जिद्दीपन है ना जब सकारात्मक हो समाजिकता से ओत प्रोत हो, नैतिकता से परिपूर्ण हो और राष्ट्रवाद की भावना के रस से सराबोर हो तो कभी सावरकर, कभी भगत, कभी नेताजी, कभी आज़ाद, कभी बिस्मिल, कभी लाल बाल और पाल तो कभी सरदार, कभी मुखर्जी, कभी उपाध्याय, कभी शास्त्री, कभी अटल, कभी आडवाणी तो कभी नरेंद्र दामोदर दास मोदी बनकर समस्त विश्व को प्रभावित कर देता है और अपने रंग में रंग देता है।
We are increasingly worried about the impression that the Supreme court is giving to us about total lack of awareness about the various subversive forces that are operating in the country and their modus operandi.
१७से २१ वर्ष के युवाओं के उत्साह, उमंग और शारीरिक व मानसिक मजबूती का उपयोग देश को सुरक्षित रखने में किया जा सकेगा। गरीब से गरीब तबके के युवा इस योजना के अंतर्गत अपने भविष्य को शसक्त और सुदृढ़ बना सकते हैं। देश कि सेना तकनिकी का विशेष उपयोग कर सकती है।
indu youth has not been successful in retaining their identity. And probably that’s one of those many reasons why Hinduphobic behavior has now-a-days become a growing concern.
यूक्रेन कि जनता भौतिक सुख सुविधाओं का भोग करने कि इतनी आदत हो चुकी है, कि उनके लिए ना तो राष्ट्र का कोई मतलब है और ना राष्ट्रवाद से कोई लेना देना। उन्हें इस बात की परवाह हि नहीं रही की युक्रेन उनका अपना देश है वो केवल इसे मिट्टी का एक टुकड़ा भर समझते रहे।