Friday, March 29, 2024
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गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, १९६७ संशोधन विधेयक २०१९: भाग-2

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Nagendra Pratap Singh
Nagendra Pratap Singhhttp://kanoonforall.com
An Advocate with 15+ years experience. A Social worker. Worked with WHO in its Intensive Pulse Polio immunisation movement at Uttar Pradesh and Bihar.

मित्रों पिछले अंक में हमने गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, १९६७ (UAPA ) से सम्बंधित पृष्ठभूमि, इसकी आवश्यकता और इसके अंतर्गत किये गए संसोधनो के बारे में जानकारी प्राप्त की, हमने ये भी जाना की पूर्व के UAPA और संशोधन विधेयक २०१९ के पश्चात के UAPA में क्या विशेष अंतर स्थापित होगा। अब हम अन्य बिन्दुओ पर भी संक्षिप्त दृष्टि डालेंगे:-

अब यदि किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित कर दिया जाता है सरकार द्वारा तो इस अधिनियम में उसके पास क्या अधिकार दिए गए हैं अपना बचाव करने के लिए, आइये देखते हैं :-

१:- सरकार द्वारा आतंकवादी घोषित किया गया व्यक्ति, आतंकवादी घोषित होने के पश्चात, ३० दिनों या दिए गए समयावधि के अंदर, इस घोषणा के विरुद्ध सरकार के पास ही अपील प्रेषित कर इसे चुनौती दे सकता है।

२:- यदि सरकार इस व्यक्ति के अपील को नामंजूर कर देती है, तब इस नामंजूरी के आदेश को वो व्यक्ति एक उच्च न्यायालय  से अवकाश प्राप्त न्यायधीश की अगुवाई में नियुक्त समिति के समक्ष अर्जी देकर, चुनौती दे सकता है।

अब आइये देखते हैं कि आतंकवादी घोषित हो जाने के पश्चात उस व्यक्ति के अधिकारों पर क्या प्रभाव पड़ता है:-

१:- आपराधिक प्रक्रिया संहिता के अनुसार यदि किसी अपराध के लिए किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है तो समान्य तौर पर (क) न्यायालय द्वारा  न्यायिक हिरासत का आदेश मिलते ही उसे जमानत पर छोड़े जाने के अधिकार का उपयोग करने का अधिकार मिल जाता है  (ख) धारा १६७ के अनुसार ७ वर्ष तक के कारावास से दण्डित होने वाले अपराधों के लिए ६० दिन और ७ वर्ष से अधिक के कारावास से दण्डित होने वाले अपराधों के लिए ९० दिन के अंदर पुलिस द्वारा आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित ना करने पर जमानत का अधिकार मिल जाता है। परन्तु UAPA में २०१९ के संशोधन के पश्चात १८० दिनों तक आतंकी घोषित किये गए व्यक्ति को जमानत का अधिकार नहीं प्राप्त होता।

२:- यदि NIA (National Investigation Agency) का अधिकारी (जो उस व्यक्ति के केस की जाँच कर रहा है) न्यायालय से जाँच के लिए और समय की अनुसंशा  करता है तो उसे बढ़ाया जा सकता है।

३:-  यदि आतंकवादी घोषित किये गए व्यक्ति के विरुद्ध FIR में प्रथम दृष्टया साक्ष्य दिखाई देता है तो उसके जमानत की अर्जी या तो ख़ारिज की जाएगी या फिर जमानत देते हुए विशेष सतर्कता बरती  जाएगी।

UAPA  के अंतर्गत समस्त क्रियाओ को सम्पादित करने वाली कार्यपालिका NIA अर्थात (National Investigation Agency) होती है, इस संशोधन के जरिये NIA को और अधिक सशक्त बनाया गया है, जो निम्नवत है :-

एनआईए द्वारा संपत्ति की जब्ती की मंजूरी: इस  अधिनियम २०१९ से पूर्व एक जांच अधिकारी को आतंकवाद से जुड़ी संपत्तियों को जब्त करने के लिए सम्बंधित  राज्य के  पुलिस महानिदेशक की पूर्व स्वीकृति प्राप्त करने की आवश्यकता होती थी परन्तु अब इस २०१९ के संसोधन अधिनियम के पश्चात  अगर जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के एक अधिकारी द्वारा की जाती है, तो आतंकवाद से जुड़ी ऐसी संपत्ति की जब्ती के लिए पुलिस महानिदेशक की नहीं अपितु  एनआईए के महानिदेशक की मंजूरी की आवश्यकता होगी।

एनआईए द्वारा जांच: अधिनियम के तहत, मामलों की जांच उप-अधीक्षक या सहायक पुलिस आयुक्त या उससे ऊपर के स्तर के अधिकारियों द्वारा की जा सकती है। बिल अतिरिक्त रूप से एनआईए के इंस्पेक्टर या उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों को मामलों की जांच करने का अधिकार देता है।

संधियों की अनुसूची में सम्मिलन: अधिनियम आतंकवादी कृत्यों को परिभाषित करता है जिसमें अधिनियम की अनुसूची में सूचीबद्ध किसी भी संधि के दायरे में किए गए कृत्यों को शामिल किया जाता है। अनुसूची में नौ संधियों को सूचीबद्ध किया गया है, जिसमें The Convention for the Suppression of Terrorist Bombings (1997), और  The Convention against Taking of Hostages (1979), शामिल हैं। बिल सूची में एक और संधि भी जोड़ता है जो की The International Convention for Suppression of Acts of Nuclear Terrorism (2005) है।

