भारत – हिमालय से विशाल हिन्द महासागर मध्य की देवताओं द्वारा निर्मित उत्कृष्ट भूमि। माँ स्वरूप व सम्पूर्ण विश्व के लिए शरणस्थली। आदिकाल से भारत भूमि ने हमेशा संकट से घिरे हुओं को स्वयं पर घाव झेल कर भी शरण दी। किन्तु आज इसके मूल धर्म व संस्कृति पर ही असहिष्णुता का मिथ्या आरोप। जिस धर्म के अनुयायियों ने कभी किसी पर स्वयं के धर्म व संस्कृति को थोपने के लिए अपनी सीमाओं का उल्लंघन नहीं किया सर्वदा
“सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्”
के मंत्र को मानकर सम्पूर्ण धरा के जीवों को
“वसुधैव कुटुम्बकम”
के अनुरूप एक परिवार स्वरूप जाना हो।
शत्रुओं व अपनों द्वारा बार बार छले जाने के बावजूद उनके हृदयों को प्रेम से जीतने व उनके असहिष्णु होने के बावजूद भी उनके लिये व उनकी पीढ़ी के उज्ज्वल भविष्य को सुरक्षित करने का प्रयत्न किया हो।
कई सौ वर्षों से हमारे धर्म स्थलों को मिटाने का प्रयास हुआ। उन पर अतिक्रमण हुआ। भू-भाग को बांटा गया। विचारधाराओं को विवश कर थोपा गया। फिर भी उन्हें स्वीकार कर लिया। इस पुण्य भारत भूमि के अपनों के रक्तरंजित होने के बावजूद सब कुछ भुला मिलकर पुनः जीवन को आगे बढ़ने का अवसर दिया। क्षमा व सबको स्वयं में समाहित कर आगे बढ़ना हिंदुओं की सबसे बड़ी शक्ति है। श्रद्धा व आदरभाव से, ये जानकर भी कि ये दूसरे धर्म का पूजा स्थल है, शीश झुका देते हैं। हमारे तैतीस कोटि देवी देवता कभी भी इसके लिए रुष्ट नहीं होते है व कभी भी हिन्दू धर्म इससे ख़तरे में नहीं आता। जीव का सम्मान ईश्वर का सम्मान है।
किन्तु आज के समय में हिंदुओं से घृणा के मामले बढ़ते जा रहे हैं। आखिर राजनीति ने ऐसी कौन सी करवट ले ली जो इतना कुछ गंवाने के बाद भी आज हमें कटघरे में खड़ा किया जा रहा है बार बार।
राजनीतिक द्वेष के चलते हिंदुओं को तुष्टिकरण के लिए आतंकवाद का पर्याय साबित करने का प्रयास किया जा रहा है।
जब से नरेंद मोदी जी राष्ट्र प्रमुख बने हैं अचानक से हम हिंदुओं को हर प्रकार से दोषी ठहराने के प्रयास किये जा रहे हैं। कभी असहिष्णु बता कर, कभी मोब लिंचिंग के नाम पर और अब तो “जय श्री राम” बोल कर। जो भी घटनाएं सामने आ रही है उनमें राजनीतिक व आर्थिक लाभ के लिए हिंदुओं को बदनाम किया जा रहा है। घटनाओं की जांच के नतीज़े आने से पहले ही हिंदुओं को दोषी ठहराया जा रहा है और जब इन जांचों के नतीज़े आते है तो मुख्य धारा का मीडिया इसके तथ्यों को प्रमुखता नहीं देता। आख़िर राजनीतिक स्वार्थ इतना सर्वोपरि हो गया। राष्ट्र की अखंडता के इन नेताओं के लिए कोई मायने नहीं रह गए।
पूरे विश्व में भारत ही मूल रूप से हिंदुओं का एक मात्र देश है। किंतु इसके मूल को मिटाने का प्रयास किया जा रहा है। जिसके लिए सभी घृणा करने वाले विभिन्न प्रकार के प्रयास कर रहे हैं। उससे भी बड़ा आश्चर्य है कि अपने ही अपनों की जड़े काटने में लगे हैं।