एक बार पून: निम्न कोटि की निकृष्ट मानसिकता रखने वाले और दुनिया की सबसे प्राचीन और एक मात्रा जीवित सभ्यता (जिसे सम्पूर्ण विश्व “सनातन सभ्यता या वैदिक सभ्यता या फिर सरस्वती/सिंधु घाटी की सभ्यता के नाम से परिचित है) से घृणा करने वाले वामपंथी अमानुषों ने विधर्मियो के साथ मिलकर अपना काला व् भयानक जहरीलेपन की पराकाष्ठा को छूने वाला विशवमन किया है। इस बार वामपंथी अमानुषों ने दिल्ली (एनसीआर) के ग़ाज़ियाबाद में स्थित सनातन धर्मियो के सबसे पवित्र स्थलों में से एक शिवशक्ति धाम डासना मंदिर को निशाना बनाया है।
मंदिर का इतिहास
शिव शक्ति धाम डासना मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। इस धाम ने पांडवों को भी शरण दी थी। पुरातत्व विभाग भी प्रमाणित कर चुका है कि मंदिर में स्थापित शिवलिंग 52 सौ साल पुराना है। मंदिर में स्थापित शिवलिंग और देवी के काली स्वरूप के दर्शन करने से मनोकामना पूरी होती है। यहां की आबोहवा में एक अलग ऊर्जा एहसास होता है।
यह मंदिर महाभारतकालीन है और अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भी इसी मंदिर में शरण ली थी। जाहिल व विदेशी आक्रांता मुगलो ने अपने मुगल काल में इस मंदिर को भी क्षतिग्रस्त कर दिया था। मंदिर के तत्कालीन महंत ने मुगलों के नापाक मंसूबो से बचाकर मंदिर में लगी देवी की मूर्ति को कुछ अन्य मूर्तियों के साथ तालाब में छिपा दिया था। लगभग दो सौ साल के बाद मंदिर के तत्कालीन महंत जगत गिरि महाराज के सपने में देवी ने दर्शन दिए और मूर्ति के तालाब में होने के तथ्य का प्रकटीकरण किया और तब महंत जी ने तालाब में खुदाई कराकर माता की मूर्ति को निकलवाया और पुन: मंदिर में माता के मूर्ति की विधिवत प्राणप्रतिष्ठा कर स्थापना की। माता के काली स्वरूप की मूर्ति में जीव बाहर नहीं निकाली हुई है और वह कमल के फूल पर खड़ी हैं। मूर्ति कसौती के पत्थर की बनी है। यह धातु अत्यंत कीमती होता है इस धातु की कीमत करोड़ों में है।
ऐसा दावा है कि देवी के इस स्वरूप और धातु की इतनी प्राचीन मूर्ति दुनियां में केवल चार जगह है। शिव शक्ति धाम डासना, हिंग्लाज (जो अब पाकिस्तान में है), कोलकाता और गुवाहाटी के पास कामाख्या मंदिर में है। प्रतिमा के पुन: स्थापना के बाद जगत गिरि महाराज ने मंदिर में ही जीवित समाधि ली थी।
