Thursday, May 9, 2024
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बंगाल में किसकी सत्ता: भाजपा या कांग्रेसी “दीदी”?

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Nagendra Pratap Singh
Nagendra Pratap Singhhttp://kanoonforall.com
An Advocate with 15+ years experience. A Social worker. Worked with WHO in its Intensive Pulse Polio immunisation movement at Uttar Pradesh and Bihar.

चार अगस्त, 2005 का दिन था जब लोकसभा में कोलकाता दक्षिण की सांसद ममता बनर्जी ने बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा पूरे शिद्दत से उठाते हुए कहा था कि “बांग्लादेशी घुसपैठिए आपदा बन गए हैं, बांग्लादेशी भारतीय नामों के जरिए मतदाता सूची में दर्ज हो रहे हैं, हमारे पास बांग्लादेशी और भारतीय दोनों वोटर लिस्ट है, यह बहुत गंभीर मामला है, आखिर सदन में कब चर्चा होगी।” ममता बनर्जी के उस रूप को देखकर शायद ही किसी को उनकी नियत पर शंका हुई होगी!

बंगाल जिसकी पावन धरती ने अनेक दिव्य आत्माओं को जन्म दिया! युवा सन्यासी के ग्यान के आगे पूरी दुनिया नतमस्तक हो गयी वो स्वामी विवेकानंद इसी मिट्टी के थे, जिनके पराक्रम व देशभक्ति से सहम कर कायरो की भाँति देश छोड़ भागे अंग्रेज वो “आजाद हिंद फौज” के महान सेनापति सुभाष चंद्र बोस इसी बगिया के थे! अपने काव्य रचनावों से अमरता को प्राप्त हो जाने वाले गुरू रविंद्रनाथ टैगोर व बकींमचंद्र चटर्जी इसी पावन धरा से थे! “काश्मीर हो या गोहाटी अपना देश अपनी माटी” का नारा बुलंद करने वाले श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी इसी धरती के सपूत थे! कौन भुल सकता है स्व ईश्वरचंद विद्यासागर व राजा राम मोहन राय जैसे समाजसूधारको को! कैसे भूला सकते हैं स्व बिपिनचंद्र पाल व सचिंद्रनाथ सान्याल उन सभी “हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसियेसन” के क्रांतिकारी वीर सपूतो को जो बंगाल की धरती से उत्पन्न हुए और माँ भारती के लिये अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया!जतिंद्रनाथ बनर्जी, खुदीराम बोस, अरविंदो घोष व दीनबंधु चितरंजनदास जैसे महान आत्माओं को जन्म देने वाली भी यही धरा थी! 

बंगाल को ना केवल मुगलो ने बल्कि अंग्रेजो ने भी बड़े जख्म दिये! बंगाल का 1905 व 1947 में हुआ विभाजन भला कौन भूल सकता है! क्या बंगाल भूल सकता है कि किस प्रकार “पाकिस्तान” बनाने व पाने की हसरत मे मुहम्मद अली जिन्ना ने 16 अगस्त 1946 को “डायरेक्ट एक्शन डे” का “एलान ए जंग” किया और तत्कालिन मुख्यमंत्री सुहरावर्दी ने बड़े ही सुनियोजित तरिके से “मुस्लिम लीग” के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर पूरा बंगाल की धरती को सनातनधर्मीयों के खून से लाल कर दिया! 

खैर स्वतंत्रता के पश्चात भी भारतवर्ष की तरह ही बंगाल की तकदीर नहीं बदली और अंग्रेजो का स्थान कांग्रेसीयों ने ले लिया, केवल चेहरा बदला पर सोच व संस्कार फिरंगीयों वाले ही रहे जिसने, बंगाल के छोटे से गाँव “नक्सलवाड़ी” से किसानों, मज़दूरों व आदिवासियों द्वारा वर्ष 1971 में नक्सल आंदोलन की शुरूवात का कारण बना! 

वक्त ने करवट लि और बंगाल पर कम्यूनिस्टो का शासन आ गया पर एक बार फिर केवल चेहरा बदला और सोच व संस्कार (समाजवाद व साम्यवाद के चादर मे लिपटे) कांग्रेसीयो और अंग्रेजो के ही रहे! 

कम्यूनिस्टो के निरंकुश शासन से लगभग 20 वर्षो तक अपमानित होने व खून के घूँट पिने वाली जनता को ममता बनर्जी के रूप मे एक नयी शक्ति मिलने का आभास हुआ! ममता बनर्जी के द्वारा बंगाल की जनता जनार्दन के हित के लिये किये गये आंदोलनो व वामपंथियो को ललकारने की प्रवृत्ति से वहाँ के सनातनधर्मी समाज को ये लगा कि ममता बनर्जी ही वो ताकत है जो इस निरंकुशता से मुक्ति दिला सकती है! 

