अक्सर दक्षिणपंथियों की बातों को आईटी सेल और whatsapp university की कह कर नकार दिया जाता है. एक ही आरोप कि इसका कोई तथ्य नहीं है. ये बात अलग है कि अक्सर ऐसा कहने वाले अपनी हर बकवास को ऐसे बताते है कि समस्त संसार के जितने भी तत्व है, उनका कोई ज्ञाता है तो वे ही है. कॉमरेडों ने प्रपंच कर-करके भारत की संस्कृति को बहुत नीचा दिखाया है. इस कड़ी में उन्होंने जो सबसे खतरनाक काम किया है, वह है बौद्धों और हिन्दुओं के बीच खाई बनाने का काम. यह काम आज भी चल रहा है और बहुत तेजी से चल रहा है. मैकाले और मार्क्स के मानस पुत्र और पुत्रियों ने बौद्ध मत को हिन्दू मत के विपरीत लाकर ऐसे खड़ा कर दिया, जैसे 71 के युद्ध में भारत और पाकिस्तान की सेनाएं थी. मैं कॉमरेड नहीं हूँ, इसलिए पूर्णतया सक्षम होते हुए भी मैं प्रपंच नहीं करूँगा. इसी कारण मैं यह नहीं कह सकता कि बौद्ध मत और हिन्दू मत में कोई अंतर नहीं है. बहुत अंतर है पर वो अंतर उतना ही है जितना कोहली और सचिन में है. मैं इस लेख में बौद्ध मत के ही एक विचार को सबके समाने लाना चाहता हूँ.
बौद्धों का ब्रह्माण्ड
बौद्ध मत के अनुसार ब्रह्माण्ड का कोई एकमात्र रचियता नहीं है. हिन्दू मत ब्रह्म को ही ब्रह्माण्ड का रचियता मानता है. पर वेदों में एक श्लोक मिलता है, जिसमें इस पर भी संदेह किया जाता है. वो संदेह संदेह कम एक अन्य विचार अधिक है. बौद्ध मत ब्रह्माण्ड को आदि-अनंत घोषित करते है. इसे भी पूर्णतया हर आस्थावान हिन्दू मानता है. बौद्ध मत पुनर्जन्म में पूर्ण आस्था रखता है और इस पुनर्जन्म के च्रक से बचने का मार्ग निर्वाण को बताता है. जिसे हम मोक्ष कहते है, उसे वो निर्वाण कहते है.
पर असली बात तो अब शुरू होती है. बौद्ध मत धरती पर एक सुमेरु पर्वत के होने का वर्णन करते है. उस सुमेरु पर्वत के ऊपर 6 स्वर्ग है. जो सबसे नीचे है, वहां पर रहते है चार राजा जो चारों दिशाओं के रक्षक है. शिखर पर जो स्वर्ग है, वहां पर रहते है देवता. जी हां, देवता ही रहते है. अगला प्रश्न मन में आता है कि कौन से देवता रहते है?
इसका उत्तर है कि उस स्वर्ग में तैतीस देवता रहते है. इन तैतीस देवताओं का राजा है इंद्र. आपने सही पढ़ा है. इंद्र ही उन तैतीस देवताओं के राजा है, जो स्वर्ग में निवास करते है. ये सारी बातें बौद्ध मत की ही हो रही है. महात्मा बुद्ध ने वेदों को नकार दिया था पर वेदों में जिस देवता का सबसे अधिक उल्लेख है, उसे ही बौद्धों ने स्वर्ग का राजा बना दिया. सनातन मत में तैतीस कोटि अर्थात तैतीस तरह के देवता होते है. सनातन मत के ही अनुसार इंद्र उनके राजा है. उसी सुमेरु पर्वत की परछाई जहाँ पड़ती है, वहां रहते है असुर. वही असुर जिन्हें इंद्र ने स्वर्ग से भगाया था. ट्विटर पर ट्रेंड भले ही एक दो दिन में बदल जाते हो पर कॉमरेडों और तथाकथित नवबौद्धों ने जो घातक ट्रेंड चलाया है, वो बदलता दिख नहीं रहा. और, ये ट्रेंड है असुरों और राक्षसों को मूलनिवासी मानना. पर यहाँ तो कुछ और ही हो रहा है. यहाँ तो वास्तविक बौद्ध स्वयं कह रहे है कि असुरों को देवराज इंद्र ने स्वर्ग से भगाया है. इन असुरों की कहीं भी प्रशंसा नहीं की गई है.
इन स्वर्गों में रहने वाले अन्य देवताओं का जन्म भी मनुष्यों की तरह शारीरिक संबंध बनाने से ही होता है. पर कुछ का ऐसा मत है कि देवी-देवताओं के आलिंगन, हाथ पकड़ने से और केवल देख लेने भर से भी नया जन्म हो जाता है. इसी तरह का वर्णन तो संनातन ग्रंथों (जिन्हें आप हिन्दू ग्रंथ कह सकते है) में भी मिलता है. अक्सर ऐसे प्रसंगों के माध्यम से आम हिन्दू का उपहास भी किया जाता है पर बौद्ध मत में भी ये बातें लिखी है, इसके बारें में नहीं बताया जाता. यहाँ तक कि इन देवताओं का जन्म गर्भ से नहीं होता, ये तो देवों के अंक(गोद) में ही पाँच वर्ष के हो प्रकट हो जाते है.
जो शायरी गुलजार और ग़ालिब ने कभी नहीं कही, वो भी सोशल मीडिया पर उन्हीं की हो जाती है. उसी तरह आचार्य चाणक्य ने भी जो बात कभी नहीं कही, फेसबुक पर वो भी ऊँगली दिखाते हुए उन्हीं की हो जाती है. यही स्थिति महात्मा बुद्ध और बौद्ध मत की कर दी गई है. कोई कॉमरेड और नवबौद्ध आपको देवराज इंद्र से जुड़ी हुई ये बातें नहीं बताएगा. वास्तविकता तो यह है कि बौद्ध ग्रंथों में देवराज इंद्र का उतना ही वर्णन है, जितना हिन्दू ग्रंथों में मिलता है. मैंने इस लेख में इंद्र का पूरा वर्णन नहीं किया है पर इतना अवश्य कर दिया है कि आप उस प्रोपेगंडा को समझ सके. मेरी इच्छा यह है कि बौद्ध मत से जुड़ी हुई ऐसी और भी बातें जो कॉमरेड और नवबौद्ध आपको नहीं बताना चाहते है, उन्हें मैं लेखों के माध्यम से बाहर लाऊँ. अगर भगवान बुद्ध की कृपा रही तो मैं इसमें सफल भी हो जाऊंगा. अगले लेख में भी ब्रह्माण्ड का ही वर्णन होगा. बुद्धं शरणं गच्छामि.