दुनिया के सारे देश एक दूसरे से व्यपार करते हैं। सोना चांदी, हीरे- मोती, कार-जीप, दावा-दारू, खरीदते- बेचते हैं। ये नार्मल है, सामान्य सी बात है। लेकिन हमारे दो पड़ोसियों चीन और पाकिस्तान के आपस के व्यापार और डिप्लोमेसी की बात ही निराली है। बिज़नेस हो या डिप्लोमेसी, एक अलग ही लेवल पर ले जाते हैं!
हाल ही में पाकिस्तान के वजीर-ए-आज़म ने फरमाया कि पाकिस्तान में गधो की संख्या काफी हो गई है। लोग बाग-बाग हो गए, पाकिस्तान के। इमरान मियां को बड़ी शाबाशियाँ मिली। आखिर खुश होने की बात भी थी। गधे होंगे तो फिर चीन को बेचेंगे। पाक-चीन के व्यापारिक और डिप्लोमेटिक संबंध गहरे होंगे। फिर चीन डोंकी मनी भी तो देगा। पाकिस्तान में फिर से खुशहाली छा जाएगी। गधा पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का सारथी जो ठहरा!
वैसे मीडिया ने यह भी बताया कि गधों की बात सुन चीन के कम्युनिस्ट नेता शी जिनपिंग भी खुशी से झूम उठे। लेकिन ये बात मुझे हजम नही होती है। कम्युनिस्टों का तर्कवाद के प्रति गहरा लगाव है। कार्ल मार्क्स, लेनिन और माओ ने तर्क को ही तारणहार बताया था। दुनियां को तर्क पर ही टिक हुआ बताया था। “कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो” ही जीवन दर्शन था! अब ऐसे माहौल में शी जिनपिंग का अतार्किक गधों से प्रेम समझ से पर है। कहाँ घोर अड़ियल गधे और कहाँ घोर तार्किक साम्यवाद! पेटा (PETA) वालों से और मेनका गांधी से माफी चाहूंगा!
वैसे बात यहीं खत्म नहीं होती। चीनियों- पाकिस्तानियों का व्यापर और डिप्लोमेसी आजकल एक्सोटिक (exotic) चीजों पर ही फोकस्ड है। गधो के अलावा चीनी आजकल पाकिस्तानियों के बाल भी मांग रहे है। जी हाँ, आपने सही पढ़ा! पाकिस्तानी कटे हुए बाल बेच कर अच्छा मुनाफा कमा रहे है! नाईं बड़े गुस्से में हैं वहां के, बोल रहे, अब तो किरकिट खेलने वाले लौंडे भी उस्तरा ले के घूम रहे!
वैसे आप लोग ये समझ रहे होंगे की ये सब मजाक है। लेकिन बात है ये, सौ परसेंट सही! ये पाकिस्तान की सीक्रेट डंकी डिप्लोमेसी है! जनरल बाजवा का टॉप सीक्रेट प्लान है, शी जिनपिंग को खुश करने के लिए!
लगे हाथ ये भी बात दूँ , उन लोगों को, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय संबंधों में रुची नही है कि “शी जिनपिंग” वास्तव में “ही जिनपिंग” हैं। महिला नहीं हैं!!और दूसरी बात यह कि पाकिस्तान कई मिलियन डॉलर गधो और बालों से वाकई कमा लेता है! एक गधे के पचास हज़ार और एक लाख किलो बालों के एक लाख बत्तीस हज़ार अमेरिकी डॉलर!गूगल कर लीजियेगा, विश्वास न हो तो!