Saturday, April 27, 2024
HomeHindiखेतों मे अवशेष जलाने की जिद

खेतों मे अवशेष जलाने की जिद

Also Read

Pooja Kushwah
Pooja Kushwahhttps://muckrack.com/poojakushwah
Digital Journalist/ Social Activist/ News Media

उत्तर भारत के अधिकांश हिस्से में प्रदूषण की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही हैं तब ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद है कि पंजाब और हरियाणा सहित अन्य राज्यों में भी पराली यानी फसलों के अवशेष जलाने का सिलसिला तेज हो रहा है। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाला यह काम तब हो रहा है जब राज्य सरकारों के साथ-साथ किसान भी भली भांति परिचित है कि पराली की धुंआ वायुमंडल को विषाक्त बनाने का काम करता हैं। पिछले साल उत्तर प्रदेश सरकार ने सख्ती दिखाई थी जिसके बाद उत्तर प्रदेश में खेतों में अवशेष जलाने की घटनाओं पर काफी हद तक नियंत्रण हुआ था, हालांकि प्रदेश सरकार ने बाद में पराली और अवशेष जलाने वाले किसानों पर दर्ज हुए मुकदमों को वापस लेकर किसानों को समझाने की कोशिश की थी।

पंजाब और हरियाणा राज्यों मे खेतों मे पराली जलाए जाने का बेरोकटोक सिलसिला यह बताने के पर्याप्त है कि जहां राज्य सरकारें अपनी जिम्मेदारी समझने से जानबूझकर इन्कार कर रही है वहीं किसान भी यह समझने के लिए कतई तैयार नहीं है कि पराली जलाकर वे कितना खराब काम कर रहे हैं। अब तो ऐसा लगता है कि इसी जिद में पराली जलाई जा रही है।हैरानी नहीं कि पंजाब और हरियाणा में यह जिद कृषि कानून विरोधी आंदोलन की उपज है।इसकी अनदेखी नहीं की जाती है कि कुछ कथाकथित किसान संगठन पराली न जलाने के एवज में भारी-भरकम धनराशि की मांग कर रहे हैं। जो कृत्य कानूनन अपराध है और जिससे लोगों की सेहत के लिए गंभीर खतरा पहुंच रहा है उसे न करने के बदले में मनमाने पैसे की मांग करना एक तरह की ब्लैकमेंलिग ही हैं। निःसंदेह राज्य सरकारों को पराली प्रबंधन के और अधिक उपाय करने ही होंगे, लेकिन इन उपायों को सफलता तभी मिलेगी जब किसान शासन-प्रशासन के साथ सहयोग करने के लिए तैयार होंगे। अभी तो ऐसा लगता है कि वे असहयोग वाला रवैया ही अपनाए हुए हैं। वे अपनी मजबूरी का जिक्र करके न केवल धडल्ले से पराली जला रहे हैं, बल्कि संबधित नियम-कानूनों को भी धता बता रहे हैं।

क्या ये विचित्र नहीं कि दीपावली पर पटाखें बेचने-खरीदने वालों के खिलाफ तो कार्यवाही की गई,वहीं दूसरी और पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कहीं ठोस कार्यवाही होती नहीं दिख रही है, वह भी तब जब पराली की धुंआ पर्यावरण पर पटाखों के प्रदूषण से कई गुणा अधिक घातक असर डाल रहा हैं।दिल्ली के आसपास के क्षेत्र में पराली के धुंआ से दमघोटू वातावरण हो गया हैं। ये समझना बहुत ही कठिन है कि पंजाब और हरियाणा के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों में पराली और अवशेषों को जलाए जाने का जो सिलसिला कायम हुआ है वह कब थमेगा, लेकिन यदि खेतों मे अवशेष को जलाने का सिलसिला नहीं रोका गया तो पर्यावरण को और अधिक गंभार क्षति पहुंचने वाली है। चिंता की बात ये ही कि पिछले कुछ सालों से देश के उन हिस्सों मे भी पराली जलने लगी है, जहां पहले ऐसा नहीं होता था। यही कारण है कि इसबार बिहार सरकार को ऐसे उपाय करने पड रहे है कि जिससे पराली को जलाने के रोका जा सके।उचित यह होगा कि पराली जलने से रोकने के उपायों को ठोस रूप देने के लिए केंद्र सरकार भी सक्रिय हो।

पिछले ग्यारह महिनों से पुरा देश देख रहा है कि कुछ कथाकथित किसान संगठन दिल्ली के बॉर्डरों पर राजमार्गों को बंद करके बैठे हुए है प्रतिदिन कुछ ना कुछ ब्लैकमेलिंग करने के लिए नए-नए प्रपंच रचते रहते हैं। पराली ना जलाने के बदले में मुआवजे की मांग करना भी एक प्रपंच के रूप में देखा जा सकता हैं। ये कहीं ना कहीं केंद्र सरकार के खिलाफ माहौल बनाने का हिस्सा प्रतीत होता हैं।ये बहुत ही दुखद है कि सुप्रीम कोर्ट हिंदू आस्था में मनाए जाने वाले दीपावली पर्व पर पटाखें और आतिशबाजी पर रोक लगाने का आदेश देता है वहीं किसानों के खेतों में अवशेष जलाने पर कोई भी टिप्पणी नहीं करता हैं। देश में पूर्ण बहुमत और लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार के खिलाफ कुछ लोग अपना ऐजेंडा सेट करके सभी नियम-कानून की धज्जियां उडा रहे हैं।कोई भी इसपर कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं हैं। इस प्रकार के सभी कृत्यों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की आवश्यकता हैं। जनता अब मूर्ख नहीं है वो सब देख रही है, ये देश की न्यायिक व्यवस्था, कथाकथित किसान संगठनों और विपक्षी राजनीतिक दलों को समझना होगा।

लेख – पूजा कुशवाह

(सभी विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं)
Follow on Twitter – https://twitter.com/being_pooja19

  Support Us  

OpIndia is not rich like the mainstream media. Even a small contribution by you will help us keep running. Consider making a voluntary payment.

Trending now

Pooja Kushwah
Pooja Kushwahhttps://muckrack.com/poojakushwah
Digital Journalist/ Social Activist/ News Media
- Advertisement -

Latest News

Recently Popular