Friday, March 29, 2024
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यूट्यूब और कॉमेडी के मंच से लिब्रान्डुओं और वामपंथियों का हिन्दू विरोध का नया धंधा

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ओम द्विवेदी
ओम द्विवेदी
Writer. Part time poet and photographer.

क्या आपको यह ज्ञात है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। निश्चित ही ज्ञात होगा क्योंकि भारत की यही एक विशेषता तो बाल्यकाल से हमें बताई जाती है कि सभी धर्म समान हैं, हमें सबका सम्मान करना चाहिए तथा इसी प्रकार की अन्य उदारवादियों वाली प्रवृत्तियां। भारत एक ऐसा धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र जहाँ हिन्दुओं के विषय तो कुछ भी कहा जा सकता है किन्तु मुसलमानों और ईसाईयों के विषय में कुछ कहना तो दूर सोचना भी अपराध है। संविधान द्वारा प्रदान की गई पूरी फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन मात्र हिन्दू धर्म और सनातन में पूज्य देवी-देवताओं पर अभद्र टिप्पणियां करने में उपयोग में लाई जाती है। पिछले 5-6 वर्षों में, जब से भाजपा की केंद्र में सरकार बनी है तब से विभिन्न मंचों के माध्यम हिन्दुओं, हिन्दुओं के त्योहारों और प्रतीकों पर और साथ ही भाजपा और उसकी राष्ट्रवादी राजनीति पर वामपंथी गद्दारों और लिब्रान्डुओं का मुख मार्ग से विष्टा वमन बढ़ गया है। इसका तात्पर्य यह नहीं है कि भाजपा ही इस बौद्धिक घृणा की जिम्मेदार है। वास्तविकता यह है कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद भारत में राष्ट्र और धर्म के प्रति निष्ठा का संचार हुआ है और ये लिब्रान्डु और वामपंथी यही तो नहीं चाहते हैं। अब ये हिन्दुओं को सीधे सीधे चुनौती दे रहे हैं।

इस लेख के माध्यम से लिब्रान्डुओं और वामपंथियों के इस नए “धंधे” के विषय में चर्चा करेंगे।

हाल ही में शेमारू नामक मनोरंजन कंपनी के किसी मंच से सुरलीन कौर नाम की एक “कमेडियन” इस्कॉन के सदस्यों पर अत्यंत अभद्र टिप्पणी करती है। उसकी टिप्पणी मैं लिखना उचित नहीं समझता। उसके वीडियो अभी भी सोशल मीडिया में उपलब्ध हैं, आप इच्छुक हों तो ढूंढ़ कर सुन सकते हैं। इस वीडियो में मादा छिपकली जैसे मुख वाली सुरलीन कौर जबरन कॉमेडी करती हुई देखी जा सकती है। उसकी बातों में किसी प्रकार का कोई हास्य नहीं था। किन्तु अब चूंकि वो “कामेडी” कर रही है इसलिए हा हा हा हा की आवाज आए, यह सुनिश्चित करने के लिए वहां कुछ बुद्धिजीवी बैठे हुए हैं। अब इस वीडियो पर विवाद प्रारम्भ हुआ और इस्कॉन ने वैधानिक कार्यवाही की चेतावनी दी। इस्कॉन की इस चेतावनी के बाद शेमारू ने बिना शर्त क्षमा मांगी किन्तु इस्कॉन अपने निर्णय पर अडिग है। कुछ दिन बाद एक बार फिर शेमारू की ओर से एक वीडियो जारी किया गया है जिसमे एक व्यक्ति उस मादा छिपकली सुरलीन “की ओर से” क्षमा याचना कर रहा है। उस व्यक्ति के अनुसार सुरलीन का स्वास्थ्य सही नहीं है इसलिए वो सामने नहीं आ रही है। क्यों भाई, जब मंच में घूम घूम कर, हाथ और गर्दन मटका कर इस्कॉन की प्रतिष्ठा पर आघात कर रही थी तब उसका स्वास्थ्य चरम पर था और आज जब क्षमा मांग कर अपने किए का पश्चाताप करने का समय आया तब स्वास्थ्य इसकी अनुमति नहीं दे रहा है।

