चीन के शहर वुहान से निकला कोरोना वायरस अब तक 203 देशों यानि पूरी धरती पर ही अपने पैर पसार चुका है. जानलेवा वायरस को तेजी से फैलते देख विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे पैनडेमिक यानी महामारी घोषित किया. लेकिन क्या आपको पता है कि ये कोई पहला मौका नहीं है जब धरती पर किसी महामारी के चलते संकट फैला है. इससे पहले भी कई बार एक समय अंतराल पर नई बीमारियों ने मानव जीवन के लिए परेशानी खड़ी की लेकिन हर बार वैज्ञानिकों ने विज्ञान की मदद से उन सभी घातक बीमारियों के लिए इलाज ढूंढ ही लिया. इस बार भी कोरोना वायरस से निजात पाने के लिए दुनिया भर के देशों में प्रयोग कर इसका इलाज ढूंढा जा रहा है.
आइए जानते हैं कब-कब किन-किन बीमारियों ने लाखों जिंदगियां लील लींः-
कुष्ठ रोग यानि हार्सन्स डिजीज (Leprosy)
यूं तो ये बीमारी लगभग 4 हजार साल पुरानी मानी जाती है. लेकिन वो 11वीं सदी का दौर था जब पहली बार लोगों ने कुष्ठ रोग यानि हार्सन्स डिजीज (Leprosy) का नाम सुना था. यह रोग माइकोबैक्टेरियम लेप्री (Mycobacterium leprae) और माइकोबैक्टेरियम लेप्रोमेटॉसिस (Mycobacterium lepromatosis) जीवाणुओं के कारण फैला था. माना जाता है कि कुष्ठरोग से चीन, मिस्र और भारत सबसे अधिक प्रभावित होने वाले देश थे. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक साल 1995 तक लगभग 30 लाख लोग कुष्ठरोग से संक्रमित हुए थे. लेकिन पिछले 20 वर्षों में 1.5 करोड़ लोगों को कुष्ठरोग से मुक्त किया जा चुका है.
ब्यूबोनिक प्लेग (Bubonic Plague)
ये वो महामारी थी जिसने दुनिया भर की एक तिहाई आबादी को खत्म कर दिया था. इसे अब तक की सबसे घातक महामारियों की सूची में शुमार किया जाता है. एशिया महाद्वीप से शुरू हुई इस महामारी ने फ्रांस, इंग्लैंड समेत यूरोप व उत्तरी अमेरिकी देशों तक में भारी तबाही मचाई थी. इस महामारी का प्रभाव ऐसा था कि अर्थव्यवस्था चरमराने से इसके कारण ब्रिटिश सामंती व्यवस्था तक ध्वस्त हो गई थी. 1350 यानि 14वीं सदी में आई ये महामारी बैक्टीरिया यानि जीवाणुओं के कारण फैली थी. तब चूहों के शरीर पर रहने वाले पिस्सुओं में मौजूद यर्सीनिया पेस्टिस नाम के जीवाणु ने पिस्सुओं के काटे हुए लोगों को संक्रमित करना शुरू कर दिया था. इसे ब्लैक डेथ भी कहा जाता है.
चेचक (Small Pox)
स्मॉल पॉक्स जिसे भारत में चेचक कहा जाता है, ने दुनिया में साल 1520 के आसपास दुनिया में दस्तक दी थी. कहा जाता है कि दो महीनों के भीतर मेक्सिको की लगभग 35 फीसदी आबादी इस महामारी का शिकार हो गई थी. साल 2019 में किए गए एक रिसर्च की मानें तो 16वीं-17वीं शताब्दी के बीच अमेरिकी महाद्वीप में 5.6 करोड़ लोगों की इससे मृत्यु हो गई थी. वहीं, इस बीमारी के लाईलाज होने के चलते भारत में साल 1974 के शुरूआती 5 महीनों में ही 15 हजार लोगों की जान चली गई थी. इससे सबसे ज्यादा प्रभावित बिहार, ओडीसा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य हुए थे.
HIV
HIV जिसका नाम सुनते ही लोगों को मौत दिखाई देने लगती थी. ये साल 1976 का दौर था जब दुनिया को इस बीमारी का पता लगा. इसकी शुरुआत अफ्रीकी देश कॉन्गो से हुई थी. जिसके बाद ये महामारी की तरह पूरी दुनिया में फैल गया. रिपोर्ट्स की मानें तो साल 1976 में इस बीमारी का पता लगने का बाद लगभग 3.6 करोड़ लोगों ने इसके चलते अपनी जान गंवाई. साल 1974 के बाद एक बार फिर इसका प्रभाव साल 2005 के आसपास दिखना शुरू हुआ था. WHO के अनुसार साल 2005 से लेकर साल 2012 के बीच ये बीमारी अपने चरम पर थी. अभी भी लगभग 3.5 करोड़ लोग इससे संक्रमित हैं. ज्यादातर लोग अफ्रीकी देशों के हैं.
हैजा (Cholera)
हैजा बीमारी मुख्यतः भारत से फैला. लेकिन बाद में इसका फैलाव अन्य महाद्वीपों में भी हुआ. 8 लाख से अधिक लोगों की जान ली. हैजा बैक्टीरिया से होने वाला एक रोग है जो दूषित पानी से फैलता है. हैजा होने के बाद दस्त और शरीर में पानी की कमी हो सकती है और अगर इलाज न हो तो मृत्यु भी हो सकती है. गत वर्ष भी पश्चिचम-एशियाई देश यमन में करीबन एक लाख बच्चे हैजा से प्रभावित पाये गये जिनकी उम्र 15 वर्ष से कम थी.
सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिन्ड्रोम (SARS)
दुनिया में कोरोना वायरस फैलाने वाला चीन इससे पहले भी मौत दुनिया को महामारी दे चुका है. सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिन्ड्रोम (सार्स) का कहर दुनिया भर में साल 2002-2003 के दौरान मौत बनकर टूटा था. सार्स की वजह से ने 774 लोगों मौत हुई थी. वहीं 8,098 लोग इससे संक्रमित हो गए थे. चीन और हांगकांग में इसका प्रकोप सबसे ज्यादा देखने को मिला था. सार्स की चपेट में आने वाले व्यक्तियों में आमतौर पर खांसी-जुखाम, गले में दर्द, सांस लेने में दिक्कत, बुखार जैसे शुरुआती लक्षण दिखते हैं.
और अब पूरी दुनिया कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर में कोरोना वायरस संक्रमण के 876343 मामले सामने आ चुके हैं. जबकि इसके कारण 43 हजार 520 लोगों की मौत तक हो चुकी है. इटली में सबसे ज्यादा 12,428, स्पेन में 9053 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. दुनिया के सबसे ताकतवार देश अमेरिका में भी इससे 4059 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि चीन. ईरान और फ्रांस में भी इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा तीन हजार को पार कर चुका है. भारत में भी अभी तक इस महामारी के चलते 45 लोग काल के गाल में समां चुके हैं. इंतजार है तो बस इससे बचने के लिए दवा के ईजाद होने का.