एक सच्ची त्रासदी के आधार पर, भावनात्मक रूप से ट्रिगर करने वाली फिल्म कश्मीरी पंडितों (हिंदुओं) की दुर्दशा पर प्रकाश डालती है, जो 1990 के दशक की कश्मीर घाटी में एक धार्मिक बहुत काम थे, जिन्हें इस्लामिक आतंकवादियों द्वारा अपने घरों से भागने के लिए मजबूर किया गया था।
Navad Lapid made such uncouth comments on the said film without any critical discussion. He uttered the two words in a hollow manner. It was a stupid and subjective comment on the part of Navad Lapid.
undhati Roy was the name I found myself staring at. My hand as if out of my control, just rose on its own and grabbed the book: Capitalism, a ghost story.
आजकल एक फिल्म जो ना सिर्फ धूम मचा रही है बल्की खूब सुर्खियां बटोर रही है, द कश्मीर फाइल। जिसकी सफलता की गूंज संसद मैं भी सुनाई दे रही है। प्रधानमंत्री से लेकर वित्त मंत्री तक जिसकी प्रशंसा करते नहीं थकते। नित नई नई रिकॉर्ड बनाती हुई यह फिल्म आम लोगों की खास बन गई है।
As expected, a counter narrative based on half- truths, twisted logic and whataboutry has begun for the recently released movie Kashmir Files. It is being lapped up by the ecosystem that is now famously known as ‘toolkit’ gang of Indian media.
अलीगढ़ में कुछ ऐसे ही घटनाओं के बारे में पता चला जो दिल्ली और कैराना जैसी ही थी। इनके अलावा न जाने कितनी जगहों पर यह काम चल रहा होगा यह भी सोचनीय विषय है क्योंकि ये घटनाएं भी मीडिया और सोशल मीडिया पर सालों बाद आईं। ऐसे में एक फ़िल्म बनाकर इसपर प्रकाश डालते हुए इस विषय मे हिंदुओ को सतर्क करना चाहिए क्योंकि जो कश्मीर में हुआ वो हो सकता है नहीं - होना शुरू हो चुका है।