रामसेतु पर आक्षेपों का जवाब: राम-सेतु का सच “नास्तिको के पेट में गजब दर्द!
लेखक/खोजकर्ता: अर्जित दास
*नास्तिक मत खण्डन*
डॉ सुरेंद्रकुमार अज्ञात की पुस्तक ‘क्या बालूII की भीत पर खड़ा है हिंदू धर्म?’ के ‘यह रामसेतु कहां से टपका? (पृ.८२२-८२५) लेख का खंडन.
(कहां से टपका यह रामसेतु/नल सेत/एडम ब्रिज/आदम पुल?)
नमस्ते सभी मित्रों को! आप सभी ने अक्सर आपने देखा होगा कि बेचारे नास्तिक, लिबेरल्स इनको हमारे हर उस चीज से कष्ट है जिससे हमारी संस्कृति से जुड़ी हुई हैं। इनके उसके पेट के दर्द का कोई इलाज नही हैं क्योंकि यह उस दर्द को स्वयं मिटाना नही चाहते।
इन लोगों के बारे में अधिक न बोलते हुए हम अपने लेख पर आते हैं। दोस्तो! नास्तिकोॉ द्वारा यह आक्षेप किया जाता है कि रामसेतु काल्पनिक हैं, रामसेतु के पत्थर इसलिए तैरते हैं, क्योंकि उसपर राम का नाम है, बंदरों ने रामसेतु बनाया इत्यादि फालतू बातें अक्सर बोलीं जातीं हैं लेकिन!
अब हम यदि तथ्यों पर नज़र घुमाएं तो Facts कुछ और ही बातें बताते हैं। कैसे? चलिए जानते हैं-
सुरेन्द्र अज्ञात जिन्होंने ‘रामसेतु कहां से आ टपका?’ लेख लिखा है, उनका कहना है कि वानरों ने पहले दिन 14 योजन, तीसरे दिन 21 योजन, चौथे दिन 22 योजन और पाँचवें दिल 23 योजन लंबा पुल बाँधा इस तरह नल ने 100 योजन अर्थात 1288 किलोमीटर लंबा पुल तैयार किया, पुल 10 योजन अर्थात 128 किलोमीटर चौडा था,
दश्योजनविस्तीर्ण शतयोजनमायतम्
दद्टशुर्देवरांधर्वा- नलसेतुं सुदुष्करम
–वाल्मिकी रामायण 6/22/76
यह प्रमाण देते हुए उनका तर्क है कि-
वाल्मीकीय रामायण के अनुसार यह नलसेतु 100 योजन अर्थात् 1288 किलोमीटर लंबा था (संस्कृत इंगलिश डिक्शनरी के अनुसार 1 योजन 8-9 मील का होता है, यहां हम ने 8 मील मान कर यह किलोमीटर में 1288 का आंकडा दिया है, यदि 9 मील का योजन मानें तो 100 योजन 1468 किलोमीटर होगा) पर अब जो पुल है वह तो केवल 30 किलोमीटर है, शेष 1258 अथवा 1438 किलोमीटर है कहां है?
*उत्तर:- नास्तिक कुछ लोगों को महाविद्वान कहते हैं पता नहीं, क्यों? लेकिन जब उन सभी के काठ के उल्लू ज्ञानियों के अतथ्यात्मक तर्क सुनते हैं तो मन मे हंसी भी आती है क्रोध भी की कुछ भी करके इनको केवल हिन्दू/सनातन धर्म पर सवाल खड़े करने हैं! बात रामायण की कर रहे हैं और और योजन का गणांक आज के काल का ले रहे हैं। तो सोच सकते हैं कि कितने गिरीे हुई मानसिकता के व्यक्ति हैं। अब हम प्रमाण देते हैं कि समय समय पर योजन का गणांक बदलता रहा है। सूर्य सिद्धान्त में एक 1 योजन को 8 किलोमीटर लिया गया इसी तरह आर्यभटीय में भी १ योजन को ८ किमी लिया गया है। किन्तु १४वीं शताब्दी के खगोलविद परमेश्वर ने १ योजन को १३ किमी के बराबर लिया है। वहीं, वायु पुराण में 13 km से 16 km लिया गया है।
इससे पता चला कि योजन का मान कालांतर में कम से अधिक की ओर जाता रहा है।
किंतु बताना चाहता हूं कि योजन के कुछ अन्य प्रकार भी हैं जैसे हस्त योजन, पद योजन आदि किन्तु किताब ने इन्होंने खण्डन के नकली पुल बांधने शुरू कर दिए लेकिन! क्या कहे अभी भी योजन का कोई प्रमाणिक दर नहीं। लेकिन रामायण के काल को आज से जोड़ कर गलत सिद्ध करना चाहते हैं लेकिन अभी भी योजन की प्रामाणिक दर नहीं है लेकिन आपको तो सिद्ध ही करना है कि नहीं कि किसी वस्तु का वास्तविक रूप कैसा है? आपका बस यही उद्देश्य कि अपने ढंग से उसको प्रस्तुत करके आक्षेप कर दें। अस्तु!
