आज पूरा विश्व कोरोना वायरस के संकट से जूझ रहा है। भारत भी इस संकट से अछूता नहीं है। हालाँकि भारत विश्व के कई विकसित देशों से बेहतर स्थिति में है। भारत की इस बेहतर स्थिति के पीछे एक लम्बा लॉक डाउन महत्वपूर्ण कारण है। लॉक डाउन का कदम सुरक्षा को ध्यान में रखकर उठाया गया किन्तु उसके कारण पूरे भारत में आर्थिक गतिविधियां बाधित गईं। पूरा राष्ट्र स्थिर हो गया। ये परिस्थितियां तब और चिंताजनक हो गईं जब पूरे भारत में प्रवासी मजदूरों के पलायन की एक तरंग प्रारम्भ हो गई। मजदूर अपने घरों की ओर लौटने लगे। राज्य एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का खेल खेल रहे हैं। कई राज्यों में मुख्यमंत्री राजस्व की कमी का रोना रो रहे हैं तो कहीं Covid19 से पीड़ित लोगों के उपचार की कोई व्यवस्था नहीं हो पा रही है। ऐसे में एक मुख्यमंत्री हैं जो न केवल कोरोना वायरस से लड़ रहे हैं अपितु प्रवासी मजदूरों की पूरी व्यवस्था भी कर रहे हैं, वर्तमान की भी और भविष्य की भी। वर्तमान में इस प्रकार कि मजदूरों और कामगारों को किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े और भविष्य में उनके रोजगार की व्यवस्था की जाए। ये उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री महंत श्री योगी आदित्यनाथ जी हैं। जहां एक ओर कई राज्यों के मुख्यमंत्री परिस्थितियों के आगे घुटने टेककर बैठ गए हैं वहीं दूसरी ओर योगी जी ने वास्तव में इस संकट को अवसर में बदल दिया।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि योगी जी कानून व्यवस्था को लेकर सख्त रहते हैं और उनकी सख्ती हम सीएए लागू होने के समय देख चुके हैं जब भारत में कई जगहों पर हिन्दू विरोधी दंगे हुए किन्तु दंगों के लिए विख्यात उत्तर प्रदेश पूर्णतः शांत बना रहा। जिन स्थानों पर दंगाईयों ने सरकारी संपत्ति का नुकसान किया भी वहां उन्ही दंगाईयों की निजी संपत्ति बेंचकर सरकारी नुकसान की भरपाई की गई।
श्रीराम मंदिर पर आए उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद उत्तर प्रदेश और विशेषकर श्री अयोध्या धाम में दंगों के भड़कने का भय था किन्तु उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पूरी तरह से चाक चौबंद थी।
कहने का तात्पर्य है कि योगी जी न केवल कानून व्यवस्था अपितु उत्तर प्रदेश के समग्र आर्थिक विकास के लिए तत्पर हैं। इस लेख आगे हम देखेंगे कि कैसे एक “अनुभवहीन” व्यक्ति भारत का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य संभाल रहा है। यही “अनुभवहीन” व्यक्ति आज साढ़े तेईस करोड़ की जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के मार्ग पर अनवरत चल रहा है। उत्तर प्रदेश यदि एक राष्ट्र होता तो आज विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या वाले देशों में प्रमुख स्थान रखता।
सबसे पहले बात करते हैं कि कोरोना वायरस से संघर्ष में उत्तर प्रदेश किस प्रकार योगी जी के नेतृत्व में आगे बढ़ रहा है।
जब पहली बार मार्च में लॉक डाउन की घोषणा होने वाली थी तभी उत्तर प्रदेश में लोगों को उनके घरों तक राशन, दवाईयों और अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित कर दी गई थी। उत्तर प्रदेश में 31 नई लैब स्थापित की गईं, जिससे टेस्टिंग क्षमता बढ़कर 10000 टेस्ट प्रतिदिन तक पहुँच गई है। इसे 15 जून तक बढ़ाकर 15000 टेस्ट प्रतिदिन और जून के अंत में 20000 टेस्ट प्रतिदिन किया जाना है। उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के पहले मरीज को दिल्ली भेजना पड़ा था क्योंकि तब राज्य में न तो कोविड अस्पताल की सुविधा थी और न ही लैब की। आज उत्तर प्रदेश में L-1, L-2 और L-3 के एक लाख एक हजार बेड एवं राज्य के सभी जनपदों में वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध है।
