मित्रों अक्सर हमें ये सुनने में आता है की पाकिस्तान में, बंगलादेश में या किसी अन्य शांतिदूतों के देश या फिर दूर क्यों जाये हमारे देश में ही यदि शांतिदूतों के पैगम्बर, उनकी किताब या उनके अल्लाह के बारे में कुछ बोल दिया जाता है या सोशल मिडिया पर लिख दिया जाता है या कोई तस्वीर ही साझा कर दी जाती है तो वेइसे “ईश निंदा” के दायरे में ले आते हैं और कानून हाथ में लेते हुए सम्बंधित व्यक्ति का कत्ल कर देते हैं। आपको स्व. श्री कमलेश तिवारी जी की नृसंश हत्या याद होगा, यही नहीं पाकिस्तान में श्रीलंका के एक नागरिक को किस प्रकार उन्मादी भीड़ ने भयानक और डरावने नारे लगाते हुए मार डाला था और आरोप वही “ईशनिंदा” का था। फ़्रांस की मैगजीन “चार्ली हब्दो” पर कई वर्षों से लगातार हमले किये जा रहे हैं, ईशनिंदा का आरोप लगाकर और उनके तो कई कर्मचारियों को मौत के घाट उतार दिया गया है अब तक, यही नहीं एक स्कुल के टीचर को बच्चो के सामने गला रेतकर मार डाला गया क्यंकि उसने पढ़ाते वक्त चार्ली हब्दो द्वारा छापे गए एक कार्टून को दिखाया था बच्चों को।
पर यही लोग जब हिन्दुओ के देवी देवताओ के ऊपर अश्लील टिप्पणियाँ करते हैं, या उन्हें अपने चलचित्रो (फिल्मो) अत्यंत ही आपत्तिजनक ढंग से प्रदर्शित करते हैं, तो तुरंत इसे “वाक अभिव्यक्ति के अधिकार” की आड़ में सही ठहराने की कोशिश करने लगते हैं। आप अमिताभ बच्चन द्वारा अभिनीत जितनी फिल्मे है, आप देख लो हर दूसरी फिल्म में हिन्दू देवी देवताओ और साधु संतो का मजाक बनाते हुए प्रदर्शित किया गया है। बात शोले, परवरिश, छोटे मियां बड़े मियां, दिवार, मुकद्दर का सिकंदर इत्यादि तो बस कुछ छोटे मोटे उदहारण हैं। यही नहीं दिलीप कुमार उर्फ़ युसूफ शेख ने एक फिल्म बनायीं थी “संघर्ष” जिसमे उसने बनारस के पंडो को लुटेरा हत्यारा और बलात्कारी दिखाया था केवल एक झूठी कहानी के आधार पर। मकबूल फिदा हुसैन को तो भूले नहीं होंगे आप लोग। अब हम थोड़ा वर्तमान काल में चले आते हैं, याद करिये जब बहुरूपिये आमिर खान ने “सत्यमेव जयते” नामक धारावाहिक बनाया था और उसने भगवान शिव पर अनेक आपत्तिजनक टिप्पणियां की थी। याद करिये मुन्नवर फारुखी को जिसने हमारे देवी देवताओ पर कितनी अश्लील टिप्पणियां की थी। याद करिये “PK” नामक फिल्म को जिसमे आमिर खान और इसके साथियों ने मिलकर हमारे भगवान शिव को वाशरूम करते हुए दिखाया था और साथ ही साथ हमारे अन्य देवी देवताओ को लापता दिखाकर पोस्टर भी लगवाया था यही नहीं हमारे साधु संतो को झूठा बताया था। इसके बाद कोरोना काल के समय OTT Platform पर पाताललोक, मिर्जापुर इत्यादि जैसी कई घृणित और असमाजिक फिल्मे आयी और जानबूझकर हिन्दू संस्कृति और उनके देवी देवताओ को अपमानित करने वाले दृश्य दिखलाये गए।
अब आ जाइये थोड़ा राजनीतिज्ञों पर भी बात कर लेते हैं, राजकारो का खून अकबरुद्दीन ओवैसी जिसने माता कौशल्या, प्रभु श्रीराम और माता सीता पर अपमानजनक टिप्पणियां करने के बावजूद बड़े ही शान से आता है और एक लुटेरे, डकैत, पिशाच औरंगजेब के नापाक कब्र पर सजदा करके चला जाता है। और यही नहीं नरेश अग्रवाल का दोहा तो आपको याद ही होगा, कम्युनिस्ट नेता डेनियल राजा की बेटी द्वारा माँ दुर्गा के ऊपर की गयी अश्लील टिप्पणी को क्या आप भूल सकते हैं, क्या आप भूल सकते हैं कैसे कांग्रेसियों ने हमारे मर्यादापुरुषोत्तम को काल्पनिक बताया था। ऐसे बहुत से उदहारण हैं जिसमे दिल्ली विश्वविद्यालय या JNU का कोई न कोई प्रोफ़ेसर हमारे देवी देवताओ के ऊपर अपमानजनक टिप्पणियाँ करता हुआ मिल ही जाता है।
