हमारा नाम है पिंकू। हम बॉलीवुड के एक बहुत बड़े लिबरल सेलिब्रिटी के यहां नौकरी करते हैं। कुछ दो दिनों पहले तक हम भी मिडिल क्लास हुआ करते थे, पर एक निष्पक्ष पत्रकार महोदय ने हालात बदल दिए, जज्बात बदल दिये, कहीं का नहीं छोड़ा। माया नगरी की एक उभरती अभिनेत्री, वही सॉरी बाबू वाली, उनको मिडिल क्लास की विक्टिम महिला का दर्जा दे दिया। हमारे जैसे करोड़ों भारतीय जो मिडिल क्लास होने पर गर्व महसूस करते थे वे अब कहां जाएं? हर साल सरकारी बजट के दौरान मीडिया के ध्यानाकर्षण का विशेष केंद्र हम ही लोग तो रहते थे। न्यूज़ एंकर गला फाड़ फाड़ कर बताते थे -मिडिल क्लास को यह मिला, वह मिला पर मिलता घंटा कुछ नहीं था। बस एक तसल्ली रहती थी की मीडिया में हमारा भी जिक्र आता है। अब यह पहचान भी हमसे छीन ली गई। यही सब सोचते विचारते टीवी खोला तो इन्ही पत्रकार महोदय द्वारा देवीजी का घनघोर निष्पक्ष इंटरव्यू देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। एकाएक मन मे विचार आया, क्यों न हम भी अपने सेलेब्रिटी भैयाजी का इंटरव्यू ले? घर की बात घर मे रहेगी ये सब कहके बड़ी मुश्किल से भैयाजी को मनाया है।
पिंकू – भैयाजी नमस्कार, आपका स्वागत है हमारे कार्यक्रम ‘कड़वे सवाल खोखले जवाब’ में। बॉलीवुड में कई दिनों से ये पेट्रिआर्कि बहुत ट्रेंड कर रहा है। शुरुआत बड़े कलाकारों ने की अब उनको देखादेखी छुटभइये कलाकार भी खूब पानी पी पी कर ट्वीट कर रहे है। क्या है ये मामला?
लिबरल सेलेब्रिटी – देखो पिंकू, तुमको समझाते है, पेट्रिआरकी मतलब पुरुषवादी सोच जहाँ पर हर काम पुरुषों की मर्जी से होता है, महिलाओं की कोई नही सुनता। अब इस पुरुषवादी सोच वाले मीडिया चैनलों, जनता और तीन तीन सरकारी जांच एजेंसियों ने मिलकर एक निर्दोष अभिनेत्री को ड्रग्स के आरोपों में जेल में डलवा दिया। तुम तो जानते ही हो, अपनी मायानगरी में बहुत से लोग थोड़ा बहुत माल तो मार ही लेते है। इट्स नॉर्मल इन द इंडस्ट्री, यार। कौन सा बड़ा अपराध है ये? बस इसी पुरुषवादी मानसिकता को उखाड़ने के लिए, हम सब मीडिया ट्रायल से पीड़ित देवीजी के साथ खड़े हो गए। देखो, हम पक्के नारीवादी है, महिला उत्पीडन के विरोध में लड़ते रहेंगे। (भैयाजी चिल्लाने लगे) – हम क्या चाहते? ….आज़ादी। अरे पुरुषवाद से…..आज़ादी। ड्रग्स लेने की …..आज़ादी। अरे लड़कर लेंगे……आज़ादी।
पिंकू- काम डाउन, भैयाजी। अचानक से जेएनयू मोड़ में काहे चले गए थे? वामपंथी कैरेक्टर में पूरा घुस गए हो, आराम से भैयाजी यहाँ कोई कैमरा वेमरा नही है, फ़र्ज़ी इंटरव्यू है। ओके, बढ़िया, अब ये बताइये की ये जो बॉलीवुड में कास्टिंग काउच बहुत कॉमन है, महिला कलाकार को पुरुषों की तुलना में बहुत ही कम फीस मिलती है और फिल्मों में नारी को भोग विलास की वस्तु टाइप दिखाया जाता है यह यह कौन सी आरकि मतलब मानसिकता है?
लिबरल सेलेब्रिटी – यह क्या घटिया सवाल है? हम तुमको संघी कह देंगे,भक्त कह देंगे। बेटा, जो टैग हम तुमको दे देंगे न जिंदगी भर वही बन कर रह जाओगे। नौकर हो नौकर की तरह रहो, ज्यादा रबीश ना बनो,समझे।
पिंकू-अरे नहीं नहीं भैया जी, गलती हो गई हम भी रोल में घुस गए थे आप की तरह। हीं हीं हीं, कई लोग सवाल करते हैं कि बॉलीवुड की जानेमाने कलाकार, महानायक आदि लोग सुशांत के लिए खड़े नहीं हुए लेकिन अब मैडम जी के लिए बहुत ही सहानुभूति दिखा रहे है। ऐसा क्यों भैया जी?