इसके बाद शुरू हुआ उत्तर प्रदेश के नागरिकों को दूसरे राज्यों से वापस लाने का कार्य। पहले तो कोटा में रह रहे छात्रों को बसों के माध्यम से वापस लाया गया। इसके बाद श्रमिकों को दूसरे राज्यों से ट्रेन और बसों के माध्यम से वापस लाने का कार्य प्रारम्भ हुआ। जब भारत के दूसरे हिस्सों से श्रमिकों का पलायन प्रारम्भ हुआ तभी उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने प्रयास तीव्र कर दिए थे। आज लगभग 23 लाख श्रमिक उत्तर प्रदेश वापस लौट चुके हैं। अब आप यहाँ कांग्रेस पार्टी की राजनीति देखिए कि श्रमिकों को लाने के लिए प्रियंका गाँधी 1000 बस सरकार को देने की बात कर रही थीं। जब राज्य सरकार ने उनकी बात मान ली और गाड़ियों की लिस्ट मांगी तो कांग्रेस ऑटो, टैक्सी आदि की लिस्ट भी भेज रही थी। इसके अलावा कई बसों की हालत खराब थी। दूसरी ओर कोटा से छात्रों को लाने में राजस्थान की सरकार ने पेट्रोल के भी पैसे वसूल कर लिए। हालाँकि राजस्थान में कांग्रेस की ही सरकार है लेकिन प्रियंका जी ने इसके विषय में दो शब्द भी नहीं कहे क्योंकि प्रियंका दीदी को उत्तर प्रदेश में राजनीति चमकानी है।
अब जो श्रमिक उत्तर प्रदेश आ चुके हैं, उन्हें क्वारंटाइन केंद्रों में रखा गया। उनके कुशल स्वास्थ्य का पूरा प्रबंध किया गया। उन्हें राशन किट उपलब्ध कराई गई और राशन कार्ड बन जाने तक 1000 रूपये के भरण पोषण भत्ते का प्रावधान भी किया गया। लॉक डाउन सदैव तो नहीं रह सकता और न ही पूरा भारत अधिक दिनों तक बंद रखा जा सकता है। ऐसे में उत्तर प्रदेश लौट आए श्रमिकों का भविष्य क्या होगा? उनके रोजगार का क्या होगा?
यह प्रश्न बड़ा हो सकता है किन्तु अनुत्तरित नहीं।
अब बात करते हैं कि योगी जी उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने और वापस लौट कर आए श्रमिकों को स्थानीय रोजगार प्रदान करने के लिए क्या योजनाएं बना रहे हैं।
योगी जी ने राज्य में मनरेगा के तहत प्रतिदिन 50 लाख रोजगार निर्माण का लक्ष्य रखा है। वर्तमान में राज्य की क्षमता 20 लाख रोजगार प्रतिदिन की है। मनरेगा से 50 लाख लोगों को जोड़ने का अर्थ है उत्तर प्रदेश के ग्रामीण विकास को नई दिशा प्रदान करना। इसके लिए सरकार के द्वारा लगभग 35000 ग्राम रोजगार सेवकों के खाते में 225 करोड़ रूपए की राशि स्थानांतरित कर दी गई है जिसका उपयोग जॉब कार्ड एवं रोजगार वितरण कार्य में होगा। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाऐं लगभग 2 करोड़ स्कूली छात्रों के गणवेश निर्माण जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य भी करेंगी जिससे महिलाओं को रोजगार की प्राप्ति होगी।
