विधानसभा 2022 के चुनाव परिणाम के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में सबसे मजबूत समीकरण जाट-गुर्जर में नया खिंचाव उभर रहा हैं. बीजेपी की जीत में दोनों अपनी भागीदारी जता रहे हैं, जिसके आधार पर मंत्रिमंडल में भागीदारी तय होगी.
कायतों के ऑनलाइन केंद्रीयकृत सिस्टम के जरिए वर्ष 2018 से लेकर 2020 के बीच यूपी सरकार के खिलाफ सर्वाधिक छह लाख शिकायतें दर्ज कराई गईं। वहीं महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर रहा। महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ दो लाख से ज्यादा शिकायतें मिलीं। शिकायतों के निपटान में भी यूपी अव्वल रहा।
बीजेपी की लहर में रालोद को दो लोकसभा चुनाव और एक विधानसभा चुनाव में मिली पराजय से जयंत चौधरी के सामने अपनी पार्टी के अस्तित्व को बचाने की बडी चुनौती है। पिछले तीनो चुनावों मे रालोद शून्य पर सिमट गया था।
वास्तव में पश्चिम बंगाल चुनाव में के बाद विपक्ष की कल्पना ठीक वैसी लगती है, जैसे कांग्रेस मे 2018 में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ और राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव में अपनी जीत के बाद मान लिया था कि भाजपा अब अपने पराभाव की तरफ बढ गयी है तथा कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व का पुनरोदय हो रहा है।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने दुर्बल आय वर्ग के लिए नीजि विकासकर्ताओं की ओर से बनाए गए मकानों की रजिस्ट्री पांच सौ रूपये में कराने के आदेश देकर गरीब वर्ग को बहुत बडी राहत प्रदान की हैं।
किसान संगठनो की हठधर्मिता लोगों को बंधक बनाकर अपनी मांगे मनवाने वाली प्रवृत्ति को ही रेखांकित कर रही है, उनके रवैये से यह बात तो पूरी तरह से साफ हो चुकी है कि उनकी दिलचस्पी आम जनता के समय और संसाधनों को जाया करने में अधिक हैं।
उत्तर भारत के अधिकांश हिस्से में प्रदूषण की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही हैं तब ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद है कि पंजाब और हरियाणा सहित अन्य राज्यों में भी पराली यानी फसलों के अवशेष जलाने का सिलसिला तेज हो रहा है।
सीएम योगी आदित्यनाथ की साफ सुथरी छवि के बारे में उनके धुर विरोधी भी प्रशंसा करते हैं। निर्णय लेने की दृढ शक्ति उनके अंदर दिखायी देती है वो जनता को बहुत ही प्रभावित करती हैं।
देश में एक नेरैटिव बना दिया गया है और बडे जोर शोर से प्रसार प्रचार किया जाता रहा है कि दीपावाली के अवसर पर पटाखों और आतिशबाजी के प्रयोग से प्रदूषण फैलता है, जिसके कारण हर साल दीपावली से पहले प्रतिबंध लगाने की होड मच जाती हैं।
देश के गांवों में रोजगार के लिए लाइफ लाइन कहीं जाने वाली महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) में कार्यरत श्रमिको की दिवाली इस बार फीकी रह सकती है।