सुरलीन अकेली नहीं है। आलोकेश सिन्हा नाम का एक कामेडियन भी श्री हनुमान चालीसा पर टिप्पणी करने के लिए क्षमा मांग चुका है। ऐसा ही एक कामेडियन था, फारुकी मुनव्वर जिसने माता सीता और प्रभु श्री राम के विषय में अस्वीकार्य टिप्पणी की थी। लाल गिरगिट के जैसे शरीर वाला फारुकी, हिन्दुओं के पूज्य देवी देवताओं पर टिप्पणी कर सकता है किन्तु क्या उसकी औकात है कि वो अपने मजहब के बारे में एक अक्षर बोल कर दिखाए। मुझे आश्चर्य होता है कि जिस इस्लाम में बहुत कुछ हराम है क्या वहां दूसरे धर्म के देवी देवताओं के ऊपर टिप्पणी करना हराम नहीं है? फारुकी मुनव्वर, आलोकेश सिन्हा, संजय राजौरा जैसे लोग कॉमेडी के नाम पर उल्टियां करते हैं। ये उन मंचों पर अपने मुख से मल का त्याग करते हैं, ऐसा वैचारिक मल जो इनके मन में भरा हुआ है और जिसकी उत्पत्ति का कारण है हिन्दुओं की  निष्क्रियता।

वैसे ये सब हिन्दू घृणा के छोटे मोहरे हैं। वास्तविक पापी तो स्वरा भास्कर, वरुण ग्रोवर, अनुभव सिन्हा और कुणाल कामरा जैसे लोग हैं। ये वो नस्ल है जो वामपंथ का एक नया स्वरुप है। इनका झुकाव राजनैतिक है और ये मुख्यतः भाजपा विरोधी हैं।

हालाँकि भाजपा तो इनके लिए एक पोस्टर है। इनकी वास्तविक प्रवृत्ति हिन्दू विरोधी, सनातन विरोधी और अंततः भारत विरोधी है। ये सभी राष्ट्रवाद के धुर विरोधी हैं। इनके अनुसार राष्ट्रवाद एक कॉमेडी है जिस पर ये कभी भी टिप्पणी कर सकते हैं। आपने कुणाल कामरा के कई वीडियो देखे होंगे जिसमें वो भाजपा और उसके नेताओं पर चुटकुले मारता हुआ देखा जा सकता है। नीच प्रजाति का यह प्राणी मोदी नाम के भरोसे जी रहा है और स्वयं को कॉमेडियन कहता है। यदि यह कुछ क्षणों के लिए श्री नरेंद्र मोदी जी का नाम न ले तो इसकी आंतें सिकुड़ने लगती हैं। इसके फेफड़ों से सीं सीं की आवाजें आने लगती हैं। इसका एक वीडियो आपने देखा होगा जहां यह राम मंदिर के विषय में कहता है, “मंदिर वहीं बनेगा”(सुअर से मिलती जुलती आवाज निकालते हुए), हालाँकि मंदिर वहीं बन रहा है किन्तु उसकी बातों में आपको भयानक हिन्दू घृणा की दुर्गन्ध आएगी।

ये अकेला नहीं है। इसके जैसे हजारों हैं जिनके लिए राम मंदिर, हिंदुत्व, राष्ट्रवाद जैसे मुद्दे मात्र कॉमेडी हैं। इन हजारों लोगों में आधे कभी भी सामने नहीं आते। वो मंच के पीछे से बैठकर इन कठपुतलियों को चला रहे हैं।

