रविश कुमार जी को ट्रोल से बड़ी दिक्कत है| मतलब कटाक्ष धनि का कहना है, मैं आपसे सवाल करूँ पर आप मुझसे नहीं कर सकते| सवाल पूछने का हक़ क्या सिर्फ एक पत्रकार को अथॉरिटी पर होना चाहिए| अगर जनता व्यंग्य में छुपे दोगलापन पर पत्रकार से सवाल करे तो क्या आप ट्विटर छोड़ के भाग जाईएगा?
वाकई में ट्रोल से बड़ी परेशानी है| है न रविश जी, ट्रोल ने आपकी टी आर पी पर लम्बे लम्बे सवाल जो खड़े कर दिए| सवाल करने के लिए तो नाटक रच दिया आपने| और पुरे नाटक में ट्रोल पर आपका दर्द झलक रहा था| आपकी विवशता दिख रही थी, कि आप का कटाक्ष इस सोशल मिडिया के व्यंग्य रूपी बाणों के सामने फेल हो गया| आप मैदान छोड़ के भाग गए|
वाजश्रवा ने नचिकेता को बेच दिया, तो NDTV ने राडिया टेप में क्या किया? उसपर कब बोलेंगे रविश जी? कब सवाल पूछेंगे?
बिहारी हैं, पर बिहार में होने वाले मर्डर पर कभी सवाल नहीं पूछे| लालू से कब करेंगे सवाल रविश जी?
बागो में अगर बहार है, तो बिहार में क्या है ? रविश कुमार का नाटकिय दोगलापन?
मैं बताता हूँ असलियत क्या है? आप डर गए हैं| और आपका डर अथॉरिटी से नहीं है वो तो पहले भी थी| उसको पालना और उसके टुकड़ो पर पलना तो आपका पुराना पेशा है| आपका डर सोशल मिडिया से है, जिसने आपसे सवाल पूछने शुरू कर दिए हैं और जिसका जवाब आपके पास नहीं है तो आप मूक अभिनय में दे दीजिये| मैं इंतज़ार करूँगा|