कहते हैं न कि आप किसी के टैलेंट अर्थात योग्यता को खत्म नहीं कर सकते हैं, बस उसे कुछ समय के लिए दबा सकते हैं। इस फासीवादी सरकार ने भी टिक टॉक स्टार्स की अद्भुत नौटंकी की कला को दबा नहीं सकी। संघ,भाजपा और आई टी सेल वालों द्वारा सोशल मीडिया पर tik tok को बैन करने के लिए बहुत झाँव-झाँव मचाया गया,साज़िशें रची गई ताकि TIK TOK के नाम पर माइनॉरिटी पीपल अर्थात पंचरवालों का शोषण किया जा सके और उन्हें दबाया जा सके (इसी शोषण की बात को सच्चर कमेटी ने स्वीकारा है।)
मोदी की कोशिश थी कि इन सब टैलेंटेड युवाओं को बेरोजगार रखा जाए लेकिन हमारा लिबरल गिरोह समय से सक्रिय हो गया और यह अन्याय हमने नहीं होने दिया।
आखिरकार मोदी की हिटलरशाही नहीं चली और उन्हें भी इन जले-भुने बालों वाले ऑस्कर विजेताओं की योग्यता का खूंटा मानना पड़ा और तमाम न नुकुर के बाद मनरेगा में जॉब की गारंटी देनी ही पड़ी। जिससे मनरेगा रोजगार में काफी उछाल आया है।
देश के एकमात्र स्वयम्भू, स्वघोषित निष्पक्ष न्यूज़ चैनल NDTV द्वारा चलाये गए TIK TOK SERIES के कारण अब इन टिकटोकियों की दिहाड़ी भी 150 रुपये तय कर दी गई है। जनता भी इनको रोजगार दिलाने के लिए आंदोलन कर रही है। इस आंदोलन में दिल्ली के मालिक भी कूद पड़े हैं।
इन टिकटोकियों की घनघोर मेहनत और लोगो को इन्फ्लुएंस करने की पावर को ध्यान में रखकर ही लेबर मिनिस्ट्री द्वारा चमन चूतियों के स्टार्स को मनरेगा में काम करने के लिए रिकमेंड किया गया था जिसेे आज अप्रूव कर दिया गया है। ताकि ये स्टार्स रातोंरात भारत छोड़कर फॉरेन कंट्री में न जाएं और मनरेगा के तहत गड़हा खोदने में अपना टैलेंट दिखायें।
इसके बावजूद जिनको भी मनरेगा में काम नहीं मिला वे न तो निराश हुए और न ही खून के आंसू रोये और रेलवे लाइन के पीछे वाले हक़ीम डॉक्टर उस्मानी से मिलकर अपने पुराने धंधे में लौट आये। जिसका रुझान नीचे देख सकते हैं।
ये लोकतंत्र की जीत है और मोदी की हार क्योंकि ये फासीवादी लोग अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सके लेकिन सवाल अभी भी बना हुआ है कि आखिर कब तक मोदी की ये ट्रोल आर्मी सोशल मीडिया पर झाँव-झाँव करके नैरेटिव सेट करती रहेगी।
बजरंग लाल श्रीवास्तव