अब ज़रा भाजपा की शुरवीर प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने एक चर्चा के दौरान इन शांतिदूतों के पैगम्बर की कुछ अच्छी और सच्ची बातों को किताब, मस्जिद और मदरसों की लकीर से बाहर निकालकर एक बार फिर से जगजाहिर कर दिया और विश्वास मानिये एक भी अपशब्द का उपयोग किये बगैर, फिर भी केवल भारत में ही नहीं अपितु दुनिया के करीब करीब १५ से २० इस्लामिक देशों के शांतिदूतों के भट्टी में आग लग गई। और सब के सब बौरा गए। भारत में रहने वाले, डरे हुए और सताये हुए शांतिदूतों ने तो बलात्कार करने और गला काट कर मार देने वाली धमकियां अपने औकात के अनुसार देने लगे।
आखिरकार भाजपा जैसी लोकतान्त्रिक व्यवस्था वाली पार्टी को भी आनन फानन में नूपुर शर्मा को बिना कारण बताओ नोटिस के ६ वर्ष के लिए निलंबित करना पड़ा।
मित्रों इसी प्रक्रिया में एक और अंक जुड़ा है, ज्ञानवापी मंदिर में स्थित भगवान शिव के शिवलिंग के अपमान का। जब आदरणीय न्यायालय के आदेश से विवादित ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का कार्य किया गया तो मुस्लिमो के वजू करने के लिए एक छोटा सा तालाब दिखा। जब इस तालाब का सारा पानी निकालकर सर्वे किया गया तो तालाब के अंदर एक कुए के अंदर शिवलिंग प्राप्त हुआ जिसके ऊपर वाले सिरे पर अलग से कुछ बिल्डिंग मेटेरियल की सहायता से जोड़ घटाकर फौव्वारे का रूप दिया गया था | मित्रो चूँकि मामला न्यायालय में है इसलिए इस पर कुछ टिपण्णी करना अभी ठीक नहीं होगा, परन्तु ये मामला हमारी आस्था से जुड़ा है इसलिए जरा सोचिये की इन विधर्मियो के ह्रदय में हम सनातन धर्मियों के प्रति कितना जहर भरा हुआ है की उन्होंने न केवल हमारे इष्टदेव के प्रतीक के साथ छेड़ छाड़ की अपितु हमें अपमानित करने के लिए वर्षो से उस तालाब में अपने नापाक हाथ पैर धो रहे हैं, उसमे कुल्ला कर रहे हैं।
और ये केवल इसलिए कर पा रहे हैं क्योंकि हम हिन्दू इनकी तरह कानून को साथ लेकर इनको सजा देने के लिए तैयार नहीं हो पाते हैं, और यही कारण है की ये तो स्व श्री किशन भलवाड़ और स्व श्री कमलेश तिवारी की निर्मम हत्या कर अपना आतंक कायम करने में सफल हो रहे हैं पर अकबरुद्दीन ओवैसी, मुन्नवर फारुखी और आमिर खान जैसे लोग हमारे देवी देवताओ का अपमान करने के बाद भी जिन्दा खुलेआम घूम रहे हैं, न्यायालय भी suo moto इन पर कार्यवाही नहीं करता।
अब प्रश्न ये उठता है की ज्ञानवापी की सारी व्यवस्था “अंजुमन इंतजामिया कमिटी” के हाथो में है, तो जिस तालाब में हमारे देव हैं उस तालाब में हाथ मुँह धोने पैर धोने और कुल्ला करने की इजाजत भी तो अंजुमन इंतजामिया कमिटी” के लोगो ने ही दिया होगा। तो इसका मतलब ये है की हमारे शिव का अपमान करने के पीछे “अंजुमन इंतजामिया कमिटी” के हर सदस्य का हाथ है, इसलिए इनका एक एक पदाधिकारी एक एक सदस्य ईशनिंदा का अपराधी है। अब प्रश्न ये है की क्या हिन्दू समाज अपने इष्टदेव के अपमान का दंड स्वय देगा या फिर कानून का सहारा लेकर इन्हे दण्डित करेगा, क्योंकि भगवान प्रभुश्रीराम लगातार तीन दिनों तक समुद्र से रास्ता देने के लिए प्रार्थना करते रहे परन्तु समुद्र ने कोई ध्यान नहीं दिया फिर क्या था ” विनय न मानत जलधि जड़, गए तीन दिन बित, बोले राम सकोप तब, भय बिनु होइ ना प्रीत”। तो इस प्रकार हम देखते हैं की यदि हमें अपने भगवान को अपने देवी देवताओ को अपमानित होने से बचाना है तो हमे भी इनके ह्रदय में भय का वातावरण तैयार करना होगा।
अंजुमन इंतजामिया कमिटी” के हर सदस्य और पदाधिकारी को ईशनिंदा के लिए सजा मिलनी चाहिए।