दुनिया भर में कोरोना का संक्रमण अपनी गति पकड़कर फैल रहा है। भारत भी इससे अछूता नहीं। इस वायरस से तो फिर भी दुनिया लड़ ले परन्तु जो वायरस उनके हस्त फोन के सिहांसन पर बड़े चौड में बैठा है उस वायरस से कौन लड़े भला।
एक दिन हमको भी यह सेक्युलर बनने का भूत सवार हो गया वो कहते हैं न जब आपके पास तथ्य न हो तो सेक्युलर बनो अब यह कहाँ कहा गया है यह मत पूछिएगा। रबिश कुमार जी बताए थे। मेरे जीवन के यह वाले पल की शुरुआत डिग्री मिलने के बाद आरंभ होने लगी। कुछ कर दिखाने के लिए बोरिया बिस्तर लिए सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ पहुंच गया। कॉलेज को थोड़े आंसुओं के साथ अलविदा कह चुका था और यह भी प्रण ले चुका था कि “अब कुछ साल तक तो पढ़ाई के लिए तेरा मुँह नहीं देखूंगा।”
दिन के कुछ घंटे तो सपने के पीछे लग जाते थे और बाकी कुछ फेसबुक की भांति चढ़ जाते थे। धीरे धीरे फेसबुक से लोगों का आना जाना कम हो चुका था। मेरे मुख की हंसी भी गायब हो चुकी थी तो PG में मौजूद एक शुभचिंतक ने मोबाइल में हाथों की आशीर्वाद से musically को फोन में इनस्टॉल कर दिया और कहा “भाई!, पूरे दिन फेसबुक काहे चलाते हो, यह एप्प चलाओ मजा आएगा।” वो अलग बात है भाई ने इसीलिए इनस्टॉल किया ताकि मैं उसकी वीडियो को दिल वाला लाइक कर सकूँ।
सब कुछ सही चलता गया और अब फोन से फेसबुक को कूड़ेदान में डाल कर हमेशा के लिए टिकटोक को जगह दे दी गई और जब पता चला इस महान सॉफ्टवेयर से पैसा भी बनता है तो इनके मालिकों को देवता स्वरूप दर्जा दे दिया गया। बेरोजगारों के लिए अमृत। बॉलीवुड को नए अभिनेता और अभिनेत्री यही प्रदान करने वाले हैं नहीं तो आज बॉलीवुड नेपोटिसम के जाल में ग्रस्त हो चुका होता।
कुछ सीरियस बहुत हो गया मजाक, कुछ समय के बाद हमने इस एप्लीकेशन को आजादी दे दी यह वही आजादी थी जिसमें कुछ वामपंथी यह चिल्ला रहे थे “हम लेकर रहेंगे आजादी।” हमने पहले तो खुद एक्टिंग करने की कोशिश करी लेकिन जब बात आगे नही बढ़ी तो आजादी दे दी। ऐसा नहीं है कि हमें एक्टिंग नहीं आती थी इसीलिए बल्कि टिकटोक का इस्तेमाल लिबरल के दिमाग को प्रोमोट करने के लिए होना शुरू हो गया था। युवा और युवती एक साथ वीडियो में अश्लीलता का नंगा नाच करते। हद तो तब हो गई जब कोरोना वायरस को ‘अल्लाह की NRC’ नियुक्त कर दिया गया।
टिकटोक जैसे एप्लीकेशन की खासियत यह है कि इससे जुड़ चुका संबंध इसके अनइंस्टाल करने के बावजूद भी रहता है। मेरे व्हाट्सप्प पर कुछ वीडियो को मेरे दोस्तों ने साझा किया। जो कुछ ऐसे थे:-
अगर किसी एप्लीकेशन का इस्तेमाल कर उसे किसी धर्म को थोपने के लिए किया जाए तो यह अपराध की श्रेणी में ही गिना जाएगा।
क्या इसको बैन करके कुछ फायदा है?
इसका उत्तर न में होगा। क्योंकि आपके स्मार्टफोन के एप्लीकेशन स्टोर में मौजूद कोई भी एप्लीकेशन एक बार शामिल हो गई तो बेहद मुश्किल से वह इंटरनेट की दुनिया से निकल पाती है। टिकटोक जैसी एप्लीकेशन को बैन करना इतना आसान भी नहीं हैं क्योंकि इसका सबसे बड़ा कारण है युवाओं का इस एप्प से लगाव अर्थात अगर बैन लगा भी दिया जाए तो सभी युवा सरकार के खिलाफ मोर्चे पर लग जाएंगे और NDTV वाले रबिश जी इसे युवाओं की आजादी छीनना कह देंगे। इसके अतिरिक्त यह एप्लीकेशन सरकार मात्र गूगल से कहकर गूगल प्ले स्टोर से हटवा सकती है परन्तु बाकी साइट पर इसके वर्शन उपलब्ध रहेंगे। टिकटोक बैन हो गया तो लोग टिकटोक के तर्ज पर बने एप्लीकेशन का इस्तेमाल करेंगे।
अतः कहने का अभिप्राय यही है कि युवाओं को टिकटोक से ज्यादा इन्फ्लुएंस होना नहीं चाहिए। चंद पैसों के लिए अपना ईमान धर्म न बेचें। यह संदेश हर वर्ग के लिए है।