Collins dictionary के अनुसार इसका एक अर्थ धर्मांतरित भी है, अर्थात ऐसे जीव जिन्होंने किसी कारण अपना धर्म छोड़कर किसी मजहब को अपना लिया। या जिस व्यक्ति ने अपना मत बदल लिया हो, उसे कन्वर्ट कहते हैं।
मित्रों अपना धर्म छोड़कर किसी अन्य मजहब या पंथ को अपनाने के पीछे कई कारण होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्न प्रकार है:
१:- लालच
२:- अनुचित दबाव और झूठ
३:- मृत्यु से डर
मित्रों चलिए देखते हैं कि उपर्युक्त कारणों के द्वारा किस प्रकार धर्म परिवर्तन कराया जाता है।
लालच: ये मानवीय स्वभाव का एक अवगुण है। इसमें व्यक्ति धन, सुख, एश्वर्य और शक्ति प्राप्त करने के लालच में आकर अपना धर्म परिवर्तन कर लेते हैं। इस श्रेणी में दो प्रकार के जीव आते हैं।
क:- वास्तविक दरिद्र नारायण
ख: – स्वभाव से लालची
वास्तविक दरिद्र नारायण: हमारे देश में अभी भी गरीबी शीश उठाए मुस्कराती रहती है। “गरीबी हटाओ” का नारा देने वाले अपने आगे आने वाली सात पुस्तो के लिए अरबो का धन जोड़कर चलें गए पर ना तो गरीबी हटी और ना गरीबों का भविष्य सुधरा।
ऐसे व्यक्ति ज्यादातर अपनी अवश्यक्ता द्वारा उतपन्न की गई विषमताओ और विपन्न् परिस्थितियो के प्रभाव मे आकर विधर्मी या मजहब वालों के द्वारा दिए गए प्रलोभन का शिकार बन जाते हैं। ये अपनी आत्मा से धर्मांतरित नहीं होते अपितु शरीर और समाज की भौतिक अवश्यक्ताओ की पूर्ति हेतु विवशता वश धर्म परिवर्तन करने को तैयार हो जाते हैं। ये परिवर्तित होने के पश्चात भी अपनी जड़ से जुड़े रहते हैं।
स्वभाव से लालची: ये अत्यंत ही भयावह और खतरनाक जीव होते हैं, जो किसी अवश्यक्ता वश नहीं अपितु केवल और केवल लालच वश ही अपना धर्म परिवर्तन करते हैं। इनका एक मात्र उद्देश्य धन और शक्ति की प्राप्ति। ये मजहब अपनाने के पश्चात स्वयम् को उस मजहब से जोड़ने में सारा जीवन व्यतीत कर देते हैं।
ये लोग ना केवल अपने धर्म का त्याग करते हैं, अपितु इसके दुश्मन या आलोचक भी बन जाते हैं। ये कट्टरता की हर सीमा को लाँघने के लिए तैयार होते हैं। असल में ये लालच में आकर धर्म परिवर्तन तो कर लेते हैं परन्तु अंदर हि अंदर हीन भावना से ग्रसित और भीरु हो जाते हैं (क्योंकि असली धर्म से दूर हो जाते हैं और नए मजहब वाले इन्हें उतना सम्मान देते नहीं है) अत: इसी भय से बचने के लिए कट्टरता की सारी सीमा पार कर जाते हैं। दंगे फसाद करवाने, अफवाह फैलाने, सर तन से जुदा करने वाले और अपने छोड़ चुके धर्म और उसके अनुयायियों पर अनर्गल प्रलाप और मिथ्या प्रवन्चना करने वाले और मजहब के नाम पर हत्या करवाने वाले और आतंकी संगठन बनाने वाले यही लोग होते हैं, उदाहरण के लिए:
अब्दुल रशीद, मोहम्मद अली जिन्ना, सोहराबवर्दि, असदुद्दिन् ओवैसी, अकबरउद्दीन ओवैसी, आजम खान, ताहिर हुसैन, याह्या खान, परवेज मुशर्रफ, जिया उल हक, अमन्तुल्लाह् खान इत्यादि।