आगे इनके आक्षेप नहीं रुके। ये महोदय रामायण दो प्रमाण देते हुए जिनमें एक है पश्चिमोत्तरीय रामायण के 1/3/34 का उद्धरण देते हुए कहते हैं कि-
इसमें कहा गया है कि राम वहां समुद्रतट पर पहुँच कर समुंदर और नल सेतु का दर्शन किये। और दूसरे संस्करण में कहा गया हैं, राम वहां समुद्रतट पर पहुँच कर समुंदर का दर्शन करते हुए नल सेतु बनवाते हैं !
उत्तर: अंधविरोध के चक्कर मे अपने बातों में फँस गए।यदि दोनों को भाष्यों को भी देखा जाए तो सेतु तो नल नामक वानर ने ही बनाया है? सबसे जरूरी यह कि आक्षेप तो सही से करते आपने कहा नल सेतु पहले से विद्यमान था अर्थात् कि आपने नल और उनके द्वारा बनाये सेतु को भी मान लिया अब आगे देखते हैं!
प्रश्न: श्लोक के आधार पर यह निकलता है कि यह नल सेतु, है राम सेतु नही! प्रमाण ऊपर हैं।
उत्तर: रामायण महर्षि वाल्मीकि जी ने राम जी के जीवन के ऊपर लिखा है और इसी वजह से राम जी को प्राथमिकता दी गई, क्योंकि उनका व्यक्तित्व मर्यादा से निर्मित और पुरुषों में उत्तम था। वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना की, नलायन की नहीं। और जग जाहिर है, सभी को पता है कि पुल का निर्माण किस ने और किस लिए किया बात रही नाम की तो ऐसे बहुत व्यक्ति और जगह हैं जिनका नाम बदल दिया जाता है और जैसे केदारनाथ पांडेय राहुल सांकृत्यायन बन जातें है तो नलसेतु का राम सेतु बनने में क्या कष्ट है?
कहा जाता है कि ताजमहल कई मजदूरों ने बनवाया, पर इतिहास में यही प्रसिद्ध है कि ताजमहल शाहजहां ने बनवाया स्पष्ट है, किसी निर्माण को करवाने वाले मुखिया का ही नाम होता है।इसी प्रकार से रामजी ने नल आदि वानरों से सेतु बनवाया, और वो रामसेतु कहाया।
प्रश्न: नास्तिको द्वारा बहुत जोर से चीखा जाता है कि सुनो! राम सेतु मानव निर्मित नही हैं और केवल 7000 साल पुराना है!
उत्तर: ठीक है! मानव निर्मित नहीं है तो वो कौन से साक्ष्य हैं जिससे यह पता चलता है प्रकृति द्वारा स्वयं बन गए हों? तो बेचारे 2007 के The Hindu के Magzine “Frontline” की report पेश करते हैं और बताते हैं कि सेतु 7000 साल पुराना है और खुदाई में यहीं पाया गया गया है।
लेकिन लेकिन रुकिये! यह आधा सच है। भेड़ चाल चलने वाले नास्तिक बेचारे 2007 का रिपोर्ट हमारे पास रखते हैं। दुख यह है कि यह मूर्ख कभी भी अपडेट नहीं रहते। क्या करें! चलिए, मैं आपको 2018 की रिपोर्ट दिखाता हूँ और फिर उसपर प्रमाण भी दूंगा!
यह रिपोर्ट 2018 की है और “Deccan Chronicle” में एक लेख छपा जिसकी लेखनी श्रीमान A Ragu Raman रिपोर्ट में अन्ना यूनिवर्सिटी और मद्रास यूनिवर्सिटी द्वारा रामसेतु के जांच में ” नमूनों को यूएस-आधारित बीटा एनालिटिक्स को भेजा गया, जो सटीक समय अवधि निर्धारित करने के लिए शीर्ष रेडियोकार्बन डेटिंग प्रयोगशालाओं में से एक है। (ऊपर दी गई लिंक पर क्लिक कर आप पूरी रिपोर्ट को पर सकते हैं!)
