवर्तन के लिए परिवर्तित करते हैं। चूँकि वे उन्ही के समाज के होते हैं, भाषा और संस्कृति भी एक होतो है ऐसे में वे आसानी से जुड़ कर धर्म परिवर्तन करवा देतें हैं।

शिव मंदिर बना खंडहर

यह मंदिर आंजन धाम जाने के रास्ते में ही पड़ता है  यह पहले शिव मंदिर हुआ करता था, ग्रामीणों के अनुसार यहाँ की शिवलिगं को 35 साल पहले  खंडित करके चुरा लिया गया था तबसे यह मंदिर बंद पड़ा है अगर इस मंदिर का जीर्णोद्धार नहीं किया गया तो भविष्य में कभी न कभी गाँव के आस पास रहने वाले मुस्लिम द्वारा यहाँ मजार बना के इस पे कब्ज़ा किया जा सकता है। ऐसे मंदिरों को तुरंत ही जीर्णोद्धार करना चहिये।

चरणबद्ध तरीका

  • जिस मंदिर से मूर्ति हटा दिया गया है वहाँ पे तुरंत जीर्णोद्धार कर के उसे फिर से खोला जाये अगर ऐसा नहीं होता किया जाये तो भविष्य में मुस्लिम वहाँ मज़ार बना के जमीन और मंदिर दोनों कब्ज़ा कर सकता है।
  • जो मंदिर पूरी तरह से टूट गया है उससे पौराणिक मंदिर निर्माण विज्ञानं  के अनुरूप से बनाया जाये और यहाँ सिर्फ पूजा नहीं अपितु ज्ञान और ध्यान भी हो।
  • मंदिर के आस पास अगर जमीन उपलब्ध हो तो वहाँ विद्यालय खोला जाये और योग शिक्षा भी दिया जाना चाहिए।
  • भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण द्वारा खोजी गई मूर्ति को संग्रहालय में ले जाने के बजाये उसे वहीँ पर मंदिर निर्माण करके स्थापित कर देना चाहिए क्योंकी संग्रहालय में जाने के बाद उस इलाके के लोग भूल जातें हैं की वहाँ हिन्दू धर्म काफी पुराने समय से है और वहाँ के लोग संग्रहालय जाते भी नहीं, इस कारण लोग धीरे धीरे भूल जाते हैं की यहाँ से कभी हिन्दू भगवान की मूर्ति मिली थी, और बाद में मूर्ति हटने के बाद मुस्लिम वहाँ मज़ार बना के कब्ज़ा के लेतें हैं।
  • जितने भी ऐसे मंदिर जो किसी आदिवासी इलाके में है वहाँ पे मुख्य पुजारी उसी के समाज का हो और उन्हें अपनी परंपरा के अनुसार पूजा करने की अनुमति हो, उन्हें ये बताया जा सकता की उन्हें मांसाहार और मदिरा सेवन नहीं करना है।
  • ऐसे सभी मंदिर जहाँ से मूर्ति हटी है मंदिर पूरी तरह से टुटा हो या आंशिक रूप से टुटा हो , सभी हिंदूवादी संगठनों के मदद से उसे खोज के जीर्णोद्धार ये पुनर्निर्माण करना चाहिए।

  Support Us  

OpIndia is not rich like the mainstream media. Even a small contribution by you will help us keep running. Consider making a voluntary payment.

Trending now

- Advertisement -

Latest News

Recently Popular