प्रवासी मजदूरों की विकराल समस्या के समाधान के लिए योगी सरकार ने कई नए तरीके अपनाएं हैं। सबसे पहले तो प्रवासी श्रमिक आयोग के गठन का निर्णय लिया है जो प्रवासी श्रमिकों की स्थिति का अध्ययन करके उत्तर प्रदेश में उनके लिए रोजगार की संभावनाओं की खोज करेगा। इसके अतिरिक्त योगी आदित्यनाथ जी द्वारा अधिकारियों को 15 दिन के भीतर प्रवासी श्रमिकों की स्किल मैपिंग का कार्य पूरा करने का आदेश दिया है। इसके अतिरिक्त इन श्रमिकों को औद्योगिक एवं एमएसएमई इकाईयों में रोजगार उपलब्धता का सर्वे भी कराया जाएगा। जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश के प्रवासी श्रमिकों को अन्य राज्यों में कठिनाई का सामना करना पड़ा और जिस कारण ये श्रमिक दूसरे राज्यों से पैदल ही उत्तर प्रदेश की ओर चल पड़े, योगी जी इस घटना से बहुत नाराज दिखे और उन्होंने निर्णय लिया कि अब उत्तर प्रदेश में ही रोजगार की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
संकट को अवसर में कैसे बदलना है, यह योगी जी दिखा रहे हैं। जब अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री कोरोना वायरस के जाल में उलझे तब योगी जी ने एक आर्थिक टास्क फोर्स का गठन किया है। यह टास्क फोर्स चीन से बाहर निकलने वाली कंपनियों पर अपना ध्यान केंद्रित किए हुए है। उत्तर प्रदेश सरकार लगातार अमरीका, दक्षिण कोरिया, जापान, थाईलैंड और यूरोपियन यूनियन के कुछ सदस्य देशों के संपर्क में हैं, जिससे इन देशों की उन कंपनियों को उत्तर प्रदेश में निवेश के अवसर उपलब्ध कराए जा सकें जो चीन से अपना कारोबार समेटना चाहती हैं या कम करना चाहती हैं। थाईलैंड और दक्षिण कोरिया के निवेशक तो उत्तर प्रदेश का दौरा भी करने वाले हैं। अभी हाल ही में भारत-अमरीका रणनीतिक साझेदारी मंच के साथ एक वेबिनार का आयोजन किया गया जिसमें अमरीका की 100 बड़ी कंपनियों ने भाग लिया। इनमें माइक्रोसॉफ्ट, एडोबे, यूपीएस और फेडएक्स प्रमुख रूप से सम्मिलित हुईं। योगी जी पूरी सक्रियता से विदेशी निवेशकों के लिए उत्तर प्रदेश को पहली प्राथमिकता के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से जुटे हुए हैं।
उत्तर प्रदेश में श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने के प्रयासों में सबसे रोचक और आकर्षक प्रयास है, एक जिला एक उत्पाद (ODOP) योजना के द्वारा लगभग 5 लाख श्रमिकों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराना। उत्तर प्रदेश के कई जिलों के अपने विशेष उद्योग अथवा उत्पाद हैं जिनका बड़े स्तर पर व्यापार का मार्ग खुला हुआ है। ऐसे में वर्तमान परिस्थितियों के कारण प्रवासी श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए इस योजना की महत्ता बढ़ जाती है।
2017 में जब उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद श्री योगी आदित्यनाथ जी को मुख्यमंत्री बनाया जा रहा था तब सेक्युलर और लिबरल गिरोह में बड़ा हल्ला मचा कि एक अनुभवहीन व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाया जा रहा है। वास्तव में समस्या कुछ और थी। भारत के इन सेक्युलर, लिबरल और वामपंथियों को यह रास नहीं आया कि भगवा धारण करने वाला एक हिन्दू सन्यासी कैसे भारत के सबसे बड़े राज्य का प्रशासक हो सकता है। लेकिन यह हुआ। महंत योगी आदित्यनाथ जी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और अभी तक अपने कार्यकाल में लगातार प्रत्येक कार्य में सफल भी हुए हैं। उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की दिशा में योगी जी का संकल्प सुदृढ़ है और इस संकल्प को पूरा करने के लिए वे लगातार प्रयासरत हैं। हिन्दू हृदय सम्राट योगी आदित्यनाथ आज पूरे भारत में प्रसिद्धि की सीढ़ियां चढ़ते जा रहे हैं। यदि कोई अनुभवहीन मुख्यमंत्री महंत योगी आदित्यनाथ जैसा ही होता है तो ऐसा अनुभवहीन प्रशासक भारत के प्रत्येक राज्य के सौभाग्य में होना चाहिए।
जय श्री राम।।