लिबरल सेलेब्रिटी– चलो ये बात हम तुम्हे प्रकृति के उदाहरण से समझाते है। ध्रुवीय भालू के बारे में जानते हो? यह भालू खूब खाना इकठ्ठा करता है और फिर लंबे समय के लिए सो जाता है, अंडरग्राउंड एकदम। वैसे ही हम लिबरल लोग भी इस भालू की तरह है। अपना भी वही हिसाब है, हमारा पूरा एक लिबरल गैंग है जो जेएनयू से लेकर मीडिया, बॉलीवुड सब जगह फैला हुआ है। अपना पूरा गैंग देश हित के ज्यादातर मुद्दों पर सुप्त अवस्था में ही रहता है, ठीक इस भालू की तरह। लेकिन जैसे ही अपने लोगो ने किसी को भी विक्टिम व्यक्ति या उत्पीडित नारी का सर्टिफिकेट दिया, हमारे अवार्ड वापसी से लेकर, मोमबत्ती गैंग, ट्वीटर गिरोह मिलकर उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना देते है। किसी पुरुष को भी अगर महिला का सर्टिफिकेट दे दे ना तो उसको महिला ही घोषित कर दिया जाता है, इतनी पकड़ है हमारी समाज मे। अब हम ठहरे सेलेब्रिटी ऊपर से लिबरल तो सबके लिए आवाज़ थोड़ी उठाएंगे, छोटू। खैर तुम नही समझोगे, अनपढ़ गंवार आदमी!
पिंकू- भैया जी प्लीज, अनपढ़ मत बोलिए। बहुत मेहनत से एम० ए० पास किया है। पर आप लोगो से कोई तुलना नही हो सकती हमारी, आपका तो बहुत ही हाईयर एजुकेशन रहा होगा ना?
लिबरल सेलेब्रिटी– हां हां क्यों नहीं। यह एम० ऐ० वगरह क्या होता है? हम बहुत पढ़े लिखे हैं, बुद्धिजीवी क्लास में आते हैं। आलिया से एक क्लास आगे और सोनम से दो क्लास पीछे थे हम। मतलब की इन दोनों के बीच का ज्ञान है, हमें। अब अपने आमिर भाई को ही देख लो, मुश्किल से 12वीं पास किया है लेकिन आज पूरे देश का युवा उनको बुद्धिजीवी मानता है,मिस्टर परफेक्शनिस्ट बन गए। सोचो कैसे? अरे, सर्टिफिकेट अपने लिबरल गैंग ने दिया है उनको। मैं तो कहता हूं तुम भी हमसे एक आध सर्टिफिकेट ले ही लो। किसी भी फील्ड का एक्सपर्ट बना देंगे। डिग्री विग्रि कुछ नहीं होता समझे,हम लिबरल लोग हर फील्ड में ऐसे ही एक्सपर्ट होते हैं। CAA के विरोध में दीपिका जेएनयू जाकर जितना एक दिन में सीखी है ना, इतना तो हम अभी बैठे-बिठाए समझा दे तुमको।
पिंकू- क्या बात है भैया जी! आप तो सही में बहुत बड़े बुद्धिजीवी है। तो जैसे कि आप लोग बहुत पक्के नारीवादी है और नारी सशक्तिकरण का झंडा उठाते हैं तो फिर यह नारी को नीचा दिखाने वाले भद्दे आइटम सोंग्स पर ऐतराज़ क्यों नहीं करते? जैसे-‘मैं तो तंदूरी मुर्गी हूं यार, गटका ले मुझे अल्कोहल से’।
लिबरल सेलेब्रिटी– अबे, नारी विरोधी, फासीवादी! तू क्या जाने क्रिएटिविटी क्या होती है? सिनेमा आर्ट है आर्ट और हम उसके आर्टिस्ट। ऐसी घृणाभरी बातें करेगा ना तो मैं तुझे नॉटी बोल दूंगा।
पिंकू- अरे नहीं भैया जी! नॉटी मत बोलना बहुत ही भीषणकारी शब्द है। चाहे मेरे घर पर बुलडोजर चलवा दो भैया जी पर नॉटी मत बोलना। दिल से बुरा लगता है भैयाजी।
पिंकू- अच्छा भैयाजी, अंतिम सवाल! जैसा कि आप नारी अत्याचार के विरोध में लड़ रहे हैं तो अभी हाल ही में कंगना को नॉटी बोला गया, मुंबई नहीं आने की धमकी दी गई और अब तो उसका ऑफिस भी तोड़ दिया। तो नारी पर होने वाले इस अत्याचार पर आपके क्या विचार है?
पिंकू- बताइए भैया जी,……..सुन रहे हैं ना आप?…….भैयाजी?……… भैया …….जी…..अरे यह टेप कांहे लपेट रहे हैं मुंह पर!……..ये लो सारा टेप खत्म कर दिया। अरे पंखा ठीक करने के लिए लाए थे अब दूसरा लाना पड़ेगा। लगता है भैया जी अपनी ध्रुवीय भालू वाली गुफा में मौनवस्था में चले गए है। चलिए हम भी चलते है, कोई दूसरा लिबरल भालू ढूंढते है, इंटरव्यू के लिए।