आतंकी सगठन बनाने वाले बाबर, ओसामा बिन लादेन, अबू बकर अल बगदादी, अल जवाहिरी, हाफिज सईद, सलाहउद्दीन, मौलाना अजहर मसूद रियाज भटकल, मक़्बुल् भट्ट तथा ……… इत्यादि।
अनुचित दवाब, झूठ और आपराधिक बल प्रयोग:- इसमें मजहबी जिहाद या क्रुसेड के अंतर्गत धर्म परिवर्तन करने वाले लोग होते हैं, जिन्हें जिहाद करने वाले या क्रुसेड करने वाले मजहबी पहले झूठ बोलकर विश्वास जीतते हैं, फिर उन पर काबू करके अनुचित दबाव और आपराधिक बल का उपयोग करके उसे धर्मांतरित करने का प्रयास करते हैं।
लव जिहादी और क्रीप्टो क्रिश्चियन इसी श्रृंखला में आते हैं ।
क्रीप्टो क्रिश्चियन के कुछ उदाहरण:
पूर्व राष्ट्रपति के आर नारायणन, अजित जोगी, गौरी लंकेश, अम्बिका सोनी, राजीव खेतान, सुशिल कुमार शिंदे, डी राजा, वाई एस आर रेड्डी, जगमोहन रेड्डी, सुब्बा रेड्डी, विजयन, इत्यादि और भी बहुत से क्रीप्टो क्रिश्चियन अर्थात छुपे हुए ईसाई हैं। इन्ही छुपे हुए ईसाइयो ने उत्तरपूर्व के राज्यों जैसे, मेघालय, मणिपुर, असम, नागालैंड और त्रिपुरा इत्यादि का पूरा डेमोग्राफी हि बदल दिया है।महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओ की हत्या इन्ही गुप्त इसाइयों का हि किया धरा है।
लव जिहाद में किस प्रकार हिन्दू बनकर म्लेच्छ प्रजाति में कन्वर्ट हो चुके मजहबी हिन्दू लड़कियों को अपने झूठ के जाल में फसाते हैं और भगाकर शादी करने के बाद उन पर अपना मजहब थोपने का प्रयास करते हुए या तो अपनी तरह कन्वर्ट कर देते हैं या फिर उनकी हत्या कर देते हैं।
मूसा के जनम से पहले कोई यहूदी नहीं था;
ईसा के जनम से पहले कोई ईसाई नहीं था और
मोहम्मद के जन्म से पहले कोई मुस्लमान नहीं था।
फिर इन सबके पूर्व दुनिया के मानवी सभ्यता का कौन सा धर्म था। बात करें चाहे मेसोपोटामिया के सभ्यता की या मिश्र के सभ्यता की या रोमन सभ्यता की या यूनानी सभ्यता की या बेबीलॉन के सभ्यता की या पर्शियन सभ्यता की या पैगन सभ्यता की या फिर अपनी वैदिक या सनातन सभ्यता की जिसकी शुरुआत सरस्वती घाटी की सभ्यता से मिलती है। आखिर इन सभ्यताओ के लोग किस धर्म के अनुयायी थे।
आखिर हमारे भगवान् श्रीराम से जुड़े तथ्य या मुर्तिया इराक, जर्मनी या रसिया में कैसे मिलती हैं। नरसिंह भगवान् की मूर्ति हॉलैण्ड में कैसे मिलती है। दक्षिण कोरिया का राजवंश कैसे अपने आपको भगवान् श्रीराम से जोड़ कर देखता है। स्पेन का रहने वाला गुंडा कोलम्बस भारत को ढूंढता हुआ अमेरिका पहुंच गया और वंहा के रेड इंडियन्स समुदाय को देखकर क्यूँ चीख पड़ा की उसने भारत को जाने वाले मार्ग को ढूंढ लिया जबकि वो तो माया सभ्यता वाला कोई अन्य देश था।
आखिर अब्राहम के पिता मूर्तिपूजक थे, क्यों? आखिर मोहम्मद का पूरा खानदान मूर्तिपूजक था क्यों? यरुशलम में बना मंदिर किसका था वंहा किसकी पूजा होती थी? आखिर वैवस्त मनु और नूह के समय आने वाला जल प्रलय एक जैसा क्यों है?
क्या कोई बता सकता है कि मूसा, ईसा और मोहम्मद के आने के पूर्व संसार में कौन सा धर्म अस्तित्व में था और लोग किस धर्म के अनुयायी थे?
