Thursday, May 9, 2024

Hindi

बुद्धिजीवियों, अपनी ना-समझी का दोष वेदों को मत दो

अपनी नासमझी की वजह से किसी भी काव्य के अर्थ को अनर्थ ना किया जाय|

अभिसार शर्मा के नाम इक खुला खत, संदीप कुमार के मुद्दे पर

आम आदमी पार्टी के मुखपत्र जनता का रिपोर्टर पर अभिसार के लेख का जवाब

भकसाला से घबराये प्रेस्टिट्यूट

सोशल मीडिया पर लेफ्ट विंग प्रोपगैंडा करनेवालों की पोल खोलने के कारण प्रेस्टिट्यूट समाज भकसाला के खिलाफ एकजुट हो गया है।

वामपंथी तथा पश्चिमी शिक्षा-व्यवस्था : अलगाववादी राजनीती की मूल जड़

“भारत तेरे टुकड़े होंगे ....”, “हमें चाहिए भारत से आजादी ......”, “ भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी ....” आदि नारे लगाने लगे तो भारत की अस्मिता तथा अखंडता को अन्दर से ही खतरा हो जायेगा तथा सोवियत यूनियन की तरह हमारे देश के टुकड़े होने से भी कोई नहीं रोक पायेगा |

जिस तरह आतंकवादी का धर्म नहीं होता उसी तरह दलित को मारने वाले की जाति नहीं होती है

जो लोग एक तरफ आतंकवादी हमले के बाद यह कहते फिरते हैं कि आतंकवादी का कोई मजहब नहीं होता है वहीं लोग प्रेम विवाह हत्या मामले के बाद हत्यारों की जाति जोर-जोर से चिल्लाकर बताते हैं।

रवीश कुमार के लिए एक फ़ैन का खुला पत्र

मैं वैसे तो टीवी नहीं देखा परंतु पिछले दस दिन में आपका तीन कार्यक्रम देख लिया है। हर कार्यक्रम में एक बात जो सामान्य थी वो यह थी कि यदि सोशल मीडिया ना होता तो शायद आज भारत सोने की चिड़िया होता।

भारतीय बुद्धिजीवियों की जड़ता (ओबसेशन)

“इन्टेलेक्ट” के लिए हमारा शब्द है “बुद्धि”। हमारे सिद्धांत में “बुद्धि” का तीसरा स्थान है (पश्चिम में इसका पहला स्थान है)। हमारे सिद्धांत में प्रज्ञा के चार घटकों में बुद्धि का तीसरा स्थान है।

पानी और बिजली की स्थिति बताता दिल्ली से रायता का रिपोर्टर

केजरीवाल से बिजली माँगा तो उन्होंने एक कटोरा रायता दे दिया

लिबरलों का इन्टॉलरेन्स और अप्रासंगिक डिब्बाबंद प्रोग्रेसिव विचारकों की छटपटाहट

लिबरल लोगों के दोहरे मानदंड तब और प्रत्यक्ष हो जाते हैं जब ये उस झुंड से मिल आते हैं जहाँ कोई विचार इनसे दूर दूर तक नहीं मेल खाते।

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