Monday, October 14, 2024
HomeReportsव्यंग्य कविता: ऑपइंडिया पर एफआइआर कराने वाली विचारधारा की मृत्यु का शोकसंदेश

व्यंग्य कविता: ऑपइंडिया पर एफआइआर कराने वाली विचारधारा की मृत्यु का शोकसंदेश

Also Read

Author_Rishabh
Author_Rishabh
भारतीय संस्कृति, विज्ञान और अध्यात्म में अटूट आस्था रखता हूं। अजीत भारती जी जैसे लोगों को ध्यान से सुनना पसंद करता हूं। पुस्तकें पढ़ने का बहुत शोषण है‌। मूलतः कवि हूं लेकिन भारतीय संस्कृति, धर्म और इतिहास के बारे में की जा रही उल्टी बातों, फैलाई जा रही अफवाहों, न्यूज चैनलों की दगाबाजियों, बॉलीवुड द्वारा हिंदू धर्म और उसके लोगों पर किए जा रहे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष हमलों से आहत होकर लोगों को जागरूक करने के लिए स्वतंत्र वैचारिक लेख लिखता हूं और ट्विटर पर वैचारिक ट्वीट करता रहता हूं। जन्मभूमि भारत और मातृभाषा की बुराई असहनीय है। जय हिन्द।
साभार : ऑपइंडिया

कालनेमि को दलना होगा

जहरीले सर्पों से शोभित,
मानवता के ये हत्यारे।
फुफकारों से डरपाते हैं,
सत्ता लोलुपता के मारे।

बड़ा प्रबल इनका सिस्टम है,
जो लोगों को बहकाता है।
दर्ज कराते रपट छछूंदर,
जो भी सच को दिखलाता है।

सत्य अगर तुमने बोला जो,
इनको आहत कर जाता है।
वामपंथ का कीड़ा भीतर,
अत्यधिक ही बिलबिलाता है।

फिर क्या छूटते हैं इकट्ठे,
मच्छर समान ये हत्यारे।
भिनभिनाते कर्कश स्वरों में,
कथित सत्य के ये रखवारे।

जैसे गर्म तवे पर पानी,
छन-छन करके उड़ जाता है।
इनके मन का सच न दिखाया,
तो सेक्यूलर लड़ जाता है।

पत्रकारिता की मत पूछो,
बकैती की अकही कहानी।
मंत्रिमंडल इनसे पूछे बस,
सत्ता रहे वो खानदानी।

लेकिन यह नकली तंद्रा हम,
अब अधिक नहीं चलने देंगे।
बहुत जले अपने सदियों तक,
किंतु अब नहीं जलने देंगे।

इन आस्तीन के भुजंगों को,
सत्य अनल में जलना होगा।
एफआइआर से क्या होगा,
कालनेमि को दलना होगा।

  Support Us  

OpIndia is not rich like the mainstream media. Even a small contribution by you will help us keep running. Consider making a voluntary payment.

Trending now

Author_Rishabh
Author_Rishabh
भारतीय संस्कृति, विज्ञान और अध्यात्म में अटूट आस्था रखता हूं। अजीत भारती जी जैसे लोगों को ध्यान से सुनना पसंद करता हूं। पुस्तकें पढ़ने का बहुत शोषण है‌। मूलतः कवि हूं लेकिन भारतीय संस्कृति, धर्म और इतिहास के बारे में की जा रही उल्टी बातों, फैलाई जा रही अफवाहों, न्यूज चैनलों की दगाबाजियों, बॉलीवुड द्वारा हिंदू धर्म और उसके लोगों पर किए जा रहे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष हमलों से आहत होकर लोगों को जागरूक करने के लिए स्वतंत्र वैचारिक लेख लिखता हूं और ट्विटर पर वैचारिक ट्वीट करता रहता हूं। जन्मभूमि भारत और मातृभाषा की बुराई असहनीय है। जय हिन्द।
- Advertisement -

Latest News

Recently Popular