Monday, October 7, 2024
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हिंदुस्तान में कोविड 19 टीकाकरण की प्राथमिकता सूची हिन्दू दर्शन के अनुरूप

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हिन्दू शास्त्रों में परिवार में भोजन और अन्य सुविधाओं के वितरण को लेकर स्पस्ट निर्देश मिलते है। कुटुंब में बने भोजन में से गाय और कुत्ते की रोटी पहले अलग कर दी जाती है। अर्थात समस्त जगत का चिंतन, व्यस्था की जाती है। इसके बाद गुरु, अतिथि को भोजन का निर्देश है यानी आगन्तुक की सेवा। अतिथि देवो भवः को मानते है। इसके बाद घर के बुजुर्ग और रोगी का क्रम है। इसी क्रम में बच्चों का नम्बर है। फिर गृह स्वामी गृह स्वामिनी का नम्बर अर्थाय युवा का नम्बर है।

भारत हिन्दू राष्ट्र की तरफ कदम दर कदम बढ़ रहा है। कुछ अपवाद और अड़चन को छोड़ दें तो वर्तमान में टीकाकरण की प्राथमिकता इसी क्रम में दिखाई देती है। अंतर केवल इतना है कि अभी बच्चों के लिए वैक्सीन का ट्रायल नहीं हो पाया है इस लिए वे फिलहाल प्राथमिकता के क्रम में पीछे है।

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भारत सरकार इस साल जनवरी से ‘समग्र सरकार’ दृष्टिकोण के अंतर्गत टीकाकरण में कोविड रोगियों के प्रभावी प्रबंधन के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रयासों में मदद कर रही है।कोविड के वैश्विक प्रभाव वाली एक महामारी होने के कारण, सभी देशों में टीकों की वैश्विक मांग बहुत ऊंची बनी हुई है। इसके सीमित उत्पादन क्षमता के साथ निर्माताओं की संख्या भी बहुत ही सीमित है। भारत की जनसंख्या 1.4 अरब जनसंख्या है जो विश्व बैंक के अनुसार विश्व की जनसख्या 7.7 अरब, का एक बड़ा हिस्सा है।

भारत में, जनवरी 2021 में नियामक संस्था ने दो टीकों को अपनी अनुमति दी थी। इन दोनों निर्माताओं सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक के पास दिसंबर, 2020 के महीने में टीके की लगभग 1 करोड़ डोज उपलब्ध कराने की क्षमता थी।

हालांकि नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन फॉर कोविड-19 (एनईजीवीएसी) को अगस्त 2020 में ही गठित कर दिया गया था। ताकि टीकाकरण के लिए लाभार्थियों की प्राथमिकता को तय करने, टीके की खरीद व चुनाव करने और इसकी आपूर्ति समेत टीकाकरण को शुरू करने संबंधी सभी पहलुओं पर सलाह मिल सके।

जानकारी यह है कि भारत में कोविड-19 टीकाकरण के लिए लाभार्थियों की प्राथमिकता को उपलब्ध

1 वैज्ञानिक साक्ष्यों,

2 डब्ल्यूएचओ के बताए दिशानिर्देशों,

3 वैश्विक उदाहरणों और

4 अन्य देशों में अपनाई गई पद्धतियों

की समीक्षा के आधार पर तय किया गया है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य इस प्रकार है:

• स्वास्थ्य देखभाल और अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को सुरक्षा देना और इस तरह महामारी का मुकाबला करने वाले तंत्र को बचाना। ये वे पूजनीय लोग है जिन्होंने स्वास्थ्य सेवाएं दी। मां के समान आमजन को सम्हाला।

• कोविड-19 के कारण होने वाली मौतों को रोकना और अत्यधिक खतरे व रोगों के चलते जोखिम वाले व्यक्तियों को सुरक्षा देना।

इसके अनुसार, हमारे देश में प्राथमिकता वाले समूहों को शामिल करने के लिए टीकाकरण अभियान को क्रमिक रूप से विस्तार दिया गया।

1. इसे 16 जनवरी, 2021 को स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों (एचसीडब्ल्यू) के साथ शुरू किया गया।

इस दृष्टिकोण ने भारत में बहुत सकारात्मक परिणाम दिए हैं। इससे पंजीकृत एचसीडब्ल्यू के बीच पहली खुराक के साथ टीकाकरण कवरेज 90% से ज्यादा और पंजीकृत एफएलडब्ल्यू के बीच पहली खुराक के साथ टीकाकरण कवरेज लगभग 84% प्राप्त हो चुका है। इस प्रकार इस समूह को सुरक्षा मिली है, जो कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं, सतर्कता और रोकथाम की गतिविधियों के संचालन में शामिल है।

2. 02 फरवरी, 2021 से फ्रंट लाइन वर्कर्स (एफएलडब्ल्यू) को, वेक्सीनेसन प्रारम्भ किया। मृत्यु दर को घटाने पर ध्यान देने के साथ, 1 मार्च, 21 से अगले चरण में 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों और विभिन्न रोगों से ग्रस्त 45-59 वर्ष आयु वर्ग के लोगों टीकाकरण में शामिल किया गया।