लैब ने कार्बन -14 डेटिंग पद्धति का उपयोग करके जीवाश्म की आयु निर्धारित की है। यह विधि जीवाश्म के कार्बनिक अवशेषों का उपयोग करती है ताकि इसकी मृत्यु की समयावधि का पता लगाया जा सके। परिणामों से पता चला कि 94 सेमी और 132 सेमी के बीच पाए गए जीवाश्म कम से कम 18,400 वर्ष पुराने थे। 35 सेमी और 94 सेमी के बीच समुद्री तलछट में जीवाश्म 700-780 वर्ष पुराने थे।
अब बताना चाहता हूं यह नास्तिक जो 7000 साल चीख रहे थे कहा भाग गए! नहीं दिखेंगे, क्योंकि सच का सामना हो चुका है अब यह लोग नवे झूट के तलाश में निकल पड़ेंगे क्योंकि एक एक करके मैं इनके सारे राज़ खोल रहा हूँ आगे!
और अच्छे से जांच की जाये,तो यह काल बहुत पीछे जाकर रामायण काल तक भी पहुंच सकता है।
हमारा मानना है कि पुल के क्षतिग्रस्त होने पर किन्हीं राजाओं ने भी जीवाश्म,पत्थर आदि से इसकी मरम्मत करवाई होगी। रिपोर्ट के अनुसार जो १८,४०० वर्ष पुराने साक्ष्य हैं,वे भी मरम्मत वाले ही लगते हैं।- कार्तिक अय्यर।
आगे: वैज्ञानिकों ने कहा 700 साल पहले एक भूकम्प आया था जिससे यह पुल बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। अन्यथा इससे पहले सभी पैदल ही आने जाने में सेतु का प्रयोग करते थे अब जब नास्तिकों की पोल खोल हो गई तो अब मैं एक और तथ्य पेश करना चाहता हूं ! GSI के Director श्री बद्रीनारायणन जी का कथन था जिसमे वह कहते हैं कि जो राम सेतु है वह Man Made Structure है सबसे जरूरी बात नास्तिकों को हजम नही होगी इस कथन का हमारे पास Saboot भी हैं: https://www.patheos.com/blogs/drishtikone/2007/08/adams-bridge-ram-setu-man-made-structure-top-indian-geologist/
आप पूरी रिपोर्ट पढ़ सकते हैं। लेख में उन्होंने पूरे तथ्य और प्रमाण भी दिए हैं जिससे यह सिद्ध होता है कि राम सेतु जो है एक Man Made Structure है और अभी कुछ पहलुओं पर इसकी पुष्टि होनी बाकी है यदि हम ऐतिहासिक और आज के अनुसार भी देखें तो दोनों पक्ष हमारे साथ हैं।
नास्तिको से मेरे सवाल
1/ यदि राम और उनके पूर्वज काल्पनिक हैं तो फिर महात्मा बुद्ध भी काल्पनिक हैं क्योंकि वह इक्ष्वाकु वंश में पैदा हुए, जो राम जी का ही वंश है यदि नहीं पता तो थोड़ा पढ़ाई करके आओ! महावंश और दीपवंश में भी श्रीराम को बुद्ध का पूर्वज गिना गया है। दशरथजातक में भी बुद्ध कहते हैं कि वे पिछले कल्प में राम के रूप में जन्मे। अब बताइये, यदि बुद्ध इतने वर्षों पहले राम रूप में जन्मे, तो रामायण भी उतनी ही प्राचीन सिद्ध हुई।
2 यदि आपका शोध इतना सटिक और प्रामाणिक है तो 2007 के रिपोर्ट में 7000 साल पुराना और 2018 कि रिपोर्ट में 18400। यदि इतने समय अंतराल में 10000 वर्ष का बदलाव आ गया तो उत्तर दीजिये की आप निर्णय पर कैसे पहुँच गए? कि यह काल्पनिक है और केवल 7000 साल पुराना है!
3 मुझे यह बताएं तो पत्थर वहाँ पर पायें जा रहे वह जल और हवा को अपने अंदर सिकोड़ लेते हैं वह केवल जवालामुखी के फटने से बनते हैं! क्या तमिलनाडु और श्रीलंका में कोई ज्वालामुखी है? फिर वह पत्थर कहां से आये?
नास्तिको से उम्मीद है कि इन प्रश्नों के उत्तर अवश्य देंगे!
*धन्यवाद*