From the time BJP, despite all out efforts by vested interests from both within and outside the country to deny its well deserved entitlement, won the mandate of the people in 2014 there have been unwarranted apprehensions and antagonism in people like you.
Why is it OK for a Muslim to greet a fellow Muslim at work by saying ‘As-salamu alaykum’? If religiously tinted greetings are OK at work, then would he greet a Hindu colleague by saying ‘Jai Ram Ji Ki’? Have you heard of a Muslim doing that? Would he accept ‘Jai Ram Ji Ki’ in response to his ‘As-salamu alaykum’?
आज जब हिजाब के खिलाफ आवाज उठाने वाली छात्रा हो या लाउडस्पीकर पर अजान का न्यायसम्मत विरोध करने वाली महिला हो या फिर इसके समर्थन में उतरी एक अन्य छात्रा हो, इनके समर्थन में महिला अधिकारों की बात करने वाले उपर्युक्त किसी उदारवादी संगठन की कोई आवाज क्यों नहीं सुनाई दी।
Many of you while writing about black lives matter have juxtaposed that Muslim lives too matter. However comparing Muslim lives in India to black lives is like comparing apples and oranges.
भारत एक ऐसा धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र जहाँ हिन्दुओं के विषय तो कुछ भी कहा जा सकता है किन्तु मुसलमानों और ईसाईयों के विषय में कुछ कहना तो दूर सोचना भी अपराध है। संविधान द्वारा प्रदान की गई पूरी फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन मात्र हिन्दू धर्म और सनातन में पूज्य देवी-देवताओं पर अभद्र टिप्पणियां करने में उपयोग में लाई जाती है।
क्रिमिनल्स का victimisation एक गम्भीर समस्या है। और ये सब सिर्फ वर्तमान के विवाद की समस्याएं नहीं हैं, ये राष्ट्र के भविष्य के चरित्र निर्माण की समस्याएं हैं। ये प्रश्न करती हैं कि आप अपनी अगले पीढ़ी को कैसे नायक देना चाहते हैं।
अख़लाक़ खान, पहलू खान कोई भी हो सबके लिए देशव्यापी रोष था, हैशटैग चले थे, सारी पार्टीयों में जैसे गुस्से का तूफान आ गया था, लेकिन साधुओं की हत्या पे चुप्पी बहोत कुछ बोलती है, भइया ये लोकतंत है और हम जनता है हम "भूलते" नही।