Saturday, May 4, 2024

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2020 अमेरिका का सब से खराब साल बनने जा रहा है? पहले COVID-19 और फिर दंगे

America फिर से जल रहा है: आंशिक रूप से, जैसा कि हिंसा भड़कती है, पुलिस और उनके वाहनों पर हमला किया जाता है, और...

आपको पता भी नहीं है और आपके मंदिरों को लूटने के षड़यंत्र रचे जा रहे हैं

मंदिर हमारी धार्मिक और आध्यात्मिक आस्था के केंद्र रहे हैं। सनातन धर्म की स्थापना में मंदिरों का योगदान सहस्त्राब्दियों से सर्वोच्च रहा है। ऐसे में हम कुछ दो चार पाखंडी वामपंथियों और विधर्मियों के हाथों अपने धार्मिक केंद्रों का नाश नहीं होने देंगे। हमें विरोध करना होगा।

भारत चीन सीमा विवाद और व्यापार घाटा

इस समय भारत के लिए एक सुनहरा अवसर है कि चीन से निकलने वाली कंपनियों का भारत में स्थापित करवाएं और वह सब सहूलियत दे जो चाहते हैं। जिससे भारत एक विनिर्माण का केंद्र बन सके और इस महामारी के समय जो युवा रोजगार विहिन है उनको रोजगार मिल सके।

दिल्ली दंगा को नरसंहार बतलाने वाले वामपंथी गिरोह का पोस्टमार्टम

आखिर वामपंथी गिरोह की नीयत क्या इन है? ये लोग का मकसद बिल्कुल साफ रहता है कहीं मौका मिले देश की अन्तराष्ट्रीय स्तर पर छवी खराब करना ताकि विदेशी भारत विरोधी आका इनका रोजी रोटी चलाते रहेl

कोरोना काल: स्कूल बनाम अभिवावक

क्या बच्चों की पढ़ाई की पूरी जिम्मेदारी सिर्फ स्कूल की है, अभिभावकों की बिल्कुल भी नहीं? क्या कोरोनावायरस वैश्विक महामारी में जब दुनिया ज़्यादा से ज़्यादा चीजों को ऑनलाइन कर रही है तो ऑनलाइन शिक्षा से परहेज़ क्यों?

रचनाधर्मियों को गर्भस्थ बेटी का उत्तर

जो तुम्हें अग्नि परीक्षा देती असहाय सीता दिखती है, वो मुझे प्रबल आत्मविश्वास की धनी वो योद्धा दिखाई देती है जिसने रावण के आत्मविश्वास को छलनी कर इस धरा को रावण से मुक्त कराया.

“वैचारिक अधिनायकवाद”

अमेरिका में जो पुलिस द्वारा असंवेदनशील और बर्बर कृत्य हुआ उसका हम जब अवलोकन करते है तो पाते है कि इस घटना की निंदा और विरोध का जो आंदोलन है वो अपने उद्देश्य से दूर कहीं वैचारिक उन्मादी और हिंसक पशु समान लोगो के हाथों में पहुंच गया है जिनको एक चिंगारी की आवयश्कता थी अपनी कुंठा बाहर निकालने के लिए.

श्रमिकों का पलायन: अवधारणा

अंत में जब कोविड 19 के दौर में श्रमिक संकट ने कुछ दबी वास्तविकताओं से दो चार किया है. तो क्यों ना इस संकट को अवसर में बदल दिया जाए.

दिल्ली दंगो के नाम एक कविता “सब याद रखा जाएगा”

नही भूले है हम कश्मीर हमारा; नही भूलेंगे दिल्ली दुबारा.. सबकुछ लोगो को बताया जाएगा; सब याद रखा जाएगा।

कोरोना की यात्रा और कोरोना के बाद की यात्रा

सकारात्मक खबर के बावजूद अभी भी कई चुनौतियां बना हुआ है जैसे-अप्रवासी मजदूर के समुचित खाने की व्यवस्था, बन्द पड़े शिक्षण संस्थान में पढ़ाई शुरू करने की चुनौती, कोरॉना के बाद अर्थवयवस्था के पुनरुद्धार की चुनौती, साथ वैक्सीन बनने की चुनौती, भविष्य में प्रसार रोकते हुए जनजीवन सामान्य बनाने की चुनौतीl

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