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poetry
गणतंत्र
अन्याय है कहीं न्याय नहीं, ब्रिटिशर्स के बोएं बीजों में फिर तिरंगा लहराओगे, खुद को राष्ट्र भक्त कहकर, भारत माँ पर अधिकार भी जमाओगे, ससहस्त्र वर्षों की श्रृंखलाओं में जय भी होगी पराजय भी, अस्तित्व सनातन का रहेगा फिर भी, पर तुम सब इतिहास बन जाओगे!!
एक कविता कार्यकर्ता के नाम
हार जीत का सबसे ज्यादा फर्क; उसको ही पड़ता है. नेता आते हैं जाते; कार्यकर्ता वहीं रह जाता है.
व्यंग्य कविता: ऑपइंडिया पर एफआइआर कराने वाली विचारधारा की मृत्यु का शोकसंदेश
अगर राइट विंग वाले भूल जाएँगे की प्रेस की आज़ादी के लिए सिर्फ़ वामपंथी ही रो सकते हैं, तो हम आपको याद दिलाते रहेंगे, जब भी आप कुछ ऐसा करेंगे की जो हमारे नरेटिव को सूट ना करें! आपको अपने दायरें में रहना होगा.
महाराष्ट्र में मजदूरों की मृत्यु और माननीयों की राजनीति पर लिखी एक ग़ज़ल
गरीब मजदूरों को अपने राज्य से भगाने और केंद्र पर बेवजह के आरोपों तथा अन्य समकालीन घटनाओं पर लिखित एक गजल।
A Discussion on Hindi Sahitya by Prof (Dr) Ratnesh Dwivedi
ratnesh7 -
The Gaddya and Paddya of Hindi is divided in six ‘Yugas’ or Eras.
काका हाथरसी अपनी कविताओं में जो अस्वीकरण दे न सके
काका हाथरसी की रचनाएं आज के दौर में भी कई नेताओं पे फ़िट बैठती हैं