फिर नंदीग्राम मे हुये किसान आंदोलन में ममता बनर्जी की शिरकत ने उनके लिये बंगाल के मुख्यमंत्री की कुर्सी को प्राप्त करने की राह आसान कर दी और वामपंथीयों से एक एक जख्मो का हिसाब लेना शुरू हो गया! पहली सरकार 2011 में बनी और फिर दुबारा बंगाल की जनता ने 2016 मे ममता बनर्जी- दीदी पर विश्वाश जताया! 

मुख्यमंत्री बनते ही दीदी के सोच व संस्कारों में धिरे धिरे परिवर्तन देखने को मिलने लगा, घुसपैठियों के प्रति उनकी सोच व चिंता समाप्त हो गयी अब वे उनके लिये “वोटबैंक” में बदल गये! 

दीदी ने बंगाल के महानतम व्यक्तित्वों को छोड़कर हजारों सनातनधर्मीयों के हत्यारे “सुहरावर्दी” को अपना आदर्श मान लिया! मुस्लिम तुष्टिकरण की निती कांग्रेसीयों व वामपंथियो से होती हुई दीदी के संस्कारो में उतर गयी! 

टीपु सुल्तान मस्जिद के ईमाम मौलाना नूरूर रहमान बरकती के फतवो का पालन करना दीदी के लिये राजधर्म बन गया! सनातनधर्मीयों के त्यौहार, आयोजन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पाठशाला व उनकी बस्तियाँ जिहादीयों के शिकार होने लगे! 

Suvrajyoti Gupta, “Can Hindutva Re-establish itself in West Bengal politics?”, Swarajya, Dec. 30, 2016, में स्पष्ट रूप से माना है कि “इन 6 वर्षो में ममता बनर्जी की अपनायी गयी मुस्लिम तुष्टिकरण की निती ने पं.बंगाल में बड़े स्तर पर हिंसा व विनाश का कारण बनी है! ममता बनर्जी के समर्थन की आड़ लेते हुए अल्पसंख्यक मुस्लिमो ने इस्लामिक कट्टरपंथीयों के साथ मिलकर उन छ: सालो में दंगों को भड़काकर पं बंगाल को गर्त मे पहुँचा दिया है! 

“Mamta Banerjee turned out harsher than Left in my case”, The Indian Express, Jan. 22, 2017, इस लेख के अनुसार मुस्लिम तुष्टिकरण का इतना बोलबाला है ममता बनर्जी के राज मे कि मुस्लिम कट्टरपंथीयों के खुश करने के लिये ममता बनर्जी ने तसलिमा नसरीन के बंगाल में प्रवेश पर ही प्रतिबंध लगा दिया और यही नही उनके सीरियल का भी बंगाल में टेलिकास्ट रोक दिया! 

Jaideep Majumdar, “West Bengal is turning into communal tinder box, thanks to Mamta Banerjee”, Swarajya, Dec. 22, 2016, के अनुसार लगातार पिछले चार वर्षो से वीरभूम के एक गाव मे 25 मुस्लिम परिवारो को खुश करने के लिये 300 हिंदु परिवारो को पारंपरीक दुर्गा पूजा का आयोजन  करने की अनुमती सरकार नही दे रही है! 

Upananda Bramachari, “Mamata Banerjee Nominates Rajya Sabha Seat In WB”, Struggle For Hindu Existence, Jan. 22, 2014 (Accessed Feb. 28, 2017). और “Mamta Banerjee has West Bengal”, Hindupost, Jan. 18, 2016, के अनुसार एक डाक्युमेंट्री फिल्म (जो टी एम सी राज्य सभा सासंद अहमद हुसैन ईमरान की है) ये साबित करती है कि 2013 मे 24 साउथ परगना  जिले मे हुये दंगो मे उसका हाथ था! फिर भी ममता बनर्जी ने ईसे राज्य सभा के लिये नामित किया!  यही “स्टूडेटं इस्लामिक मूव्मेंट आफ ईण्डीया (सिमी)” का संस्थापक सदस्य था! 

Janet Levy, “The Muslim Takeover Of West Bengal”, American thinker, Feb. 22, 2015, इसके अनुसार ममता बनर्जी मुस्लिम तुष्टिकरण मे इतना आगे निकल चुकी है कि उसने सरेआम “कलिमा शहादत” गाना शुरू कर दिया है जो कि असल मे इस्लाम अपनाने की एक प्रार्थना है! 