मित्रों ७०० ईस्वी से लेकर २०१४ तक कभी काशीम, कभी गजनवी, कभी गोरी, कभी खिलजी, कभी तुगलक, कभी ऐबक, कभी गुलाम वंशी, कभी मुग़ल, कभी नादिरशाही, कभी पुर्तगाली, कभी फ्रांसिसी, कभी हॉलैण्ड वाले, कभी अंग्रेज तो कभी कांग्रेसी हमारे भारत के सभ्यता और संस्कृति को हमारे धन सम्पदा के साथ लुटते रहे ठीक उसी प्रकार जैसे उन्होंने यूरोप को, जैसे उन्होंने मिश्र को, जैसे उन्होंने पर्शिया को, जैसे उन्होंने अफ्रीका को, जैसे उन्होंने अरब इत्यादि को लुटा और सबसे बड़ी बात ये है कि इन्होने ईसाइयत और इस्लाम के नाम पर मिश्र कि सभ्यता, युनान कि सभ्यता, पैगन सभ्यता, पर्शियन सभ्यता, रोमन सभ्यता, मेसोपोटामिया की सभ्यता और माया सभ्यता जैसी अनेक प्राची सभ्यताओ का सर्वनाश कर दिया, उन्हें धूल में मिलाकर उनका अस्तित्व ही समाप्त कर दिया, परन्तु धन्य है हमारी वैदिक अर्थात सनातनी सभ्यता जो आज भी अपना अस्तित्व बचाये हुए है और अन्य मजहब वालों या विधर्मीयो को सच्चाई और भलाई के मार्ग का अनुसरण करने हेतु प्रेरित कर रही है।
मित्रों चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के बारे में तो सम्पूर्ण विश्व जनता है, उनकी सत्ता लगभग सम्पूर्ण विश्व में फैली थी। ये वहीं राजा थे, जिन्होंने रोमन सम्राट जूलीयस सीजर को महाकाल के उज्जैन की गलियों में बंदी बनाकर घुमाया था और फिर उसे जिंदा छोड़ दिया था।
खैर भारतवर्ष की संस्कृति और सभ्यता को नष्ट करने के लिए ये विधर्मी दिन रात एक किये हुए हैं। और इनमे ९०% धर्मांतरित ही हैं, जो स्वभाव से लालची, बेशर्म और बेईमान प्रकृति वाले होते हैं। मित्रों यही स्वभाव से लालची लोग धर्मांतरित होकर ना केवल अपने पूर्व धर्म को हानि पहुंचाते हैं अपितु नए मजहब में भी तरह तरह की गंदगी पैदा करते हैं। अवश्यक्ता से अधिक स्वयम को मजहबी दिखाने के चक्कर में एक से एक गंदगी का आवरण ओढ़कर उस मजहब को और गंदा करने का कार्य करते हैं।
याद रखिये मित्रों डुप्लीकेट या नकली माल को असली दिखाने के लिए जब भी प्रयास किया जाता है, निश्चित रूप से उसमें मिलावट के दुष्प्रभाव दिखाई पड़ने लगते हैं, कुछ वैसा हि जब स्वभाव से लालची और बेईमान लोग अपना धर्म छोड़कर कोई अन्य मजहब अपनाते हैं तो अपनी चारित्रिक गंदगी साथ लेकर जाते हैं और फिर नए अपनाये मजहब में भी अपनी दुर्गन्ध फैला कर उसे और भी प्रदुषित कर देते हैं।
ये हीन भावना से ग्रसित लोग बीमार मस्तिष्क वाले मनोरोगी हो जाते हैं और फिर सारी उम्र इसी मनोरोग से लड़ने में बिता देते हैं। ये कन्वर्ट या धर्मांतरित लोग अपने DNA में ऐसे Genes का पनपने का मौका देते हैं जो पीढ़ी डर पीढ़ी मजहबी कट्टरता और अपने पूर्वजो के धर्म के प्रति नफ़रत को बढाता रहता है।
ये मानसिक विक्षिप्तता की सीमा के आस पास भटकते रहते हैं। इनके मानसिक रोग का इलाज चिन जैसे देश बखूबी जानते हैं। भारत में भी ऐसे कैम्प लगाए जाने चाहिए और इन कैम्प में ओवैसी, आजम और अमान्तुल्लाह इत्यादि जैसे मजहबी धर्मांतरित लोगों को रखकर तब तक इलाज करना चाहिए जब तक ये अमानवीय हरकतों से बाज़ नहीं आ जाते।
लेखक:- नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)