ये ऐसी जमात है जिसके लिए सब अनपढ़ हैं। भारत का प्रधानमन्त्री अनपढ़ है, गृह मंत्री अनपढ़ है, पूरी कैबिनेट अनपढ़ है, पूरी भाजपा अनपढ़ है, उसे वोट देने वाले करोड़ों लोग अनपढ़ हैं, जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं वहां के मुख्यमंत्री अनपढ़ हैं, उनका मंत्रिमंडल अनपढ़ है, ट्रम्प अनपढ़ है, नेतन्याहू अनपढ़ है। सीधी बात करें तो जो भी व्यक्ति अपने राष्ट्र गौरव की बात करता है, राष्ट्रवाद की बात करता है, धर्म की बात करता है, हिंदुत्व की बात करता है, वो अनपढ़ है या सरकार चलाने के योग्य नहीं है।

अब बात करते हैं कि पढ़ा लिखा कौन है।

जिसकी 8-10 फ्लॉप फिल्में आई हों और चली गई हों वो स्वरा भास्कर बुद्धिमान है। गिटार लेकर हू हू करने वाले राहुल राम के साथ दो चार कविताएं पढ़ने वाला, लोकतंत्र की ऐसी तैसी करने वाला वरुण ग्रोवर बुद्धिजीवी है। यूट्यूब में मुँह से लघुशंका करने वाला वाला कुणाल कामरा पढ़ा लिखा है और होशियार है। एक आकाश बनर्जी नाम का व्यक्ति है जो स्वयं को विशेष जानकार समझता है। उसने अभी भारत और चीन के विवाद पर एक वीडियो बनाया जिसमें वो भारतीय लोगों के द्वारा किये जा रहे चीन के बहिष्कार का मजाक बना रहा है। वो प्रत्यक्ष रूप से भले ही कुछ न कह रहा हो किन्तु उसके कहने का तात्पर्य यही है कि उसे भारत-चीन विवाद का मुद्दा सौंप दिया जाए और वह उसका निदान ढूंढ लेगा। इन यूट्यूबर्स की जमात का एक और बड़ा सिपाही है ध्रुव राठी। ये वामपंथियों का सस्ता विकिपीडिया है। इसे ऐसा भ्रम है कि इसे सब कुछ ज्ञात है। विश्व की राजनीति, इतिहास, भूगोल, विदेश नीति, अर्थव्यवस्था, कीड़े-मकोड़े, गाड़ी वाहन, तीनों लोक, दसों दिशाओं और अनंत ब्रह्माण्डों में ऐसा कुछ नहीं है जिसके विषय में यह न जानता हो।   

एक ऐसा समय काल भी आ सकता है जब हम और आप ये विचार कर सकते हैं कि क्या ये इतने मूर्ख हैं जो लगातार गालियां खाने के बाद भी वैसा ही कार्य करते हैं। यह भी संभव है कि इनका उद्देश्य गलत न हो। यदि आपके अंतर्मन में एक क्षण के लिए भी ऐसे विचार आते हैं तो आप गलत हैं।

