बिजनौर: मई 2014 में लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद नरेंद्र मोदी जी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। अपनी संसदीय क्षेत्र वाराणसी में नामांकन भरते हुये नरेंद्र मोदी ने कहा था कि “मुझे ना किसी ने भेजा है और ना मै यहॉं आया हुं, मुझे मॉं गंगा ने बुलाया है”।
गंगा नदी को हिंदु धर्म में आस्था के साथ जोडा देखा जाता है तथा हिंदु धर्म मानने वाले गंगा को सिर्फ नदी ही नही मॉं भी मानते है हिंदु धर्म की मान्यता के अनुसार गंगा जी को पापनाशिनी भी माना जाता है। गंगा नदी में बढ रहे प्रदुषण को रोकने और उनके घाटो की साफ सफाई होने के संबध में देश की करोडो जनता के अंदर विश्वास हो गया था कि केंद्र की मोदी सरकार इस विषय मे ठोस और प्रभावी कदम उठायेगी। 07 जुलाई 2016 को उत्तराखंड के हरिद्वार मे गंगा की सफाई और जल को निर्मल बनाने के लिये महत्वाकांक्षी नमामी गंगे परियोजना का शुंभारभ उत्तराखंड के तत्कालीन सीएम हरिश रावत, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और संतो आदि की उपस्थिति में किया गया था। नमामी गंगे परियोजना में उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिला से ही गंगा नदी का प्रवेश उत्तर प्रदेश की सीमा में होता है उसके तीन महत्वपूर्ण घाट बैराज घाट महात्मा विदुर कुटी घाट और बालावाली घाट का चयन किया गया था। इन तीनो स्थान पर घाटो का जिर्णाद्धार तथा बिजली से चलने वाले शवदाह गृह बनाने की घोषणा की गयी थी। बिजनौर जिले के सभी तीन घाटो में से बालावाली घाट को शासन ने भूला दिया।
बालाबाली घाट पर 2013 में केदारनाथ घाटी आयी बाढ से कई कई फीट मिट्टी जमा हो गयी थी जिससे पहले से बने घाटो का अस्तित्व पूरी तरह से नष्ट हो गया था। मिट्टी पर जंगली घास उगने से वहॉं पर गंदगी का अंबार लगा रहता है। गंगा जी की धारा भी घाट से 100मीटर दूर बहती है। जिससे श्रद्धालुओ को गंगा जी मे स्नान करने में बहुत परेशानी का सामना करना पडता है। गंगा घाट के किनारे बने मंदिरो की रौनक चली गयी तथा घाट के पास गंगा की धारा ना बहने और घाटो के पास उगी घास मे गंदा पानी जमा होने से कीडे पैदा हो रहे है। नमामी गंगे परियोजना में बालावाली घाट के चयन के बाद आस पास के निवासियो और दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुयो के अंदर आशा की किरण जगी थी कि बालावाली में गंगा घाट के पुनर्निमार्ण और विद्युत शवदाह गृह बनने से घाट पर साफ सफाई रहने लगेगी तथा दाहसंस्कार विद्युत शवदाह गृह में होने से गंगा जी मे लकडियो से दाहसंस्कार के करने से गंगा नदी मे बचे अपशिष्ट नही डलेगा।
सात वर्ष से अधिक समय बीतने के बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार एवं केंद्र सरकार द्वारा बालावाली घाट के पुननिर्माण एवं विद्युत शवदाह गृह बनाने के लिये जमीन पर कोई कार्य नही किया गया भले ही कागजो मे यहॉं पर निर्माण दिखा दिया गया हो। बालावाली घाट के प्रति उदासीनता वाला रैवया अपनाने पर पिछले वर्ष सितम्बर माह में केंद्र सरकार के जलशक्ति मंत्रालय को शिकायती पत्र भेजा गया था जिसपर मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश स्टेट क्लीन गंगा मिशन को पत्र भेजा तथा उत्तर प्रदेश क्लीन गंगा मिशन ने कार्ययोजना बनाने का आश्वासन तो दिया उसके आगे कोई कार्य नही बढाया गया। बालावाली घाट पर काफी संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान करने आते है तथा आसपास से शवो के दाहसंस्कार के लिये भी लोग आते है कोरोना महामारी मे प्रतिदिन काफी बडी संख्या मे प्रतिदिन बालावाली घाट पर लकडियो से ही लोग दाहसंस्कार करने आये है जिससे गंगा जी मे काफी प्रदुषण बढ गया था।
पिछले हफ्ते उत्तराखंड के पहाडो पर भारी बारिश होने के बाद गंगा जी का जल स्तर बढने से बाढ जैसी स्थिति बन गयी थी बालावाली घाट पर मिट्टी जमा होने के कारण गंगा मे आया पानी घाटो के पार करके आसपास के कई किलोमीटर तक बहने लगा था। अब जल का स्तर कम हुया जिसके कारण घाटो पर जमा मिट्टी कीचड मे परिवर्तित हो गयी है और घाट के पास बने मंदिरो मे भी कीचड जमा हो गया था जिसको पास के गॉंव के कुछ युवको ने फावडो और झाडूओ के हटाया तथा मंदिरो की सफाई की। घाट पर जमा मिट्टी जो बरसात आने पर कीचड मे बदल जाती उसमे कीडे पैदा होने लगे है , आस पास के रहने वाले निवासियो मे रोष है केंद्र और राज्य सरकार को बार बार अवगत कराने के बाद भी सरकारे इस पौराणिक और महत्वपूर्ण घाट के जिर्णोद्धार और सौंदर्यकरण नही करा रही है।
केंद्र और राज्य सरकार कब इस महत्वपूर्ण घाट की सूध लेगी इस विषय मे कहना बहुत ही मुश्किल है।
– रिपोर्ट -अभिषेक कुमार