Saturday, November 2, 2024
HomeHindiरण आमंत्रण

रण आमंत्रण

Also Read

ayushvatsya
ayushvatsya
I'm a sailor by profession and love to write, raise questions and debate with those who carry an anti-Indic approach. I'm a music enthusiast and love to sing and play guitar.

जब आ पड़ी थी मान पे,
तब युध्द के मैदान में,
खुद सारथी बन आ खड़े हुए,
श्री कृष्ण कुरुओ के सामने।

वो क्षण था प्रतिघात का,
विसंगति से पूर्ण,
वो छल का प्रमाण था,
वो थे घमंड में चूर।

वो द्वापर युग का काल था,
जब शत्रुओं में भी सिद्धांत था,
आज शत्रु सिद्धांतहीन है,
आज कौरवों की जगह चीन है।

अहँकार में धुत्त,
वो भूल गया अपनी बिसात,
निहत्थे जांबाजों पर वार कर,
दिया उसने अपनी कायरता का प्रमाण।

उद्घोष हुआ जब इस तरफ,
चीन के इस दुस्साहस का,
जवाब में महाकाल बन,
टूट पड़े हमारे जवान।

हिला दिया उन चीनियों की,
अभिमान की उस नीव को,
जब दिखाया हमारी सेना ने,
परास्थ कर एक के बदले दो दो को।

तो क्या हुआ आज अगर,
हमारे साथ महाबली श्री कृष्ण नही,
साथ है हमारे वो शिक्षा, वो गीता,
जो समय रोक कर अर्जुन को स्वयं भगवान ने दी।

हमारे साथ वो सिद्धांत हैं,
हमारे साथ वो ज्ञान है,
हमारे साथ इतिहास है,
श्री कृष्ण का आशीर्वाद है।

पर साथ हैं कुछ जयचंद,
आत्मा जिनकी मलीन है,
राष्ट्रविरोधी ताकतों के,
वे सभी प्रतीक हैं।

इन प्रतीकों को धूमिल कर,
हमे राष्ट्रधर्म अपनाना है,
श्री कृष्ण को जीवन का सारथी मान,
उनके मार्ग को अपनाना है।

~आयुष वत्स

  Support Us  

OpIndia is not rich like the mainstream media. Even a small contribution by you will help us keep running. Consider making a voluntary payment.

Trending now

ayushvatsya
ayushvatsya
I'm a sailor by profession and love to write, raise questions and debate with those who carry an anti-Indic approach. I'm a music enthusiast and love to sing and play guitar.
- Advertisement -

Latest News

Recently Popular