कांग्रेसीयों को भी शर्मसार कर देने वाली मुस्लिम तुष्टिकरण की निती को अपनाकर दीदी ने संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 व 21 की धज्जियां उड़ाते हुए सनातनधर्मीयों को बरबादी की ओर ढकेल दिया, यहाँ तक की बंगलादेशी घुसपैठियों का ताण्डव भी सनातनधर्मी सहने के लिये मजबूर हो गये!

2013 मे  24 परगना जिले के मुख्यालय कैनिंग मे हुआ दंगा

2014 में हुआ बर्दवान बम ब्लास्ट

2015 में दछिण चौबीस परगना जिले के उस्थी गाव में हुआ दंगा

2015 में नदीया जिले के कालींगज ब्लाक में हुआ दंगा

2016 मे कालियाचक्र(मालदा) में हुआ दंगा 

2016 मे वीरभूमी जिले के ईलम बाजार में हुआ दंगा

2016 में चौबिस परगना जिले के हाजीनगर में हुआ दंगा

2016 में माँ दुर्गा के मुर्ती विसर्जन पर प्रतिबंध

2016 में वर्धमान जिले के कटवा शहर का दंगा या   

2016 में हावड़ा के धूलागढ़ मे हुआ दंगा हो

प्रत्येक दंगो में सनातनधर्मीयों को जान माल का जबरदस्त नुकसान हुवा पर प्रशासन लीपापोती के अलावा कुछ ना कर सका! 

एसे मे भारतीय जनता पार्टी के रूप में पं बंगाल की जनता को एक आशा कि किरण दिखायी दी और पूरे देश की भाँति बंगाल की जनता ने भी भाजपा का साथ देना शुरू किया और परिणाम निकला कि 2014 मे संसद की 2 सीटें जितने वाली भाजपा 2019 के लोकसभा के चुनाव में 18 सिटो पर पहुँच गयी और ममता बनर्जी के एक छत्र राज्य का तिलिस्म टूट गया! 

इसी बीच शारदा चिटफंड घोटाला (2008-2013), रोज वैली चिट फंड घोटाला (2013), सिलिगुड़ी जलपाईगुड़ी डेवेलपमेंट अथारिटी (2014) व नारदा स्टिंग (2016) जैसे घोटालो के सामने आने के बाद ममता बनर्जी सरकार के भ्रष्टाचारी रूप के भी दर्शन हो गए!

अब गुण्डो व जिहादीयों ने भाजपा के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाना शुरू कर दिया, एक आकड़े के अनुसार पिछले चार वर्षो मे 100 से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गयी! 

अब सत्ता छिन जाने की बौखलाहट व छटपटाहट इतना ज्यादा बढ़ गया है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व Z श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त नेता श्री  जेपी नड्डा जी के कॉफिले पर भी जानलेवा हमला किया गया, के भाजपा के कार्यकर्तावों को अधमरा कर दिया गया!  

आज जबकी बंगाल के विधानसभा 2021 के चुनाव मे चंद महिने ही बाकी रह गये हैं तो ममता बनर्जी – तथाकथित दीदी – की बौखलाहट बढ़ती ही जा रही है और उन्होने बंगाल की संस्कृति व सभ्यता को “बाहरी” और “बंगाली” मे बाँटना शुरू कर दिया है! अब ममता दीदी जहाँ एक ओर CAA व  NRC का विरोध कर अवैध बंग्लादेशी व रोहंगिया घुसपैठियों की ढाल बन अपना वोट बैंक बचा रही हैं, वहीं दुसरी ओर “बाहरी” व “बंगाली” का जहर जनता के बीच बोने का प्रयास कर रही हैं और पुराना मंत्र “मुस्लिम तुष्टिकरण” का तो उनके पास है ही! 

अत: एसे मे पं बंगाल की जनता विशेषकर सनातनधर्मीयों को ये सोचना व समझना पड़ेगा की

1) उन्हें भाजपा का सुशासन चाहिये या ममता बनर्जी का निरंकुश शासन;  

2) पं बंगाल का विकास चाहिये या विनाश;

3) रविंद्रनाथ टैगोर का बंगाल चाहिये या मौलाना बरकती वाला बंगाल चाहिये;

फैसला उनका है, उनके एक वोट से बंगाल का भविष्य तय होना है, अब ये उज्जवल होगा या अंधकारमय ये भविष्य के गर्भ मे छिपा है! 

नागेंद्र प्रताप सिंह(अधिवक्ता)

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