ये कोई भी कार्य अज्ञानता में नहीं करते हैं। इनके द्वारा जो कुछ भी कहा जाता है या किया जाता है, सब कुछ पूरी चेतना में किया जाता है। वास्तव में वरुण ग्रोवर, स्वरा और कुणाल जैसे लोग वामपंथी व्यवस्था का ही हिस्सा हैं। ये वामपंथी राक्षसों के द्वारा भारत में छोड़े गए दीमक हैं जो यहीं रहकर हमारी जड़ों को खा रहे हैं। आप विचार कीजिए कि क्या सीएए के विरोध में वरुण “कागज नहीं दिखाएंगे” कविता अज्ञानता में या व्यथित होकर लिखेगा। सीएए के विरोध में पूरी शक्ति से सक्रिय रहने वाली और दिल्ली को सड़कों पर आने के लिए कहने वाली स्वरा अज्ञानता में या भारत के हित में ऐसा करेगी। ये सब छोटे छोटे कामरेड हैं। हिन्दू घृणा और भारत विरोध इनकी नसों में भरा गया है। इन्हे विषैले विचारों से लैस किया गया है जिससे ये भारत को तोड़ने की कुटिल मंशा में सहायक हो सकें। सिर्फ यही कुछ लोग क्यों, हर वो व्यक्ति जो हिंदुत्व को गाली देता है, हिन्दुओं के देवी देवताओं और प्रतीक चिन्हों पर अभद्र टिप्पणी करता है, व्यवस्था और राष्ट्र हित में लिए गए प्रत्येक निर्णय का विरोध करता है, वामपंथ की नाजायज उपज है। बॉलीवुड में भी ऐसे कई लोग हैं जिनकी न तो अपनी कोई विचारधारा है और न कोई निष्ठा। विचार कीजिए कि ऐसे बॉलीवुड स्टार जिनसे नौ का पहाड़ा भी न आए, ऐसे लोग सरकार की नीतियों की आलोचना करने लगते हैं। इनकी आलोचना भी विकल्प आधारित होती है। ये अशेम्ड तब होंगे जब अपराध किसी भाजपा शासित राज्य होगा। ये प्लेकार्ड हाथ में लेकर तब बाहर निकलेंगे जब किसी आपसी विवाद में भी किसी मुसलमान की मौत होगी। हिन्दुओं की, साधु संतों की बाकायदा लिंचिंग हो जाने पर भी ये चमगादड़ अपनी गुफाओं में उल्टा लटके रहेंगे। अपने पड़ोस की एक तिल मात्र की जानकारी न रखने वाली अदाकाराएं अमरीका में हुए दंगों के विरोध में #BlackLivesMatter पोस्ट करती हैं। आपको लगता है कि यह सब अज्ञानता में, निष्पक्षता में अथवा मानविक आधार पर होता है?

नहीं। देखिये कैसे।

क्या आपने कभी किसी लिबरांडु, सेक्युलर या किसी ऐसे यूट्यूबर को एक ऐसे मुस्लिम के लिए रोते देखा है जिसकी हत्या किसी मुस्लिम ने ही की हो?

क्या इन्हे उइगुर मुस्लिमों पर चीन द्वारा किए जा रहे वीभत्स अत्याचार पर बोलते देखा है?

क्या ISIS द्वारा यज़ीदी महिलाओं को सेक्स गुलाम बनाए जाने के विरोध में इनमें से किसी को पोस्टर पकड़े हुए देखा?

कभी भी नहीं देखा होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इन लोगों के पास विकल्प है। यह विकल्प की सुविधा इन्हे इनके वामपंथी आकाओं के द्वारा प्रदान की जाती है। वामपंथ का उद्देश्य ही है बहुसंख्यकवाद का विरोध करना।

स्वरा, कामरा, अनुभव सिन्हा जैसे कितने ही लोग हैं जिन्हे सिखाया जाता है कि अपराध जब मुस्लिमों के विरुद्ध हो और अपराधी गैर मुस्लिम हो तब चिल्लाना है। जब विवादों में हाथा पाई हो जाए और यह पता चले कि एक पक्ष का व्यक्ति श्री राम का भक्त है या उसके मस्तक पर तिलक लगा हुआ है अथवा उसने एक भगवा गमछा ओढ़ रखा है और दूसरे पक्ष का व्यक्ति मुसलमान है तो न केवल चिल्लाना है अपितु पूरे भारत को असहिष्णु घोषित कर देना है।

अंतिम तौर पर कहा जाए तो इनका उद्देश्य ही है मुसलमानों को पीड़ित और गैर मुसलमानों को अत्याचारी, असहिष्णु और कट्टरपंथी सिद्ध करना।

