भारत सहित पूरी दुनिया अभी तक 26/11 हमले के गम से उभरी भी नही थी कि कांग्रेस ने अपनी घटिया राजनीति करते हुए एक बार फिर बिना विचार किए हिंदूओं को बदनाम करने का षड्यंत्र रचा।
दिसंबर 2010 में अज़ीज़ बरनी की किताब “26/11 आरएसएस की साजिश” में आरएसएस के बहाने हिन्दू धर्म पर एक बड़ा प्रहार करने की साजिश रची गयी और इस किताब का लोकार्पण हिंदूओं के सबसे बड़े शत्रु कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने किया।

उस समय यदि भाजपा और संघ मजबूती से हिन्दू समाज के साथ खड़े नही होते तो यक़ीन मानिए अब तक दुनिया में “इस्लामिक आतंकवाद” की जगह “हिन्दू आतंकवाद” शब्द गढ़कर हिन्दू सनातन संस्कृति को अपमानित करने का प्रयास होता रहता।
लेकिन हिन्दू धर्म के ग्रन्थ “रामचरित मानस” के बालकांड खण्ड में एक दोहा वर्णित है जो सारी अन्यायी शक्तियों पर भारी पड़ता है, वो दोहा है –
।।”होइहि सोइ जो राम रचि राखा”।।
अर्थात् :- जो कुछ राम ने रच रखा है, वही होगा।

कांग्रेस की घटिया साजिश का पर्दाफाश होना ही था इसी कारण प्रभु श्रीराम ने भारत माँ के वीर सपूत श्री तुकाराम ओम्बले के हाथों अजमल कसाब को ज़िंदा पकड़वाया।
अगर उस समय कसाब मर जाता तो हिन्दू आतंकवाद की घटिया साजिश सफल हो जाती, क्योंकि भारत के ही कुछ गद्दारों की वजह से कसाब को “समीर” नाम से आधार कार्ड मिलना और उसके हाथों में मोली होना, ये पूरी तरह से हिन्दूओं को बदनाम करने की बहुत ही घटिया साजिश रची गयी थी।
हिन्दू समाज के साथ साथ सम्पूर्ण भारत आज वीर शहीद श्री तुकाराम जी का कृतज्ञ है जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर ना केवल भारत की रक्षा की अपितु महान हिन्दू संस्कृति को भी बदनाम होने से बचाया।
आज 26/11 की बरसी पर भारत राष्ट्र नमन करता है उन वीर शहीदों को, जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह ना करते हुए इस राष्ट्र को सुरक्षित रखा, इस राष्ट्र की मूल संस्कृति को सुरक्षित रखा।।
जय हिंद
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