मित्रो आज दुनिया का शायद ही कोई ऐसा देश है जो आतंकवाद की चपेट में ना आया हो चाहे वो बाहुबली अमेरिका, फ़्रांस , रूस या जर्मनी हो या फिर श्रीलंका जैसे छोटे देश | और सबसे ज्यादा कट्टरपंथी मजहबी  आतंकवाद ने पुरे विश्व को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है सबसे ज्यादा नरसंहार किया है | हमारा देश भारतवर्ष भी आज़ादी से पूर्व और आज़ादी के पश्चात कई बार बल्कि बार बार मजहबी आतंकवाद का शिकार बना है उदहारण के लिए (१)पंजाब के अमृतसर में  जलियावाला बाग़ में अंग्रेजो के द्वारा किया गया आतंकवाद; (२) केरल में मोपला मजहबी आतंकियों द्वारा किया गया भयानक आतंकवाद; (३) डायरेक्ट एक्शन डे के रूप में कलकत्ता और नोआखली में मोहम्मद अली जिन्ना द्वारा दिखाया गया भयानक आतंकवाद; (३) १९९३ में मुंबई में सिलसिलेवार किये गए बम विस्फोट; (४) पंजाब में ख़ालिश्तान के नाम पर भयानक आतंकवाद; (५) जम्मू कश्मीर में १९९० -१९९१ में कश्मीरी पंडितो के विरुद्ध किया गया भयानक आतंकवाद; (६) २६/११ को मुंबई में हुए हमले; (७) पुलवामा में हुए कायराना  आतंकी हमले; (८) उरी में हुआ भयानक आतंकी हमला; (९) गोधरा में ट्रेन के एक कोच में ५९ रामभक्तो को जिन्दा जला देने वाला भयानक आतंकी हमला तथा (१०) संसद पर हुआ भयानक आतंकवादी हमला इत्यादि ऐसे कई अनगिनत आतंकवादी अमानवीय घटनाओ को दृष्टिगत करते हुए UAPA में २०१९ के संसोधन अधिनियम के द्वारा जो आवश्यक संसोधन किये गए हैं वो वास्तव में देश को सुरक्षित रखने के लिए अति आवश्यक है और इन्हे अस्तित्व में होना ही चाहिए।

दोस्तों पूरा विश्व (१) इस्लामिक इस्टेट ऑफ़ सीरिया एंड इराक (ISIS); (२) अल- कायदा; (३) तालिबान; (४) बोको हराम; (५) हमास; (६) लश्करे तयबा; (७) अल नुसरा फ्रंट; (८) जेमा इस्लामिया (९) अबू सय्याफ; (१०) जैश-ए-मोहम्मद; (११) हरकत-उल-मुजाहिद्दीन; (१२)हिजबुल मुजाहिद्दीन; (१३) हिजबुल्लाह;(१४)तहरीके जेहाद ; (१५)अल-बदर मुजाहिदीन; (१६)हरकतुल मुजाहिदीन ; (१७)हरकते-जेहादे-इस्लामी ;(१८)जमातुल मुजाहिदीन;(१९)हिजबुल मोमिन  (२०)अल फतह फोर्स इत्यादि आतंकवादी संगठनो से पीड़ित है और इन सबका एक ही लछ्य है, पूरी दुनिया में अपने मजहब का राष्ट्र बनाना।

अब ऐसी परिस्थिति में ये अति आवश्यक है की है हमारे देश में कोई तो ऐसा कानून, नियम या प्रावधान हो जिसकी सहायता से आतंकवाद पर कड़ा प्रहार किया जा सके और इसे रोका जा सके। मित्रो अब यंहा गौर करने वाली बात ये भी है की अब न केवल आतंकवादी कानून की पकड़ में आएंगे अपितु आतंकीयो को किसी भी प्रकार की (आर्थिक, सामाजिक , राजनितिक या वैचारिक) सहायता देने वाले लोग भी आतंकवादी के दायरे में लाये जायेंगे और उन पर मुकदमा चला कर उचित दंड दिया जा सकेगा।

इस संसोधन अधिनियम का विरोध करने वाले एक ही राग अलाप रहे हैं, की POTA  या TADA  की तरह इसका भी दुरुपयोग किया जायेगा परन्तु मित्रो देश के संविधान के अनुसार बनाये गए नियम, कानून और प्रावधानों का दुरुपयोग तो केवल तुष्टिकरण, परिवारवाद, स्वार्थ और भ्र्ष्टाचार के आकंठ  में डूबे राजनितिक दल  ही कर सकते हैं , पर अपने राष्ट्र से प्रेम करने वाले कभी नहीं कर सकते।

आज रोहंगिया और बंगलादेशी घुसपैठिये पुरे देश के लिए खतरा बन चुके है, ये धीरे धीरे देश के गद्दारो की सहायता से देश के कोने कोने में फ़ैल चुके हैं। ये घुसपैठिये हमारे देश के अन्न, वायु , धरती और जल  का अनधिकृत रूप से उपभोग कर रहे हैं। हमारे देश की अर्थव्यवस्था पर बोझ बन कर जी रहे हैं और तुष्टिकरण का नीचतापूर्ण खेल खेलने वाले तथाकथित समाज के ठेकेदारों की सहायता से कागज बनवाकर सरकारी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं और वक्त मिलते ही पीठ  खंजर भोक दे रहे हैं। CAA  के विरोध में किये गए दिल्ली के दंगो को और हनुमान जन्मोत्सव के जुलुस के विरोध में उसी दिल्ली के जंहागीर पूरी में हुए हिंसक दंगे को क्या आप भूल सकते हैं, नहीं ना।

इसीलिए इस प्रकार के नियम और प्रावधान देश की सुरक्षा, एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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