दि कश्मीर फाइल्स में उन घटनाओं को दिखाया गया है जो 19 जनवरी 1990 को कश्मीर में घटित हुई।
आखिर कश्मीर में इतना भयंकर नरसंहार कैसे हुआ ? कैसे आंतकी आर्मी की ड्रेस में आकर हिंदुओं का नरसंहार कर पाए? कैसे सेना के लोगो को उन्हीं की जगह जा कर गोलियों से भून दिया गया? क्यों उनके खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई? क्या ये घटना केवल कुछ दिनों में घटित हुई? हिंदुस्तान के ही हिस्से कश्मीर में अलग कायदे कानून क्यों थे? अगर वहाँ संविधान के अनुसार कार्य होता तो ये नरसंहार नहीं होता।
सवाल इतने क्यों यही सोच रहे होंगे आप सभी लेकिन ये एक घटना मात्र नही है षडयंत्र था देश की एकता अखंडता को तोड़ने के लिए जिसके जिम्मेदार केवल कांग्रेस है बटवारे के बाद कश्मीर में अलग नियम कानून क्यों?
द कश्मीर फाइल्स आने के बाद से राजनीति का एक घिनोना चेहरा सामने आया है जिसपर बात करना बेहद जरूरी है। 32 साल बाद भी लोग अपने आँसू नही रोक पा रहे द कश्मीर फाइल्स देखकर कश्मीर में हुए नरसंहार के दर्द ने पूरे देश को झकझोर दिया है।
कश्मीर नरसंहार की कहानी पहले से शुरू हो गयी थी तब इसका स्वरूप इतना भयंकर नही था उस वक्त के मौजूदा प्रधानमंत्री राजीव गांधी को कई खत लिखे गए जिसमे बताया गया कि कश्मीर के हालात बिगड़ रहे है।
कश्मीर में हालात बद से बदतर होने लगे और 19 जनवरी 1990 को दरिंदगी हैवानियत नरसंहार कर भारत की धड़कन कश्मीर को लहूलुहान किया गया। कश्मीर में जो हुआ उसकी भनक लोगो को नही होने दी न मीडिया में कोई खबर आने दी न किसी तरह की सुरक्षा उन्हें दी गयी।
बल्कि आतंकियों को समर्थन दिया और ये दर्द की कहानी यही नही थमी कांग्रेस के मौजूदा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आतंकी से हाथ मिलाया आदर सत्कार किया गया लेकिन कश्मीरी हिंदुओं की सुध किसी ने नही ली। उन्हें उन्हीं के देश मे पलायन करना पड़ा; रिफ्यूजी बनकर रहना पड़ा। सोचिए उन पीड़ित परिवार को कितना दर्द हुआ होगा जब आतंकी से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हाथ मिला रहे है क्या राजनीति का स्तर कांग्रेस के लिए आतंकवाद को बढ़ावा देना है?
द कश्मीर फाइल्स बना कर फिल्म मेकर विवेक रंजन अग्निहोत्री ने सच को सामने लाने और गंदी राजनीति को उजागर करने का साहसिक कार्य किया है और कांग्रेस अब भी कश्मीरी हिंदुओ की पीड़ा को कम करने के बजाए कह रही है कश्मीर से हिन्दू खुद गए थे।
आज भी कश्मीरी हिंदुओ को न्याय मिलना बाकी है इस दर्द को खत्म तो नही किया जा सकता लेकिन पूरे राष्ट्र को मिलकर इसके लिए न्याय की मांग कर न्याय दिला कर कम करने का कार्य जरूर किया जा सकता है।