"कोई भी राजनीति भगवान को लेकर क्यों की जाती है" यह विषय भी इसी सिलसिले में सम्मिलित है। इस लेख में, हम इस रहस्यमयी सवाल के पीछे के कारण और धार्मिक भावनाओं के प्रभाव को गहराई से समझने का प्रयास करेंगे।
आजकल एक २७ वर्षीय सनातनी संत कि खूब चर्चा प्रिंट मिडिया और इलेक्ट्रानिक मिडिया में हो रही है। "अन्ध विश्वास निर्मूलन समिति" के नाम पर सनातन समाज से वैमनस्य रखने वाले भाड़े के टट्टूओ को मोहरा बना कर विधर्मी समूहो ने उन्हें किसी ना किसी प्रकार अपने षड्यंत्र का शिकार बनाने की कार्ययोजना पर अमल करना भी शुरू कर दिया है।
लोग जब हिन्दुओ के देवी देवताओ के ऊपर अश्लील टिप्पणियाँ करते हैं, या उन्हें अपने चलचित्रो (फिल्मो) अत्यंत ही आपत्तिजनक ढंग से प्रदर्शित करते हैं, तो तुरंत इसे "वाक अभिव्यक्ति के अधिकार" की आड़ में सही ठहराने की कोशिश करने लगते हैं।
मान्यवर में बेशर्म लोग सांस्कृतिक पोशाक बेच रहे हैं लेकिन भारतीय संस्कृति को शर्मसार कर रहे हैं। लेकिन उन्हें दोष क्यों दें? यह हम हैं - जिन्हें दोषी ठहराया जाना है। हम जिन्हें शिक्षा के वेश में वर्षों से कम्युनिस्टों द्वारा झूठ खिलाया गया है। हम ही अपनी संस्कृति को नहीं समझ पाते हैं।
the answer is that the role of religion in any entertainment show should prevail as long as it doesn’t hurt religious sentiments of any of the community.
पेंटर हुसैन हो या ताजातरीन केस ऑफ़ मुनव्वर फारुकी, ये सेलेक्टिवली सेक्युलर लोग हिन्दू देवी देवताओं का अपमान करने में खुद को कूल डूड समझ पैसा कमाते हैं।
आजकल भारतीय फ़िल्मों में हिंदू देवी देवताओं का, हिंदू धर्मगुरुओं का उपहास बहुत ही सहजता से आ जाता है। कई सिरीज़ में हिंदू बाबा विलेन के किरदार में भी दिखाई देते हैं। कुछ सिरीज़ में ऐसा भी दिखता है कि बॅकग्राउंड में मंत्र बज रहे हैं और कोई हिंदू पंडित हत्या करने जा रहा है या किसी को हत्या का आदेश दे रहा है।