राष्ट्रीय युवा दिवस पर संसद के सेन्ट्रल हॉल से राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री मोदीजी ने देश और खासकर युवाओं को संबोधित करते हुए कई महत्वपूर्ण बातें कहीं। नए भारत के निर्माण के लिए कटिबद्ध हो जाने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि हमें देश स्वतंत्रता के लिए जान देने का अवसर नहीं मिला लेकिन देश को आगे बढ़ाने, एक उन्नत और शक्तिशाली राष्ट्र बनाने का अवसर जरूर मिला है। उन्होंने साल 2047 का ज़िक्र किया जब देश की आज़ादी के सौ साल हो जायेंगे। आने वाले 25-26 साल में देश को आगे ले जाने की जिम्मेदारी युवाओं की ही है। उन्होंने स्वामी विवेकानंद जी के हवाले से कहा कि स्वामीजी कहा करते थे, यह सदी भारत की सदी है। इसलिए स्वामीजी के सपनों को साकार करने जिम्मेदारी हम सबके कन्धों पर है। भारत युवाओं का देश है, युवाओं की संख्या के लिहाज से दुनिया का सबसे युवा देश है, आने वाला समय युवाओं का है, आने वाला समय भारत का है। इसलिए युवाओं को ही इस देश का निर्माण करना है ये बात पूरी तरह स्पष्ट है।
स्वामी विवेकानंद युवाओं की इस शक्ति को पहचानते थे। उन्होंने कहा था कि निडर, बेबाक, साफ़ दिल वाले, साहसी और आकांक्षी युवा ही वो नींव है जिसपर राष्ट्र के भविष्य का निर्माण होता है। वे युवाओं पर विश्वास करते थे, जैसे आज हमारे प्रधानमंत्री युवाओं पर भरोसा जता रहे हैं। मोदीजी ने स्वामीजी के हवाले से ही देश के युवाओं को उद्बोधित किया है। उन्हें राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा की याद दिलाई है। शिकागो सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले स्वामी विवेकानंद भी एक युवा थे जिन्होंने इतनी कम उम्र में भारतीय आध्यात्म का ऐसा नजारा पेश किया कि दुनिया उनके आगे नतमस्तक हो गयी।
स्वामी विवेकानंद जी की जयंती है, लेकिन बात युवाओं की हो रही थी इसलिए मोदीजी सिर्फ स्वामीजी तक ही नहीं रुके। उन्होंने खुदीराम बोस की बात की, भगत सिंह की बात की, भगवान बिरसा मुंडा की बात की। उन युवाओं की बात की जिन्होंने हमारे सामने उदाहरण पेश किये।
एक लोकतांत्रिक देश में समाज और व्यवस्था को बदलने के लिए राजनीति सबसे महत्वपूर्ण रास्ता है। इसलिए प्रधानमंत्री जी ने युवाओं से राजनीति में आने की भी अपील की। राजनीति का चेहरा आज जिस तरह बदल रहा है उसका श्रेय देश के युवाओं को ही जाता है। इस देश के प्रमुख विपक्षी दल के जो सबसे बड़े नेता हैं, जिन्होंने आधी सदी देख ली है लेकिन आज भी उन्हें युवा नेता माना जाता है। वे युवराज हैं, देश की वंशवादी राजनीति के सबसे बड़े उदाहरण हैं। देश के सामने ऐसे भी विकल्प थे। लेकिन देश के युवाओं ने ऐसे विकल्प को नकार दिया जो सिर्फ युवाओं का वोट लेना जानता हो लेकिन जिसकी नीयत भ्रष्ट हो। यही कारण है कि आज उस दल में युवाओं की उपेक्षा हो रही है और युवा नेता उस दल को लगातार छोड़ छोड़कर जा रहे हैं। और इसमें कोई शक नहीं है कि अगर राजनीति का कोई सबसे बड़ा दुश्मन है तो वंशवाद ही है। दुनिया ने राजतंत्र छोड़कर लोकतंत्र इसीलिए अपनाया है कि सत्ता पर जनता का शासन हो, किसी खास परिवार का नहीं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश में राजनीति का चेहरा बदला है। ईमानदारी और विकास आज राजनीति की अनिवार्य शर्त बनती जा रही है। पहले वाली बात नहीं रही कि अगर कोई युवक राजनीति में जाना चाहे तो उसे बिगड़ा हुआ और आवारा समझा जाये। आज विकास की राजनीति की जो हवा मोदीजी के नेतृत्व में बह रही है उसने देश के युवाओं को प्रेरित किया है कि वे भी इसमें शामिल होकर मातृभूमि कि सेवा में अपना योगदान दें।
स्वामी विवेकानंद जी की जयंती से बेहतर दिन इससे क्या ही हो सकता है कि देश का युवा अपना और देश का भविष्य सँवारने के लिए कटिबद्ध हो जाये।पीएम मोदी के स्वर से स्वर मिलाते हुए मैं भी युवाओं से अपील करता हूँ कि स्वामीजी से प्रेरणा ग्रहण करते हुए समाजसेवा और राजनीति की ओर अग्रसर हों, भारतीय जनता पार्टी से जुड़कर यह काम और भी सुचारू रूप से किया जा सकता है। एक ऐसी पार्टी जो वंशवाद में यकीन नहीं करती, सिर्फ देशसेवा और समाजसेवा ही उसका ध्येय है। जो युवाओं को राजनीति में आने के लिए प्रेरित कर रही है, ऐसे युवा जो सिर्फ अपने सरनेम का इस्तेमाल नहीं करना चाहते बल्कि देशसेवा का हिस्सा बनना चाहते हैं।
युवा दिवस का यह दिन अपने आप में ऐतिहासिक हो गया है। प्रधानमंत्री के इस भाषण से ऊर्जा पाकर लाखों युवा समाजसेवा और देशसेवा की ओर रुख करेंगे। स्वामीजी का प्रेरक व्यक्तित्व और उनकी बातें उनके लिए प्रेरणा का काम करेंगी। साल 2047 में जब भारत दुनिया की महाशक्ति बना होगा तब लोग पलटकर यह दिन याद करेंगे जब लाखों युवाओं ने स्वामीजी से प्रेरणा पाकर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश सेवा के लिए अपना स्वेद और रक्त बहाने की ठानी थी।