जी हाँ मित्रों आज स्पष्ट रूप से आप देख सकते हैँ की इस राष्ट्र की दो धाराएं हैँ। पहली धारा जो भाजपा और आदरणीय प्रधानमंत्री जी के साथ है। दूसरी धारा जो भाजपा और प्रधानमंत्री जी के विरुद्ध है।
अब पहली धारा की चर्चा और परिचर्चा कर लेते हैँ।
इस धारा का नेतृत्व स्वयं करिश्माई व्यक्तित्व वाले, विश्व के आठ देशों (जिसमें रसिया, फ़्रांस और सऊदी अरब सम्मिलित हैँ) के द्वारा उनके देश के सर्वोच्च नागरिक के सम्मान से सम्मानित किये जाने वाले, संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा चैंपियन आफ चैंपियन का सम्मान प्राप्त करने वाले और सम्पूर्ण विश्व में सर्वाधिक लोकप्रिय और सशक्त नेता आदरणीय श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी कर रहे हैँ।
सकारात्मकता के साथ सबका साथ सबका विकास इस धारा का मूल मंत्र है। इस धारा में बहने वाले लोगों का मुख्य उद्देश्य राष्ट्र का सम्पूर्ण विकास, अपनी संस्कृति, सभ्यता, भाषा और मूल प्रकृति का सरंक्षण और संवर्धन है। इस धारा के लोग राष्ट्र को प्रथम स्थान पर नागरिकों को दृतीय स्थान पर और अपनी अपनी पार्टियों को तीसरे स्थान पर रखते हैँ।
कर्मयोग और ईमानदारी इनके चरित्र की प्रमुख विशेषताएं हैँ।
विश्व में शांति स्थापित करने वाले एक मात्र आशा के रूप में स्थापित हो चुके हमारे प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में इस धारा के द्वारा देश का सर्वांगिड़ विकास हुआ है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा, आवास, स्त्रिशक्ति, अध्यात्म,, संस्कृतिक, उद्योग और इंफ्रास्ट्रक्चर इत्यादि के क्षेत्रों आवश्यकतानुसार और समयानुसार अभूतपूर्व विकास हुआ है।
भ्र्ष्टाचार और परिवारवाद को जड़ से मिटाने के लिए इस धारा के लोग अनवरत प्रयासरत हैँ। इनके शासन काल में भारतीय सेना और अन्य सरकारी सुरक्षा एजेंसिया अपने पूरे दमखम के साथ कार्य कर रही हैँ।
इस धारा के लोग किसी चारित्रीक दुर्बलता के शिकार नहीं है। जैसे चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के दरबार में नौ रत्न हुआ करते थे, ठीक वैसे हि आदरणीय प्रधानमंत्री जी के कैबिनेट में भी नौ रत्न हैँ, जिनमें सबसे प्रमुख श्री नितिन गडकरी, श्री अमित शाह, श्री राजनाथ सिंह, श्री एस जयशंकर, श्रीमती निर्मला सीतारमण, और श्री अनुराग ठाकुर इत्यादि।
प्रधानमंत्री जी के राजधर्म से जनता संतुष्ट है।
अब आइये दूसरी धारा पर चर्चा और परिचर्चा कर लेते हैँ।
अब इस धारा का अस्तित्व केवल और केवल आदरणीय श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी और भाजपा के विरोध है।
इस धारा के अनेक नेतृत्वकर्ता हैँ, पर कोई भी प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व, नेतृत्व, सदाचारिता, समाजिकता, राष्ट्रवाद और ईमानदारी के समक्ष खड़े हो सकने की स्थिति में नहीं है।
कांग्रेस:- इसका नेतृत्व एक हि परिवार के तिन धुरियों के मध्य बाँटा गया है। प्रथम श्री राहुल गाँधी: – ५० वर्ष के ऊपर का जीवन जी चूके हैँ। कई भ्र्ष्टाचार के अपराधिक मामले न्यायालयों में चल रहे हैँ। कुछ मानलों में जमानत पर छूटे हुए हैँ। अभी कुछ समय पूर्व हि देश के “मोदी” सरनेम वाले समुदाय का अपमान करने के कारण इनकी संसद सदस्य्ता भी चली गयी और गुजरात उच्च न्यायालय ने इनको दो वर्ष की दी गयी सजा को भी बरकरार रखा।
दृतीय:- राहुल गाँधी जी की माता श्रीमती सोनिया गाँधी: – ये भी भ्र्ष्टाचार के एक मामले में जमानत पर छुटी हुई हैँ। ये २००४ से २०१३ तक भारत की अघोषित शाशक थी। और इस काल के दौरान अनेक प्रकार के घोटाले किये गये, यंहा तक की भारतीय रुपये छापने वाली मशीन को भी पाकिस्तान को बेच दिया गया।
तृतीय:- प्रियंका गांधी :- ये रॉबर्ट वाड्रा की धर्मपत्नी, राहुल गांधी की बड़ी बहन और सोनिया गाँधी की बेटी हैँ। इनका राजनितिक परिचय केवल इतना है कि “इनकी नाक इनके दादी श्रीमती इंदिरा गांधी से मिलती है। इनके पति भी भ्र्ष्टाचार के आरोपी हैँ।