डासना गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि प्रतिमा की स्थापना के बाद से ही मंदिर की रखवाली के लिए एक शेर रहता था। मंदिर में पूजा करने वाले श्रद्धालुओ को तो शेर ने कभी हानि नहीं पहुँचाई, लेकिन कभी भी मंदिर को किसी ने नुकसान पहुंचाने की कोशिश की तो शेर उसे छोड़ता भी नहीं था। वृद्धावस्था में शेर ने मंदिर प्रांगण में ही अपने प्राण त्याग दिए। आज भी मंदिर में बनी शेर की समाधि पर लोग मत्था टेकते हैं और अपनी मनोकामना को पूर्ण करने की कामना करते है।मंदिर में 109 शिवलिंग की स्थापना भी की हुई है। इसके अलावा 2018 में 108 किलो पारे से बने पारदेश्वर महादेव की स्थापना की गई। नवरात्र पर्व के मौके पर अष्टमी और नवमी के दिन हजारों की संख्या में लोग ऐतिहासिक महत्व वाले डासना स्थित प्राचीन देवी में दर्शन के लिए आते हैं। परिवार के लोगों की सुख शांति के लिए प्रचंड चंडी देवी की पूजा करते हैं। कहा जाता है कि करीब पाँच हजार साल पुराने इस मंदिर में भगवान शिव, नौ दुर्गा, सरस्वती, हनुमान की मूर्ति स्थापित हैं।
मंदिर के आसपास के क्षेत्र की स्थिति :-
मंदिर के आस पास का पूरा क्षेत्र शांतिदूतो अर्थात विधर्मिओं से घिरा हुआ है। यहाँ की ९५ % जनसंख्या शांतिदूतो की है। इसी से अनुमान लगाया जा सकता है की इस क्षेत्र में शांतिदूतो का कितना बोलबाला होगा क्योंकी इतिहास गवाह है जब जब शांतिदूतो की जनसंख्या किसी क्षेत्र में १५% ऊपर हो जाती है फिर वो बचे हुए ८५% का जीवन दूभर कर देते है (उदाहरण के लिए पाकिस्तान का सिंध, कराची व् अन्य प्रान्त, भारत का जम्मू और कश्मीर, केरल, प. बंगाल, बांग्लादेश का ढाका, उत्तर प्रदेश में कैराना, हरियाणा के कई प्रान्त इत्यादि) और यंहा पर तो वो ९५% प्रतिशत है। डासना देवी मंदिर पीठ चंडी देवी के वर्तमान महंत यति बाबा नरसिंहानंद महाराज बताते है की उनके पूर्व इस मंदिर के चार महंतो की शांतिदूतो द्वारा हत्या की जा चुकी है। कई महंत शांतिदूतो द्वारा पिट पिट कर भगा दिए गए है। महंत यति बाबा नरसिंहानंद महाराज आगे बताते है की इस मंदिर में लगभग २० बार डकैतियां शांतिदूतो द्वारा डाली जा चुकी है। इस मंदिर में शांतिदूत दिनदहाड़े आकर सनातनी महिलाओं, बच्चियों के साथ छेड़खानी करके चले जाते थे और जब शिकायत की जाती थी तो बड़ी बड़ी दाढ़ी वाले बुजुर्ग मौलाना भी भीड़ जुटाकर लड़ने भिड़ने चले आते थे।
महंत यति बाबा नरसिंहानंद महाराज ने बताया की उनके आने के बाद जब मंदिर प्रशासन ने इन आतंकियों का मुँह तोड़ जवाब देना शुरू किया तो इन आपराधिक वारदातों में कुछ कमी आयी पर शांतिदूत बाहुल्य होने के कारण ये अक्सर होती रहती है और पुलिस प्रशासन कुछ नहीं करता।
महंत यति बाबा नरसिंहानंद महाराज ने एक घटना का उल्लेख करते हुए बताया की एक बार यहाँ के विधायक असलम चौधरी का लड़का भी छेड़खानी करते हुए पकड़ा गया तो उसने विधायक का बेटा होने का रौब झाड़ा उसके बाद उसे मंदिर प्रांगण में ही गिरा के मारा गया बाद में पुलिस ने मामला रफा दफा कर दिया।
क्या है आरिफ का मामला?
