भारत चीन सीमा विवाद दशकों को पुराना है। चीन ने 1962 के युद्ध में भारत का बहुत ही महत्वपूर्ण सामरिक क्षेत्र अक्साई चीन को अपने कब्जे में ले लिया। अक्साई चीन का क्षेत्रफल लगभग 42,685 वर्ग किलोमीटर है जिस पर चीन ने अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है। चीन अरुणाचल प्रदेश को अपने तिब्बत का पूर्वी हिस्सा मानता है। अब यह सवाल उठता है की यह सीमा विवाद अभी तक लंबित क्यों है और इस सीमा विवाद के जड़ कब से है। जब प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे उनके शासनकाल में तिब्बत का विवाद जन्म हुआ जब चीन ने तिब्बत पर अवैध रूप से कब्जा किया और वहां से तिब्बती बौद्ध शरणार्थी जिसमें वहां के धार्मिक बौद्ध गुरु दलाई लामा और उनके साथी भारत में शरण के लिए चले आए।
अब सवाल आता है कि चीन इस महामारी के समय इतना आक्रमक रुख़ अपने पड़ोसियों के साथ क्यों अपना रहा है? इसके अनेक कारण है जिसमें से एक कारण यह है कि कोरोनावायरस को लेकर चीन का विश्व समुदाय को भ्रमित करना और सही समय पर सूचनाओं को साझा न करना। जिससे विश्व समुदाय चीन पर कार्यवाही और भारी भरकम जुर्माने की मांग कर रहा है और ऑस्ट्रेलिया जैसे अनेक देश चीन पर निष्पक्ष जांच की मांग कर रहा है इससे चीन काफी घबराया हुआ है जिससे चीन अपने पड़ोसियों के साथ किसी न किसी विवाद को जन्म दे रहा है जिससे कि जिस समुदाय का ध्यान कोरोनावायरस से हट जाए। इसी के तहत चीन अपने घरेलू मोर्चों (हांगकांग और ताइवान) पर भी आक्रमक रुख अपना है। चीन ने जो हांगकांग के लिए सुरक्षा कानून पास किया है वह चीन द्वारा अपने बचाव में लिया गया एक कदम है। जिससे विश्व विश्व समुदाय का ध्यान हांगकांग की तरफ डाइवर्ट हो जाए।
इन सब बातों का देखे तो पता चलता है कि चीन इस समय विश्व समुदाय की तरफ से भारी दबाव का सामना कर रहा है। इसी के तहत चीन भारत पर दबाव बना रहा है जिससे कि भारत चीन पर किसी भी तरह की कार्यवाही में भाग ना ले। इस महामारी के समय विश्व समुदाय में भारत की स्वीकार्यता बड़ी है जिससे चीन घबराया हुआ है और सीमा विवाद को जन्म दे रहा है।
अब सब मिलाकर देखें तो भारत सीमा विवाद हांगकांग सुरक्षा कानून, ताइवान मुद्दा और साउथ चाइना सी में चीन का आक्रमक रोक यह दिखाता है कि चीन इस समय घरेलू तथा बाहरी स्तर पर काफी दबाव का सामना कर रहा है।
भारत सीमा विवाद सुलझाने के लिए राजनीतिक स्तर पर बातचीत कर रहा है। जिससे संभवत शांतिपूर्वक विवाद को निपटाया जा सकता है। घरेलू स्तर पर भारत चीन के वस्तुओं पर भारी-भरकम इंपोर्ट ड्यूटी लगाकर उस पर बैन कर सकता है। भारत के लोगों को चाइनीज़ वस्तुओं का बहिष्कार करके कुछ हद तक चाइनीज वस्तुओं का इंपोर्ट रोका जा सकता है। भारत चीन का व्यापार लगभग 2019-20 में 7.35 million US dollar का रहा है। जो चीन के पक्ष में झुका हुआ है या दूसरे शब्दों में कहें तो भारत चीन के साथ व्यापार में घाटा में चल रहा है। अगर भारत के लोग चाइनीज वस्तुओं का बहिष्कार करें तो कुछ हद तक व्यापार घाटा को कम किया जा सकता है और चीन पर एक मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया जा सकता है।
इस समय भारत के लिए एक सुनहरा अवसर है कि चीन से निकलने वाली कंपनियों का भारत में स्थापित करवाएं और वह सब सहूलियत दे जो चाहते हैं। जिससे भारत एक विनिर्माण का केंद्र बन सके और इस महामारी के समय जो युवा रोजगार विहिन है उनको रोजगार मिल सके।