The advent of social media has ensured the prevalence of popular thought. The contention of some to the effect that it has challenged the elitism of the media having been granted, it has also ostensibly ensured an angrier populace.
आज बात करेंगे कि "साम्यवाद" और "वामपंथ" आखिर किस तरह काम करते हैं, किस तरह भारत देश की व्यवस्था में ये लोग सेंधमारी कर चुके हैं और इनका "नक्सलियों" से क्या संबंध है?
The Liberals have been shown up for what they are. ‘The hypocritical bunch’, as historian Niall Ferguson called them once. It is strange that they cannot stand the heat in their kitchens.
चूंकि वामपंथी अराजकता का समर्थन करते हैं और उनका मानना है कि वर्तमान में जो तंत्र, जो व्यवस्था देश में है वह भ्रष्टाचार से लिप्त है और इसे उखाड़ कर फेंक देना चाहिए और नये सिरे से साम्यवादी सिध्दांतों के साथ नया तंत्र बनाना चाहिए।
Arfa Khanum, Zainab Sikander and other camouflaged Islamic radicals have never condemned the death penalty to apostates and demanded that every Muslim should have full freedom to leave Islam. Let us dare Arfa Sherwani, Zainab Sikander and others to condemn the apostasy law in Islam.
लेफ्ट और लेफ्टिस्ट तो थे ही पर ये अलग से जमात पैदा हो गयी लिबरल- ये ना घर के है ना घाट के इन्हें बस लाइम लाइट में रहने की आदत है इसके लिए ये कुछ भी कर सकते है।
भारत एक ऐसा धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र जहाँ हिन्दुओं के विषय तो कुछ भी कहा जा सकता है किन्तु मुसलमानों और ईसाईयों के विषय में कुछ कहना तो दूर सोचना भी अपराध है। संविधान द्वारा प्रदान की गई पूरी फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन मात्र हिन्दू धर्म और सनातन में पूज्य देवी-देवताओं पर अभद्र टिप्पणियां करने में उपयोग में लाई जाती है।
PM-NRF, a similar trust was set up by PM, Jawaharlal Nehru in his "personal capacity" in the year 1948. Interestingly, PM-NRF too, isn't under the purview of RTI and CAG.