Sunday, November 3, 2024
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मोदी की शव-यात्रा निकालकर मनाया गया कांग्रेस की जीत का जश्न

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RAJEEV GUPTA
RAJEEV GUPTAhttp://www.carajeevgupta.blogspot.in
Chartered Accountant,Blogger,Writer and Political Analyst. Author of the Book- इस दशक के नेता : नरेंद्र मोदी.

चुनावों में हार जीत तो लगी रहती है लेकिन अगर किसी एक ख़ास पार्टी की जीत से दुश्मन देश में खुशी की लहर दौड़ जाए तो यह चिंता का विषय हो सकता है. तीन राज्यों में हालिया कांग्रेस की जीत पर पाकिस्तान में न सिर्फ जश्न मनाया गया है बल्कि भारतीय प्रधान मंत्री की शव यात्रा भी निकाली गयी है, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर आसानी से उपलब्ध है.

पर इसमें पाकिस्तान का तो कोई भी दोष नहीं है और देखा जाए तो कांग्रेस पार्टी का भी क्या दोष है. इस पार्टी के नेता तो बार-बार पाकिस्तान से यह फ़रियाद करते ही आये हैं कि मोदी को हारने में पाकिस्तान कांग्रेस पार्टी की मदद करे और जब पाकिस्तान की मदद से या उसकी मदद के बिना कांग्रेस की चुनावों में जीत हो रही है तो पाकिस्तान में जश्न मनाया जाना और मोदी की शव यात्रा को निकाला जाना एक स्वाभाविक सी बात ही लगती है. पाकिस्तान में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. दिल्ली चुनावों में केजरीवाल की जीत के बाद भी पाकिस्तान में जमकर जश्न मनाया गया था.

पाकिस्तान मोदी सरकार से क्यों खफा है, उसके कारण जग जाहिर हैं -सीमा पार से सभी तरह के आतंकवादियों की घुसपैठ पर लगाम लगने के साथ-साथ नकली नोटों का धंधा चौपट होने से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और किसी भी कीमत पर मोदी सरकार को उखाड़ फेंकना चाहता है. इसके लिए अगर भारत की कोई राजनीतिक पार्टी उससे मदद मांगती है तो वह उसकी मदद करने में भला क्यों परहेज़ करेगा ?

इस सारे मामले में सोचने वाली बात उन लोगों के लिए है तो सब कुछ जानते बूझते हुए भी उन पार्टियों को अपना वोट देते हैं, जिनकी जीत पर पाकिस्तान जैसे दुश्मन देश फूले नहीं समाते हैं. कांग्रेस सिर्फ अल्पसंख्यक वोटों के बल पर तो जीत नहीं सकती है-इसका साफ़ मतलब है कि देश में अभी भी ऐसे हिन्दू मौजूद हैं जो कांग्रेस जैसी पार्टियों को सिर्फ इसलिए वोट देते हैं ताकि दुश्मन देश पाकिस्तान के नापाक मंसूबे कामयाब होते रहें और वह मोदी की शव यात्रा निकालकर अपनी खुशी का इज़हार करता रहे. कांग्रेस को वोट देने वाले लोग अपनी झेंप मिटाने के लिए अपने आप को “सेक्युलर” बताते हैं. लेकिन यह कैसा “सेक्युलरिज्म” है जिससे दुश्मन देशों को ही खुशी मिलती है ? हज़ारों साल गुलामी को झेलने वाले लोगों को शायद यह आज़ादी रास नहीं आ रही है और “सेक्युलरिज्म” के जाल में फंसकर वे एक बार फिर अपने आप को किसी दुश्मन देश की गुलामी करने के लिए बेचैन नज़र आ रहे हैं.

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