आरिफ नाम के एक १५ वर्षीय लड़के को मंदिर के कार्यकर्त्ता शृंगी यादव ने पीटा और उसका विडिओ वायरल कर दिया। अब वामपंथी अमानुषों ने इसे मोदी और योगी सरकारो को और उसके साथ ही मंदिर को बदनाम करने का नया हथियार बना लिया। बिना वक्त गवाए कुछ तथाकथित पत्रकारों ने आरिफ का साछात्कार लिया और ये कहते हुए दिखाया की वो तो मंदिर में पानी पिने गया था और चूँकि वो मुसलमान था अत: उसे इसकी सजा दी गयी। अत्यधिक शोर मचाया गया बगैर शृंगी यादव की बात सुने और परिणामस्वरूप शृंगी यादव को गिरफ्तार कर लिया गया।
यह सब बवाल तब और बढ़ गया जब आसिफ से मिलने के लिए विधायक असलम चौधरी से लेकर दिल्ली की पूर्व विधायक अलका लांबा, कॉन्ग्रेस के जिला अध्यक्ष विजेंद्र यादव समेत अनेक विपक्षी नेता उसके घर पहुँचने लगे। धौलाना के बसपा विधायक असलम चौधरी जब आसिफ के घर पहुँचकर उसका हाल चाल लिया। तभी धमकी भरे अंदाज में असलम ने ज्ञान देते हुए बहुत कुछ कह दिया था कि कोई भी धार्मिक स्थल हो, उन पर सभी का अधिकार होता है। देवी मंदिर भी उनके वंशजों की विरासत है। माफिया व अपराधिक प्रवृत्ति के लोग अमन बिगाड़ना चाहते हैं।
असलम ने यहाँ तक कहा था, “डासना मंदिर हमारे पूर्वजों का मंदिर है। यह मंदिर हमारे पूर्वजों ने बनाया है। यहाँ पर कुछ गुंडे प्रवृत्ति के लोग आ गए। कुछ लोगों ने बाहर से आकर मंदिर पर कब्जा करना चाहा और तरह-तरह की एक्टीविटी करके यहाँ के माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की। मगर यहाँ के हिंदू-मुसलमान के बीच इतनी एकता है कि उन्होंने इसे बिगड़ने नहीं दिया। हम इन गुर्गों को बताना चाहेंगे कि मंदिर हमारी विरासत है।हम पानी पीने भी जाएंगे, अपनी मंदिर की देख-रेख करने भी जाएंगे। मैं मंदिर में जाऊँगा। मैं देखता हूँ कि कौन रोकता है।” विधायक असलम के ऐसे धमकियों के बाद भी जहाँ श्रृंगी यादव को आसानी से जमानत मिल गई तो विधायक खुद अपने धमकी भरे बयान साफ मुकर गए।
मामले का सच।
‘सुदर्शन न्यूज’ से बात करते हुए श्रृंगी यादव ने बताया था कि वो लड़का झूठ बोल रहा है कि वो पानी पीने के लिए मंदिर के भीतर घुसा था। आरिफ को पीटने के मामले में गिरफ़्तारी के बाद जमानत पर बाहर आए श्रृंगी यादव ने बताया था कि उसने उस लड़के को शिवलिंग पर चढ़ाए गए जल में पेशाब करते हुए देखा था। इस तथ्य की सच्चाई को कोई भी नकारने की स्थिति में नहीं है क्योंकि मूर्तियों को खंडित करना, उन पर पेशाब करना, मंदिर प्रांगण में गंदगी फैलाना, मंदिरो को तोड़ देना तथा मंदिर को बदनाम करने के लिए हर प्रकार के हथकंडो को अपनाने का पूरा ८०० से १००० वर्षो का इतिहास पड़ा है और उस इलाके का तो बच्चा बच्चा इस तथ्य से वाकिफ है।
अब प्रश्न यह है की क्या आरिफ पानी पिने मंदिर गया था या कुछ और करने।
१:- मंदिर के मुख्य दरवाजे के पास ही मंदिर से बाहर सरकारी नल है;
२:- मंदिर के बाहर ही एक और नल है तथा
३:- मंदिर के अंदर प्रवेश करते ही पानी पिने का नल है।
फिर आरिफ मंदिर में ५०० मीटर अंदर शिवलिंग के पास क्यों पानी पिने गया। तो साथियों यहाँ के शांतिदूतो का ये पुराना तरीका है रेकी कराने का। वो नाबालिग बच्चो को पहले मंदिर के अंदर दिन के उजाले में भेजकर रेकी कराते है और फिर रात में सुनियोजित तरीके से डाके डालते है या फिर अन्य घृणित अपराधों को अंजाम देते हैl याद रखिये मोहम्मद अफरोज भी नाबालिग था जिसने निर्भया का दो बार बलात्कार किया और फिर लोहे की राड उसके गुप्तांग में डालकर उसकी अतड़ियो को फाड़ डाला था।
इसलिए इन वामपंथी विचारधारा वाले जहरीले दानवो के विष से अपने मस्तिष्क को प्रदूषित होने से बचाये। अपने धर्म, कर्म और वचन पर अडिग रहे। सनातन धर्म श्रेष्ठ था, श्रेष्ठ है और सदैव श्रेष्ठ रहेगा।
Nagendra Pratap Singh (Advocate) [email protected]