यदि नाक टेढ़ी हो तो एक लाख बढ़ाकर दे देने से नाक सीधी हो जाती है और वह भी बिना ऑपरेशन के। रंग तुरंत सांवले से गोरा भी हो जाता है। परेशान मत होइए बता रहा हूं कैसे। विवाह के समय लेनदेन के बारे में बात कह रहा हूं। अभी स्थिति स्पष्ट हो गई होगी। विवाह के बारे में जब बातचीत चल रही होती है और लड़की पसंद नहीं आती है और यदि इस स्थिति में लड़की वाले दहेज बढ़ा कर दे देते हैं और तो जो कमियां लड़की में निकाली जा रही थी वह समाप्त मानी जाती हैं।
जब पता चलता है कि फलाने का नौकरी करने वाला लड़का घर पर 10 दिनों के लिए आ रहा है तो उसे देखने के लिए लड़की वालों की लाइन लग जाती है। नौकरी कर रहा है तो लड़का सावला भी चलेगा उसके अंदर कुछ कमी हो तो उसको भी नजरअंदाज कर दिया जाएगा क्योंकि वह नौकरी कर रहा है।भागम भाग मचा है कोई दश लाख दे रहा है तो कोई पंद्रह लाख. लग रहा है कि विवाह नहीं हो रहा है बल्कि लड़के को खरीदने के लिए नीलामी हो रही है। कुछ लड़के चपरासी की नौकरी कर रहे हैं जिनकी उम्र 35 के पार है फिर भी वह अपने आप को एक महत्वपूर्ण व्यक्ति मान रहे हैं क्योंकि वे अभी अविवाहित हैं।
ऐसी परिस्थितियों में हम देख रहे हैं कि लड़की की सहमति महत्व नहीं रखती है।सब लोग लड़के से ही पूछते हैं कि लड़की पसंद है कि नहीं।लड़की लड़के को पसंद करती है कि नहीं करती है इस बारे में उसके विचारों का कोई ध्यान नहीं।घरवालों को लगता है कि केवल नौकरी वाला लड़का खोज देने से सब कुछ ठीक होगा। इसी कारण हमारे व्हाट्सएप पर कभी-कभी कालिया और आलिया की जोड़ी वाले फोटो आते रहते हैं जो विशेष चर्चा का विषय बने रहते हैं और कुरूप किंतु सरकारी नौकरी करने वाले लड़कों के महत्व को उजागर करते रहते हैं।
यदि आप बाला है किंतु सरकारी नौकरी आपके पास है तो बाली उम्र वाली कन्याओं के बारे में सोचने का आपको पूर्ण अधिकार है। मुझे लगता है कि यदि आयुष्मान खुराना के पास बाला फिल्म में सरकारी नौकरी होती तो उसे बाल उगाने के चक्कर में इतना परेशान होने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। तो कहीं ना कहीं हम देखते हैं कि सरकारी नौकरी के कारण बेमेल जोड़ियां भी बन रही हैं।यदि आप प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं और ₹30000 प्रति महीना कमा रहे हैं और दूसरी तरफ एक व्यक्ति सरकारी नौकरी कर रहा है और वह ₹20000 प्रति महीना कमा रहा है तो इस स्थिति में सरकारी नौकरी वाले की ज्यादा डिमांड रहेगी। सरकारी नौकरी का ही दुष्परिणाम है कि परियों को भुजंगो का आलिंगन करना पड़ता है।
यूपीएससी के इंटरव्यू में भी अभ्यर्थी इतना नहीं डरते जितना विवाह के समय वर पक्ष द्वारा पूछे गए प्रश्नों से लड़की सहम जाती है। सब कुछ ठीक भी रहा तब भी लड़के की फूआ और मामा विलेन बन जाते हैं।लड़की को रिजेक्ट होने का सबसे ज्यादा डर इन्हीं दोनों लोगों से रहता है। यही दो नाम है जो विवाह के दौरान अपनी नाराजगी अवश्य जाहिर करते हैं। किसी अनुभवी व्यक्ति ने मुझसे कहा था कि वह शादी ही क्या जिसमें बुआ ना रूठे।
हर बार जब लड़के वाले लड़की को देखने आते हैं तो लड़की के घरवाले ईश्वर से यही इच्छा करते हैं कि इस बार शादी लग जाए।क्योंकि बार-बार अनजाने लोगों द्वारा लड़की के रूप, रंग, गुण और लंबाई आदि का परीक्षण किया जाता है जो लड़की के लिए अपमान की बात होती हैंऔर जब तक विवाह हो नहीं जाता तब तक उसका यह अपमान लगातार जारी रहता है।कुछ माता-पिता को यह बात समझ में भी नहीं आती क्योंकि कई बार जब कहा जाता है कि लड़की का फोटो भेज दीजिए तो भी कहते हैं कि चल कर देख लीजिए।लड़की देख कर जाते समय जब लड़के वाले कहते हैं कि घर जाकर बताएंगेऔर जाकर वहां से ना का संदेश आता है तो लड़की वालों का दिल टूट जाता है। कई बार रिजेक्ट होने के कारण कई लड़कियां मानसिक रूप से बेचैन भी हो जाती हैं।