तो आइए आपको भारत भर में हमारे और आपके बीच रह रहे लिब्रान्डुओं, सिक्युलरों और वामपंथी कीड़ों की पहचान बताते हैं। ये कहीं भी हो सकते हैं और कोई भी हो सकते हैं। ये बॉलीवुड के अभिनेता, अभिनेत्रियां हो सकते हैं, ये राजनेता हो सकते हैं, बुद्धिजीवी हो सकते हैं, लेखक और कलाकार वर्ग के हो सकते हैं अथवा आपके ही पड़ोसी या मित्र हो सकते हैं।

  • ये हिंदुत्व, गाय, राम मंदिर अथवा राष्ट्रवाद के मुद्दों से सदैव ही घृणा करेंगे और इनकी बात करने पर आपको भक्त अथवा भाजपाई कहेंगे।
  • ये पूरी दुनिया में किसी की भी मृत्यु होने पर अपनी प्रोफाइल काली कर लेंगे किन्तु हिन्दुओं की मृत्यु पर इनमें कोई विशेष अंतर नहीं दिखाई देगा। यह भी संभव है कि ये उस दिन “Wow so yummy” लिखकर बढ़िया पकवान की फोटो भी पोस्ट करें।
  • वामपंथियों की सबसे बड़ी विशेषता है कि ये सार्वजनिक रूप से समानता के समर्थक रहते हैं किन्तु निजी जीवन में भयंकर भेदभाववादी होते हैं।
  • ये हिन्दू धर्म, संस्कृति और भाषागत विविधता के धुर विरोधी होते हैं और निरंतर इनका मजाक बनाते रहते हैं।
  • हिन्दू त्योहारों पर दुनिया भर के ज्ञान का वमन करेंगे किन्तु ईद और रमजान की बधाई विशेष तौर पर आपके इनबॉक्स में देंगे।
  • चाहे वो पाकिस्तान का मुद्दा हो या चीन का, ये सदैव निष्पक्ष बनने का प्रयास करेंगे और अंततः भारत के विरोध में ही रहेंगे।
  • लिब्रान्डुओं और वामपंथी सर्पों की सबसे बड़ी विशेषता है कि ये महामूर्ख होते हैं।

अब आप यह कहेंगे कि ऐसे लक्षण तो कॉंग्रेसी जनों में भी पाए जाते हैं तो इतना समझ लीजिए कि कांग्रेस और वामपंथ एक ही है। अंतर मात्र इनके संगठनों के नाम और कार्य व्यवहार का है। इसकी चर्चा अगले लेखों में जाएगी लेकिन वर्तमान में आप इन लोगों को पहचानिए। इन पर कार्यवाही कीजिए। यदि ये आपके धर्म या इष्टदेवों के विषय में अभद्र टिप्पणियां करते हैं तो इन पर वैधानिक प्रहार कीजिए। ऐसी कंपनियों पर दबाव बनाइए जो इन विषैले लोगों से अपनी वस्तुओं और सेवाओं का प्रचार प्रसार करवाती हैं। इनके कार्यों जैसे पुस्तकों, चैनलों आदि का बहिष्कार कीजिए। आप कोई भी हों, किसी भी पद पर हों लेकिन अपने अस्तित्व की रक्षा कीजिए क्योंकि आपकी सहिष्णुता तब तक लाभदायक है जब तक उसका अस्तित्व है। यदि आप आज विरोध नहीं करेंगे तो कल आने वाली पीढ़ी आपके सामने आपके धर्म पर कॉमेडी करेगी। आपके त्योहारों और प्रतीकों का आपके सामने अपमान किया जाएगा। स्मरण रहे कि धर्म और राष्ट्र दूसरे के पूरक हैं। इनमें से किसी का संतुलन बिगड़ना चाहिए। सनातन का सम्मान कीजिए और इतने योग्य बनिए कि कोई वामपंथ या सेक्युलरिज्म आपके अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह न लगा सके।

जय श्री राम।।

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ओम द्विवेदी
ओम द्विवेदी
Writer. Part time poet and photographer.
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