सत्ता का मद और अहंकार लोकतंत्र में ज्यादा दिन तक नहीं टिकता।बेहतर होगा अपनी अपनी मांद- वातानुकूलित गुफाओं से बहार निकल जनता की सेवा में बितायें। जब समाज बचेगा ही नहीं तो आप प्रतिनिधित्व किसकी करेंगे?
सच्चे लोकनायक के रूप में प्रभु श्री राम ने जन जन की आवाज को सुना और राजतंत्र में भी जन गण के मन की आवाज को सर्वोच्चता प्रदान की। राजनीति में शत्रु के विनाश के लिए कमजोर, गरीब और सर्वहारा वर्ग को साथ जोड़ कर सोशल इंजीनियरिंग के बल पर उस युग के सबसे बड़ी ताकत को छिन्न- भिन्न कर दिया। ज्ञात इतिहास में अनेकों पराक्रमी, परम प्रतापी, चतुर्दिक विजयी और न्यायप्रिय राजा हुए लेकिन सही शासन का पर्याय रामराज्य को ही माना गया।
माधव सदाशिव गोलवलकर उपाख्य श्री गुरूजी के चित्र लगा एक पोस्टर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें उनके हवाले से संघ दलित पिछड़ो को बराबरी के अधिकार का विरोध है ऐसा बताया जा रहा है। जबकि सचाई यह है की श्रीगुरुजी, विश्व हिंदू परिषद् के पहले सम्मेलन प्रयागराज 1966 में सभी पंथो के संतो को एक मंच पर लाकर "हिन्दव: सहोदरा सर्वे, ना हिन्दु पतितो भवेत" का प्रस्ताव पारित करवाया था।
संघचालक डॉ मोहन भागवत जी के नाम से एक फर्जी न्यूज वायरल किया गया, न्यूज एक पेपर कटिंग के रूप में बनाई गई। जिसका शीर्षक 'कोरोना ने तोड़ी मेरी धर्म में आस्था' एक फर्जी डिजाइन किया हुआ है
वास्तव में जब भी इस देश पर संकट आये चाहे वह प्राकृतिक आपदा हो या पड़ोसी देशों द्वारा प्रायोजित संकट राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमेशा देश के लिए समाज को जागृत कर कंधे से कंधे मिला कर खड़ा होता रहा है।