3. 01 मार्च, 2021 से 60 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्ग व्यक्तियों एवम 20 चिन्हित रोगों से ग्रस्त 45-59 वर्ष की आयु के व्यक्तियों को तीसरे चरण में सम्मिलित किया गया।4. 01 अप्रैल, 2021 से, 45 वर्ष और इससे अधिक आयु के सभी व्यक्ति टीकाकरण के लिए पात्र मानकर चौथा चरण प्रारम्भ किया गया।

कोविड-19 टीकाकरण का अगला चरण 1 मई, 2021 से शुरू हो चुका है, जिसमें 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी नागरिक टीकाकरण के लिए पात्र हैं। 1 मई 2021 को एक ‘उदारीकृत मूल्य निर्धारण और त्वरित राष्ट्रीय कोविड-19 टीकाकरण रणनीति’ अपनाई गई थी, जो कोविड-19 टीकाकरण अभियान के अभी चल रहे चरण-III का मार्गदर्शन कर रही है।इस रणनीति का उद्देश्य-

  • टीके के निर्माताओं को टीका उत्पादन में तेजी लाने
  • नए टीका निर्माताओं को आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहित करना

इससे क्या होगा-

  • इससे टीके के उत्पादन में बढ़ोतरी होगी,
  • जिससे टीके की उपलब्धता बढ़ेगी,
  • जिसके परिणामस्वरूप टीके के कीमत निर्धारण, खरीद और टीकाकरण में लचीलापन आएगा,
  • अंत में टीकाकरण की कवरेज में सुधार होगा।

आज की तारीख में, भारत अपने टीकाकरण अभियान में कोविड-19 के खिलाफ तीन टीकों का उपयोग कर रहा है। इनमें से दो टीके- सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का कोविशील्ड और भारत बायोटेक का कोवैक्सिन-भारत में ही बने हैं, जिन्होंने मई 2021 के महीने में टीके की लगभग 7.92 करोड़ डोज की आपूर्ति की है।

टीके की उत्पादन की क्षमता को बढ़ाया गया है। एक जैविक उत्पाद होने के कारण टीकों के तैयार होने और गुणवत्ता की जांच करने में समय लगता है। एक सुरक्षित उत्पाद सुनिश्चित करने के साथ इसे रातोंरात नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार, विनिर्माण क्षमता में बढ़ोतरी को भी एक बहुत ही निर्देशित प्रक्रिया की जरूरत होती है।तीसरा टीका रूसी स्पूतनिक-वी है, जिसे भारतीय औषध महानियंत्रक (डीजीसीआई) से आपातकालीन स्थिति में सीमित उपयोग के लिए अनुमति मिली है। इसका कुछ निजी अस्पतालों में उपयोग किया जा रहा है, जिसके आने वाले दिनों में बढ़ने की उम्मीद है।देश में कोविड-19 के टीके उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार, एनईजीवीएसी के माध्यम से, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टीका निर्माताओं जैसे फाइजर, मॉडर्ना इत्यादि के साथ नियमित तौर पर बातचीत कर रही है।सरकार की ठोस कार्रवाइयां इस बात का दृढ़ संकेत है कि भारत सरकार देश में टीके का उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ विदेशी टीका निर्माताओं को आकर्षित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, ताकि राष्ट्रीय कोविड टीकाकरण कार्यक्रम के लिए आवश्यक टीके की आपूर्ति की जा सके।

टीकों की उपलब्धता में बाधाओं के बावजूद, भारत ने महज 130 दिनों में 20 करोड़ (200 मिलियन) लोगों का टीकाकरण करके अच्छा प्रदर्शन किया है, जो विश्व में दूसरा सबसे बड़ा कवरेज है।

प्राथमिकता का यह भारतीय मॉडल है, जिसमें अधिक उपयोगी युवा को उपचार दे कर बुजुर्ग को मरते हुए नहीं छोड़ा जाता। इस तरह बुजुर्ग को अनुपयोगी समझकर मरता छोड़ देने की संस्कृति पाश्चात्य है, अभारतीय है। हमने अपने दर्शन, चिंतन के अनुरूप प्राथमिकताएं तय की है इसका हमें गर्व है। भारत में कोविड 19 टीकाकरण की प्राथमिकता गहन अध्ययन के पश्चात तय हुई किंतु यह भारतीय संस्कृति हिन्दू संस्कृति के अनुरूप ही है।

हमें गर्व है कि हमने स्वदेशी टीका विकसित किया। हमें गर्व है कि हमने विश्व को सुरक्षा व स्वास्थ्य का न केवल आश्वासन दिया बल्कि वैक्सीन डिप्लोमेसी के अंतर्गत काम भी किया। हमने गर्व है कि भारत में टीकाकरण की प्राथमिकता में भारतीय मॉडल अपनाया।

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