Tuesday, November 5, 2024
HomeHindiयह पाखंड बंद करो मोमिनों-बुर्कापरस्तों! प्रभु श्रीराम भी हमारे और माँ दुर्गा भी हमारीं!

यह पाखंड बंद करो मोमिनों-बुर्कापरस्तों! प्रभु श्रीराम भी हमारे और माँ दुर्गा भी हमारीं!

Also Read

यह सुखद संयोग है कि आज धर्मनिरपेक्षता के तमाम ठेकेदार-झंडाबरदार हिंदू देवी-देवताओं, प्रतीकों, प्रेरणा-पुरुषों का नाम ले रहे हैं। उन की दुहाई दे रहे हैं। जिन्हें दुर्गा पूजा से पहले परहेज था, जो पांडाल लगाने की अनुमति नहीं दे रहे थे , जो मूर्ति विसर्जन तक की अनुमति उच्च न्यायालय के दबाव में देते थे , जिन्होंने मुस्लिम तुष्टिकरण की सारी हदें पार कर दी थी, जो नमाज़ियों, बुर्कापरस्तों की चाकरी में किसी भी हद तक गिरने को तैयार थे, जिन्हें प्रभु श्रीराम का नाम सुनते ही 440 वोल्ट का झटका लगता था, जो राम का नाम सुनते ही तिलिमिलाने और छटपटाने लगते थे, वे आज प्रभु श्रीराम और माँ दुर्गा की बात कर रहे हैं।

यह हिंदू नैरेटिव की जीत है। यह संगठित हिंदू समाज की जीत है। यदि हम संगठित रहें , एकजुट रहे , अपने हितों और अधिकारों के प्रति सजग रहे तो राजनीति की बिसात पर हमारा इस्तेमाल ये धूर्त्त और पाखंडी लोग नहीं कर पाएँगे। ये 70 साल से हमारा इस्तेमाल करते रहे हैं। चेहरे बदलते रहे, वेश बदलते रहे, कांगी-वामी गिरोह अलग-अलग नामों से हमारी आस्था, हमारे धर्म, हमारी संस्कृति से खिलवाड़ करते रहे, हमें कमज़ोर करते रहे और आज ये फिर माँ दुर्गा के भक्त होने का पाखंड कर रहे हैं। इन्होंने आज तक यही किया है। किसी वक्तव्य को संदर्भ से काटकर लोगों को बहकाया है, भरमाया है, अपना उल्लू सीधा किया है। बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष के प्रभु श्रीराम और माँ दुर्गा पर दिए गए बयान को तोड़-मोड़कर प्रस्तुत करते हुए आज ये हिंदू हितों के हिमायती बन रहे हैं। इन क्षद्म धर्मनिरपेक्षता वादियों से पूछना चाहिए कि उन्हें तब क्यों नहीं माँ दुर्गा याद आती हैं, जब उनके भक्तों को मौत के घाट उतार दिया जाता है। उन्हें तब क्यों नहीं माँ दुर्गा याद आती हैं, जब उनकी मूर्त्ति विसर्जित करने जा रही भक्तों और श्रद्धालुओं की टोली पर हिंसक हमला किया जाता है, उन्हें तब क्यों नहीं माँ दुर्गा याद आतीं जब पांडाल में घुसकर विधर्मी उत्पात मचा जाते हैं, उन्हें तब क्यों नहीं माँ दुर्गा याद आती हैं, जब पांडालों से जबरन लाउड स्पीकर उतरवा दिया जाता है, पंडालों की बिजली कनेक्शन काट दी जाती है।

सच तो यही है कि प्रभु श्रीराम भी हमारे हैं और माँ दुर्गा भी हमारी हैं। बल्कि हम सनातनियों की दृष्टि में दोनों अभेद हैं, परस्पर पूरक हैं, शक्ति के बिना राम का रामत्व नहीं और रामत्व के बिना शक्ति का अर्थ नहीं। हरे रंग में ऊपर से नीचे तक रंगे टीएमसी के ये नेता दोनों की तुलना कर पाप कर रहे हैं। ऐसा करके ये विभाजन की विषबेल को उसी चिर-परिचित अंदाज़ में खाद-पानी डाल रहे हैं। ये पाखंडी, हमारे आराध्यों को क्या समझेंगें! जिनका जीवन मस्जिदों-मदरसों-मोमिनों की दहलीज़ पर मस्तक रगड़ने और एड़ियाँ घिसने में बीता हो, जो उनकी एक आवाज़ पर रेंगते पहुँचे हों और हिंदुओं की सामूहिक चीत्कार पर भी अंधे-बहरे बने रहे हों, वे आज आस्था के मायने और माँ दुर्गा और प्रभु श्रीराम का महत्त्व समझा रहे हैं। यह कोरी राजनीति और भद्दा मज़ाक है। ये लाख छटपटाएँ, जितनी गुलाटियां मारें, पर पश्चिम बंगाल में घुसपैठियों-रोहिंग्याओं, देश-विरोधी तत्वों की सहायता-संरक्षण में खड़ी आसुरी शक्तियों का आगामी चुनाव में सर्वनाश निश्चित है। वैसे भी दुष्ट राक्षसों का संहार करने के लिए प्रभु श्रीराम ने शक्ति यानी माँ दुर्गा की आराधना की थी। प्रभु श्रीराम के भक्त माँ दुर्गा की स्तुति-आराधना कर ही दुष्ट शक्तियों के सर्वनाश का वरदान प्राप्त करेंगें और उनका समूल नाश करेंगें।

याद कीजिए राजनीति का सबसे पाखंडी चेहरा कैसे अपने को हनुमान जी का सबसे बड़ा भक्त बताया फिर रहा था। हनुमान-चालीसा का सामूहिक पाठ करता घूम रहा था। आज जब उसकी नाक के ठीक नीचे, दिन दहाड़े, घर में घुसकर मध्ययुगीन मोमिनों ने रिंकू शर्मा की हत्या कर दी है, तो उनके मुँह से सहानुभूति के औपचारिक बोल तक नहीं फूटे। उन्होंने इस बर्बर एवं जघन्य हत्या को सामान्य दुर्घटना सिद्ध करने में कोई कोर-कसर बाक़ी नहीं रखी। यदि हम अब भी नहीं चेते तो बार-बार इन धूर्त्तों और पाखंडियों के द्वारा ठगे और छले जाते रहेंगें। ये हमारा इस्तेमाल कर हमें रिंकू शर्मा की तरह मज़हबी भीड़ के हाथों मरवाते रहेंगें। शुतुरमुर्गी सोच आत्मघाती होगी, आँखें खोलकर देखिए आपके आस-पड़ोस में रोज एक ‘रिंकु’ मारा जा रहा है, रोज एक ‘निकिता’ तबाह की जा रही है, रोज एक ‘नारंग’ ‘ध्रुव तिवारी’ इनकी जिहादी-ज़ुनूनी-मज़हबी हिंसा का शिकार हो रहा है। अभी नहीं तो कभी नहीं। अनुकूल सरकार के रहते ही हम प्रतिरोध और प्रतिकार कर सकेंगें। अपने अस्तित्व की रक्षा कर सकेंगें। हिंदू-अस्मिता की अनदेखी करने वालों को औकाद दिखा सकेंगें और जो अनुकूल हैं, उन्हें अपने पक्ष में बोलने के लिए बाध्य और मजबूर कर सकेंगें।

प्रणय कुमार


  Support Us  

OpIndia is not rich like the mainstream media. Even a small contribution by you will help us keep running. Consider making a voluntary payment.

Trending now

- Advertisement -

Latest News

Recently Popular