हमारे यहां की व्यवस्था भी अजीब है जिसे जानते हैं उससे विवाह के लिए मना किया जाता है तथा जिसको जानते ही नहीं हैं उससे जीवन भर के लिए विवाह के बंधन में बांध दिया जाता है।मुझे समझ में ही नहीं आता कि किसी व्यक्ति को 1 दिन देखने मात्र से हम यह निर्णय कैसे ले सकते हैं और वह भी इतना बड़ा निर्णय।
दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी माता-पिता हैं जिन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता है कि उनकी बेटी की शादी जहां हो रही है वहां पर लड़के की आर्थिक स्थिति कैसी है किसी भी तरीके से वे लड़की को विदा कर देना चाहते हैं। यदि किसी व्यक्ति के पास एक लड़का और एक लड़की हैं और उनके पास 2 बीघे खेत हैं तो यदि नियम से देखा जाए तो एक बीघे खेत पर लड़की का भी अधिकार है अतः यदि उसके पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है तो भूमि का कुछ अंश बेच कर वह अपनी लड़की को ऐसे जगह भेज सकता है जहां उसे जीवन यापन में कोई समस्या ना आए। लेकिन कुछ लोग अपने पुत्र मोह में पुत्री का विवाह ऐसे जगह कर देते हैं जहां वह जीवन भर कष्ट पाती है।
जैसा कि हम जानते हैं हिंदू धर्म में विवाह को एक संस्कार माना जाता है। लेकिन यह संस्कार से अब समझौते की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। विवाह की प्रक्रिया को देखकर लगता ही नहीं कि यह एक संस्कार रह चुका है। विवाह के दौरान इतनी सौदेबाजी होती है कि यह पूर्ण रूप से एक समझौता बन चुका है। 100 दुर्जनों के बीच एक सज्जन को भी दुर्जन ही माना जाता है। यदि आप विवाह में दहेज नहीं लेंगे तो भी लोग आप पर शंका करेंगे कि लड़के के अंदर कुछ कमी है इसी कारण वह दहेज नहीं ले रहा है।
कुल मिला जुला कर इस पूरी प्रक्रिया में ऐसे लड़कियों की दुर्दशा हो रही है जिनके माता-पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। दहेज ना देने के कारण उनका विवाह गरीब घरों में हो जाता है और वे जीवन भर कष्ट भोगने के लिए बाध्य कर दी जाती हैं।
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Let January 20 serve as a stark reminder for the world at large that the democracy may have been halted temporarily but it has returned with greater hope and not fear.
गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा स्थापित खालसा पंथ और उनकी बलिदानी परंपरा के महात्म्य को समझने के लिए हमें तत्कालीन धार्मिक-सामाजिक-राजनीतिक पृष्ठभूमि और परिस्थितियों पर विचार करना होगा।
समाज का एक धड़ा है जो कि शकुनि और मंथरा से भी लाखों गुना कपटी और क्रूर है, जो धर्मनिपेक्षता, उदारवादिता और बुद्धिजीविता का नक़ली मुखौटा लगाये आपकी मानकिसकता पर क़ब्ज़ा कर आपके आत्मसम्मान और पहचान को अपंग बनाये बैठा है।
Finally the Indian flag hung around one of the unbreached fortresses at Gabba. The haughtiness which Australians displayed on the field was put down to dust by fearless Indians.
All the founders of the US Constitution and even our own framers from the Constituent Assembly must be squirming in their graves, on what is playing out in the US.
एक सफल शासन की नींव समुद्रगप्त ने अपने शासनकाल में ही रख दी थी इसीलिए गुप्त सम्राटों का शासन अत्यधिक सफल रहा। साम्राज्य की दृढ़ता शांति और नागरिकों की उन्नति इसके प्रमाण थे।
her dead body was found roadside in an extremely horrible condition, the post-mortem reported that she was brutally gang-raped, sodomized, horribly tortured and cut into two halves using a mechanical saw while she was still alive.