अब तो यह पूरी तरह साफ़ हो गया है के 21 वीं सदी की शायद सबसे बड़ी महामारी बनने जा रहे कोरोना नामक वायरस का जन्म वामपंथियों के चौथे पिता (पहले मार्क्स दुसरे लेनिन तीसरे स्टालिन) माओ जेडोंग की पितृभूमि और वामपंथियों का मक्का कहे जाने वाले चीन में हुआ है। ये बता दें के चीन में 1949 से लगातार कम्युनिस्ट पार्टी की सत्ता रही है। एक आंकड़े के मुताबिक़ अब तक केवल चीनी वामपंथी 8 करोड़ से ज़्यादा जाने ले चुके हैं। परन्तु इन नरभक्षियों की रक्त पीने की क्षमता इतनी ज़्यादा है के 8 करोड़ लाशों से भी इनका पेट न भरा। तानाशाही व्यवस्था वाले चीन से यूँ तो ज़्यादा खबरें बाहर नहीं आतीं, परन्तु इस बार कुछ अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में ये खबरें छपी है के कोरोना वायरस का निर्माण चीन की प्रयोगशालाओं में पूरी तरह एक ख़ास रणनीति के तहत किया गया था।
और ये खबरें इसलिए भी सत्य प्रतीत होती है क्यूंकी जिस दिन पूरा भारत कोरोना से लड़ने के लिए ‘जनता कर्फ्यू’ की तयारी कर रहा था उसी समय बस्तर के जंगलो में छुपकर रहने वाले आदमखोर पशु जिन्हे नक्सली भी कहा जाता है द्वारा 17 भारतीय सिपाहियों पर हमला कर उनकी निर्मम हत्या कर दी जाती है।
यहां ये भी बताना ज़रूरी है के एक आंकड़े के मुताबिक़ अब तक ये आदमखोर पशु जिन्हे नक्सली भी कहा जाता है, भारत देश में 12000 से ज़्यादा भारतीयों की श्वासक्रिया को रोक चुके हैं तो तभी ये पूछने पर मजबूर होना पड़ता है के, लाल सलाम से लाल कोरोना तक! और कितनी जानें लोगे वामपंथियों?