कालनेमि को दलना होगा
जहरीले सर्पों से शोभित,
मानवता के ये हत्यारे।
फुफकारों से डरपाते हैं,
सत्ता लोलुपता के मारे।
बड़ा प्रबल इनका सिस्टम है,
जो लोगों को बहकाता है।
दर्ज कराते रपट छछूंदर,
जो भी सच को दिखलाता है।
सत्य अगर तुमने बोला जो,
इनको आहत कर जाता है।
वामपंथ का कीड़ा भीतर,
अत्यधिक ही बिलबिलाता है।
फिर क्या छूटते हैं इकट्ठे,
मच्छर समान ये हत्यारे।
भिनभिनाते कर्कश स्वरों में,
कथित सत्य के ये रखवारे।
जैसे गर्म तवे पर पानी,
छन-छन करके उड़ जाता है।
इनके मन का सच न दिखाया,
तो सेक्यूलर लड़ जाता है।
पत्रकारिता की मत पूछो,
बकैती की अकही कहानी।
मंत्रिमंडल इनसे पूछे बस,
सत्ता रहे वो खानदानी।
लेकिन यह नकली तंद्रा हम,
अब अधिक नहीं चलने देंगे।
बहुत जले अपने सदियों तक,
किंतु अब नहीं जलने देंगे।
इन आस्तीन के भुजंगों को,
सत्य अनल में जलना होगा।
एफआइआर से क्या होगा,
कालनेमि को दलना होगा।