राष्ट्रीय जनता दल:- श्री लालू प्रसाद यादव और श्रीमती राबड़ी देवी को कौन नहीं जानता। चारा घोटाले में सजा काट चुके लालू जी ” लैंड फॉर जॉब्स मामले में जमानत पर हैँ, आज इनके पुत्र श्री तेजस्वी यादव के विरुद्ध भी इसी भ्र्ष्टाचार के मामले में Charge Sheet दाखिल की जा चुकी है।
आम आदमी पार्टी: – श्री अरविन्द केजरीवाल जी के नेतृत्व वाली ये पार्टी, अल्प समय में हि भ्र्ष्टाचार के चरमोत्कर्ष पर पहुंच चुकी है, इनका कोई नेता अपनी पत्नी को कुत्ते से कटवाने में, कोई राशन कार्ड बनाने के नाम पर महिला के साथ दुराचार करने में, कोई हरियाणा में दंगा कराने तो कोई दिल्ली में दंगा कराने, कोई शराब और शिक्षा घोटाले में तो कोई मनी लौंडरिंग के मामले में जेल की सजा काट चुका है, या फिर काट रहा है या जेल में बंद सजा मिलने की प्रतीक्षा कर रहा है। उम्मीद है श्री अरविन्द केजरीवाल जी शीघ्र हि इसी सूची में सम्मिलित हो जायँगे।
तृण मूल कांग्रेस:- ये ममता बनर्जी जी के घर की पार्टी है और इसके दूसरे सबसे प्रमुख सितारे हैँ वो ममता जी के भतीजे श्री अभिषेक बनर्जी। रोज वैली घोटाला, कोयला खनन घोटाला, शिक्षक भर्ती घोटाला इत्यादि जैसे कई घोटाले इस पार्टी के नेताओं द्वारा किये गये हैँ। कई पार्टी के नेता जेल की शोभा बढ़ा रहे हैँ। कट मनी लेकर भी जनता का कार्य ना करने वाले ये नेता और ई का नेतृत्व कैसा है, आप देख सकते हैँ। ममता बनर्जी जी के कार्यकाल में पश्चिम बंगाल प्रत्येक दिन अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है।
अब NCP महाराष्ट्र से श्री शरद पवार;
उत्तर प्रदेश से समाजवादी पार्टी के श्री अखिलेश यादव;
बिहार से श्री नितीश कुमार;
कर्नाटक के डी कुमारस्वामी;
केरल के कम्युनिस्ट तथा
तमिलनाडू से श्री स्टालीन सहित कुल २६ विपक्षी पार्टियां इस धारा में सम्मिलित हैँ।
इस धारा का दूसरा हिस्सा भी है, जिसमे तेलंगाना के ओवैसी और टी चंद्रशेखर राव तथा उत्तर प्रदेश से बहुजन समाज पार्टी की मुखिया सुश्री मायावती जी।
अब प्रश्न ये है, मित्रों जो धारा केवल भाजपा और मोदी विरोध के नकारात्मक विचार पर आधारित हो, वो भला राष्ट्र के भविष्य के बारे में कैसे सोच सकती है। इस नाकारतमकता के वशिभूत होकर ये कभी :-“संविधान बचाने”, कभी ” लोकतंत्र बचाने” तो कभी “देश बचाने” और फिर इनसे फुरसत मिलती है तो “मोहब्बत की दुकान” खोलने निकल पड़ते हैँ।
अब इस धारा की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि कम से कम पांच प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों को लेकर ये धारा बाह रही है। जी हाँ श्री शरद पवार, श्री नितीश कुमार, श्री अरविन्द केजरीवाल, सुश्री ममता बनर्जी और कांग्रेस के युवराज श्री राहुल गाँधी जी।
अब प्रश्न ये है कि इन पांचो में से कौन कौन अपनी महत्वकांछा पे विराम लगाएगा और किसी एक को अपना नेता चुनेगा। और इससे भी बड़ा प्रश्न ये है कि, इनमें से कौन है जिसका व्यक्तित्व आदरणीय श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी के विश्वव्यापी व्यक्तित्व के समाने खड़े होने का साहस कर सकता है।
इस धारा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि “इनके पास ना तो सर्वमान्य नेता हैँ, ना नीति है, ना नियत है और ना कोई योजना है जो इस राष्ट्र के काम आये। इस धारा के लोग मुख्यत: अपने परिवार और स्वयं के अस्तित्व को बचाने हेतु एक साथ इकट्ठा भर हो गये हैँ, पर ये कितने समय तक एकत्र रहेंगे इसका उत्तर तो भविष्य के गर्भ में छिपा है।
वर्ष २०२४ के लोकसभा चुनाव में अब भारत की शानदार और जानदार विरासत वाली जनता जनार्दन को सोचना है, कि कौन् सी धारा उनके लिए और उनके भविष्य के लिए अत्यंत उपयोगी और महत्वपूर्ण साबित होगी।
जय हिंद।
लेखक:- नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता )
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